लोकसभा चुनाव 2019 की चुनावी प्रक्रिया में अब केवल एक चरण बाक़ी रह गया है। 23 मई को चुनावी नतीजे घोषित होने हैं, इस बीच कॉन्ग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी गठबंधन के लिए कुछ विचलित नज़र आ रही हैं।
राजनीतिक गलियारे से ख़बर आ रही है कि सोनिया गाँधी दिल्ली में एक रणनीति बैठक के लिए 21, 22 और 23 मई नेताओं की उपस्थिति को लेकर सभी विपक्षी पार्टियों के नेताओं के पास पहुँच रही हैं। डीएमके ने पुष्टि की है कि उनके अध्यक्ष एमके स्टालिन को उक्त तिथियों पर राष्ट्रीय राजधानी में उपस्थित रहने को कहा गया है। मतलब साफ है कि उन्हें बैठक में शामिल होने का न्यौता दिया गया है। जनता दल (सेक्युलर) के नेता एचडी देवगौड़ा ने भी इस बात की पुष्टि की है कि वह सोनिया गाँधी के साथ बैठक के लिए 23 मई की दोपहर को दिल्ली पहुँचेंगे।
ख़बर के अनुसार, पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी को सत्ता से बाहर रखने के लिए सोनिया न केवल सहयोगी दलों बल्कि बीजेडी और टीआरएस जैसी अन्य पार्टियों के साथ मिलकर अपनी चुनावी रणनीति को दिशा देने का काम कर रही हैं।
बता दें कि सोनिया गाँधी द्वारा 2004 के लोकसभा चुनावों के दौरान इसी तरह की रणनीति अपनाई गई थी, जिसके बाद यूपीए अस्तित्व में आया था। यह देखना दिलचस्प है कि सोनिया गाँधी का अनुसरण करते हुए वर्तमान कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी भी उन्हीं प्रयासों को एक बार फिर से हवा दे रहे हैं। देखना होगा कि उनके ये प्रयास कितने कारगर साबित होते हैं।
जानकारी के मुताबिक़, सोनिया की इस क़वायद का मक़सद 23 मई को आने वाले चुनावी नतीजों से पहले विपक्षी दलों के बीच आपसी समझ विकसित कर लेना है, ताकि वो जनादेश हासिल करने के लिए राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद से सरकार बनाने का पहला न्यौता पाने की स्थिति में ख़ुद को सक्षम साबित कर सकें। बिगड़े स्वास्थ्य के कारण, सोनिया गाँधी ने लोकसभा चुनाव अभियान में सक्रिय रूप से भाग नहीं लिया। इसलिए, उन्होंने औंधे मुँह गिरती कॉन्ग्रेस पार्टी के लिए विपक्ष को एकजुट करने का बीड़ा उठाया है।