पश्चिम बंगाल में 2021 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता के बीच तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) अध्यक्ष सौरभ गांगुली पर निशाना साधा है। पश्चिम बंगाल में सौरभ गांगुली के राजनीति में आने की ख़बरें हर कुछ दिनों के बाद चर्चा में आती रहती हैं और बिना किसी आधिकारिक ऐलान के ही TMC ने उन पर निशाना साधते हुए दबाव की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है।
TMC सांसद सौगत रॉय ने कहा कि अगर भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राजनीति में आने का निर्णय लेते हैं तो उन्हें उनके इस फैसले से काफी निराशा होगी। उन्होंने कहा कि सौरभ गांगुली के राजनीति में आने से वो तो बिलकुल ही खुश नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि वो पूरे बंगाल के एक आइकॉन हैं और एकमात्र ऐसे बंगाली क्रिकेटर हैं, जिन्हें भारतीय टीम का नेतृत्व करने का मौका मिला। साथ ही याद दिलाया कि वो टीवी शो की वजह से ही यहाँ खासे लोकप्रिय हैं।
दमदम से लगातार तीसरी बार लोकसभा का चुनाव जीतने वाले IIM कोलकाता के प्रोफेसर सौगत रॉय ने कहा कि सौरभ गांगुली का कोई राजनीतिक बैकग्राउंड नहीं है और उन्हें राजनीति में आना ही नहीं चाहिए। उन्होंने ‘इंडिया टुडे’ के एसोसिएट एडिटर इंद्रजीत कुंडू से बातचीत करते हुए कहा कि सौरभ गांगुली न तो इस देश की समस्याओं को समझते हैं और न ही इस देश के गरीबों के बारे में कुछ जानते हैं।
1977 में बैरकपुर से लोकसभा चुनाव जीत कर चौधरी चरण सिंह की सरकार में मंत्री रहे सौगत रॉय ने कहा कि BCCI अध्यक्ष के पास गरीबी और मजदूरी की समस्याओं को लेकर कोई अनुभव नहीं है। पश्चिम बंगाल में सौरभ गांगुली के भविष्य, खासकर राजनीति में उनकी एंट्री को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। यूपीए-2 में भी मंत्री रहे सौगत रॉय का कहना है कि भाजपा राज्य में मुख्यमंत्री उम्मीदवार के रूप में कोई चेहरा नहीं ढूँढ पा रही है, इसीलिए ऐसे अफवाह फैलाए जा रहे हैं।
Sourav Ganguly to join politics? TMC MP Saugata Roy says Sourav would not be able to serve in politics as he has no background. Listen to what more he said in this conversation with @iindrojit. #ReporterDiary
— IndiaToday (@IndiaToday) November 24, 2020
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पश्चिम बंगाल में सौगत रॉय को ममता बनर्जी के बुद्धिजीवी सलाहकारों में से एक माना जाता है। वो अलीपुर, बनगाँव और ढाकुरिया- 3 अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों से 5 बार विधायक रह चुके हैं और 2 अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों से 4 बार संसद जा चुके हैं। नारदा स्कैम में भी उनका नाम आ चुका है, जिसमें कई तृणमूल सांसदों का कच्चा चिट्ठा खुला था। ऐसे में उनके बयान से राज्य में गांगुली के राजनीतिक मैदान में उतरने की चर्चाएँ फिर चल पड़ी हैं।
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी अपनी ही पार्टी में बगावतों से जूझ रही हैं। कूच बिहार के विधायक मिहिर गोस्वामी ने आरोप लगाया था कि तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) ममता बनर्जी के नियंत्रण में है ही नहीं। बड़ा राजनीतिक घराना अधिकारी परिवार भी उनसे नाराज चल रहा है। ये परिवार ईस्ट मिदनापुर के अलावा वेस्ट मिदनापुर, बाँकुरा, पुरुलिया, झारग्राम और बीरभूम के 35 विधानसभा क्षेत्रों में प्रभाव रखता है।