Saturday, December 21, 2024
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‘मेरे पिता जीवित होते तो पाकिस्तान नहीं बन पाता’: नेताजी बोस की बेटी ने PM मोदी के फैसले का किया स्वागत

"अगर मेरे पिताजी जीवित होते तो देश का विभाजन नहीं होने देते और एक अलग देश पाकिस्तान नहीं बनने देते।"

देश के महान स्वतंत्रता सेनानी और आजाद हिंद फौज के संस्थापक नेताजी सुभाषचंद्र बोस (Netaji Subhash Chandra Bose) की बेटी अनीता बोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा अपने पिता की इंडिया गेट पर होलोग्राम प्रतिमा स्थापित किए जाने पर बेहद खुश हैं। उन्होंने नेताजी की प्रतिमा लगाने को स्वागत योग्य कदम बताया है।

दैनिक भास्कर के एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में जर्मनी में रहने वाली नेताजी सुभाष चंद्र बोस की बेटी अनीता बोस ने (Anita bose) ने बताया कि महात्मा गाँधी मेरे पिता को राजनीति से दूर करना चाहते थे। अगर मेरे पिताजी जीवित होते तो देश का विभाजन नहीं होने देते और एक अलग देश पाकिस्तान नहीं बनने देते।

नेताजी को भारत सरकार से किस तरह का सम्मान मिलना चाहिए था? इस सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि सरकार इस बारे में बहुत कुछ कर सकती थी, लेकिन कुछ तथ्य सरकार ने छिपाए हैं। मैं इस बात से बहुत निराश हूँ। सरकार ने सांप्रदायिक दंगों और झगड़ों पर कुछ नहीं कहा और ना ही कोई ठोस कदम उठाए। ऐसे मामलों पर न बोलना देशहित में नहीं है। आजादी के सात दशक बाद अब नेताजी के आदर्शों और मूल्यों को पहचान मिल रही है। इससे देश में एक अच्छा संदेश जाएगा।”

क्या मोदी सरकार देश के स्वतंत्रता सेनानियों को उनका सही स्थान दे रही है? इस पर उन्होंने कहा, “इस सरकार को भी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को सराहना देनी चाहिए। उन्हें पहचान देनी चाहिए। INA के सैनिकों ने देश की आजादी के लिए कोई कम त्याग नहीं किया। इंदिरा गाँधी देश की ऐसी पहली प्रधानमंत्री थीं, जिन्होंने INA को पहचान दी, लेकिन उन्होंने भी भेदभाव ही किया। आजादी के बाद INA के सैनिकों को सेना में शामिल नहीं किया। इसके उलट, जिन सैनिकों ने ब्रिटिश सेना में रह कर अपने देश के लोगों पर जुल्म किए थे, उन्हें आर्मी में शामिल किया गया।”

नेता जी के निधन को लेकर अलग-अलग चर्चा होती है। आपके अनुसार सच क्या है? इसको लेकर नेताजी की बेटी ने कहा कि मुझे प्लेन क्रैश की घटना के एक चश्मदीद के साक्षात्कार से पता चला कि 18 अगस्त 1945 को यह घटना हुई थी। उसी दौरान दूसरा विश्वयुद्ध भी समाप्त हुआ था। इस घटना से जुड़े दस्तावेज लंबे समय तक छिपा कर रखे गए। मौजूदा सरकार के समय 37 फाइलें सार्वजनिक की गई हैं।”

बता दें कि नेताजी की बेटी के मुताबिक, उनके पिता विद्रोही स्वभाव के थे, जिस कारण महात्मा गाँधी उन्हें अपने बस में नहीं कर पा रहे थे। गाँधी ने नेहरू का पक्ष लिया। कॉन्ग्रेस के एक धड़े ने नेताजी के साथ गलत किया, उनके साथियों की निंदा की गई। नेताजी के सहयोगियों को वो लाभ भी नहीं मिला, जो कि अंग्रेजों के लिए लड़ने वालों को मिला। नेताजी की मौत के बारे में अनीता मानती हैं कि विमान दुर्घटना में उनकी मौत के सबूत हैं और गुमनामी बाबा वाली कहानी हास्यास्पद है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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