कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी के महासचिवों, राज्यों के प्रभारियों और प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की। कॉन्ग्रेस मुख्यालय में हुई इस बैठक पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गुलाम नबी आजाद, केसी वेनुगोपाल और एके एंटनी समेत पार्टी के तमाम बड़े नेता शामिल हुए। इस बैठक को आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों और पार्टी में जरूरी निर्देशों के लिए बुलाया गया था, हालाँकि कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष इस पार्टी से नदारद रहे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस मौके पर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने पार्टी नेताओं एवं कार्यकर्ताओं से आह्वान किया कि वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहने के साथ ही सड़क पर उतरकर संघर्ष करें और जनता से सीधा संपर्क स्थापित करें।
इस बैठक में सोनिया ने पार्टी के महासचिवों-प्रभारियों, प्रदेश अध्यक्षों, मुख्यमंत्रियों और विधायक दल के नेताओं के समक्ष देश की अर्थव्यवस्था की मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने केंद्र सरकार पर संस्थाओं को कमजोर करने के भी आरोप लगाए।
सोनिया गाँधी ने कहा कि विरोध करने वाले लोगों की आवाज को दबाया जा रहा है। साथ ही, उन्होंने कहा कि हम ऐसे वक्त मिल रहे हैं, जब प्रतिशोध की राजनीति अपने चरम पर है और यह वो समय है जब सत्ता के खिलाफ आवाज उठाने वालों को धमकी दी जा रही है।
‘हमें सड़कों पर उतरना होगा’
सोनिया गाँधी ने कहा- “लोकतंत्र को इतना खतरा कभी नहीं रहा जितना आज है। मैंने कुछ हफ्ते पहले भी कहा था कि सत्ता का बहुत ही खतरनाक ढंग से दुरुपयोग किया जा रहा है। देश उन ताकतों का मुकाबले करने को तैयार है जो महात्मा गाँधी, सरदार पटेल और बीआर अम्बेदकर के संदेशों को गलत तरीके से पेश कर रहा है। हमें इनका मुकाबला करने के लिए सड़कों पर उतरना होगा, गाँव-कस्बों और शहरों में लोगों तक पहुँचना होगा।”
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सिर्फ सोशल मीडिया का इस्तेमाल करना या इस पर आक्रामक रहने से कुछ नहीं होने वाला है। उसकी अपेक्षा सीधे जनता तक पहुँचना ज्यादा महत्वपूर्ण है। हाल ही में कई कॉन्ग्रेस नेताओं के पार्टी छोड़ने के संदर्भ में सोनिया ने कहा- “लोग समय आने पर अपना रंग दिखा ही देते हैं, यह अवसरवादी चरित्र को दर्शाता है। हम जल्द ही तीन राज्यों में चुनावों का सामना करने जा रहे हैं। हालात चुनौतीपूर्ण हैं और अगर हम सिर्फ पार्टी हित को ऊपर रखें तो फिर से अपनी खोई जमीन वापस पा सकते हैं।”
कॉन्ग्रेस जनता के बीच घट रही अपनी लोकप्रियता के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इसी दिशा में, आम जनता की नजरों में कॉन्ग्रेस पार्टी की गिरती हुई छवि को सुधारने के लिए पार्टी ने अब अपनी कार्यप्रणाली और विचारधारा के प्रचार के लिए ‘प्रेरक’ रखने का निर्णय लिया है। ये प्रेरक कॉन्ग्रेस के खिलाफ चल रही नकारात्मक ख़बरों के खिलाफ जमीनी स्तर पर पार्टी हित में काम करेंगे।
ये प्रेरक कार्यकर्ताओं को पार्टी की विचारधारा और इतिहास के बारे में ‘प्रेरित और सूचित’ करेंगे, इसके अलावा उन्हें नियमित आधार पर जनता के साथ जुड़ने के लिए तैयार किया जाएगा।
संकट में है कॉन्ग्रेस
कॉन्ग्रेस इस समय बहुत बड़े संकट की स्थिति से गुजर रही है। हाल ही में अनुच्छेद 370 को लेकर जहाँ राष्ट्रीय स्तर के नेताओं पर आपसी मतभेद उभरकर सामने आए, तो वहीं राज्यों में भी आपस में तालमेल नहीं बैठ पा रहा है। एक ओर मध्य प्रदेश में सीएम कमलनाथ, दिग्विजय सिंह और ज्योतिरादित्य सिंधिया के बीच टकराव जारी है, तो दूसरी ओर राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच मनमुटाव भी साफ दिखाई दे रहा है। इस सबके बीच कॉन्ग्रेस पार्टी छोड़कर बीजेपी के साथ जा रहे हैं नेताओं ने पार्टी को अलग से सरदर्द दे रखा है।