कर्नाटक की कॉन्ग्रेस सरकार में मंत्री केएन राजन्ना ने ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारों को लेकर चल रहे मामले पर एक बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि पाकिस्तान के समर्थकों को गोली मार देनी चाहिए। उन्होंने उत्तर प्रदेश में अवैध इमारतों पर बुलडोजर एक्शन का समर्थन भी किया है।
के एन राजन्ना ने कहा, “क्या हुआ था? यहाँ कांग्रेस की छवि अच्छी है। यहाँ तक इसमें सुधार हुआ है। अगर किसी ने ये नारे (पाकिस्तान जिंदाबाद) लगाए हैं या पाकिस्तान का समर्थन किया है, तो उसे गोली मार दी जाए। इसमें कुछ गलत नहीं है।”
इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश में अवैध इमारतों पर बुलडोजर कार्रवाई को लेकर भी समर्थन जताया। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में मकान तोड़े जाते हैं। इसके लिए कोई अलग से कानून नहीं है, लेकिन क्या वहाँ कानून-व्यवस्था नियंत्रण में नहीं है? हम इसका विरोध तो नहीं करेंगे।”
राजन्ना का यह बयान हाल ही में हुए राज्यसभा चुनाव के बाद कर्नाटक विधानसभा में लगे ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारों को लेकर था। दरअसल, विधानसभा में वोटिंग के बाद जब कॉन्ग्रेस राज्यसभा प्रत्याशी नासिर हुसैन जीते तो उसके बाद यह नारेबाजी हुई थी। इसको लेकर आरोप लगा था कि यहाँ पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाए गए।
इस मामले को पहले ढकने की कोशिश हुई थी लेकिन बाद में फॉरेंसिक जाँच में इसकी सत्यता की पुष्टि हुई थी। इस मामले में नारे लगाने वाले कुल 3 आरोपितों को गिरफ्तार किया था। इनके नाम इल्ताज, मुनव्वर और मोहम्मद नाशीपुडी हैं।
फॉरेंसिक रिपोर्ट में कहा गया कि जिस वीडियो पर विवाद हुआ, वो एक सिंगल कैप्चर में बनाई गई थी (यानी उसमें कुछ और जोड़ा-घटाया नहीं गया)। उसमें कुछ भी छेड़छाड़ नहीं हुई है। वहाँ जिस शब्द ‘साब’ के लिए सवाल हो रहा था, वो ‘साब’ नहीं, ‘तान’ था।
हालाँकि, जिन पाकिस्तान के जिंदाबाद कहने वालों को राजन्ना गोली मारने की बात कर रहे हैं, उसी को बधाई देने के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम निर्णय सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक प्रोफेसर के विरुद्ध दर्ज FIR रद्द कर दी थी।
उसके खिलाफ यह FIR पाकिस्तान के स्वतंत्रता दिवस पर बधाई देने और जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने पर काला दिन बताने को लेकर दर्ज की गई थी। कोर्ट ने कहा था कि यह बातें कहना अपराध नहीं हो सकता। कोर्ट ने सरकारी निर्णय के विरोध को अधिकार बताया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, “अगर भारत का कोई नागरिक 14 अगस्त, जो कि उनका स्वतंत्रता दिवस है, पर पाकिस्तान के नागरिकों को शुभकामनाएँ देता है, तो इसमें कुछ गलत नहीं है। यह मेलजोल बढ़ाने का संकेत है। याचिकाकर्ता के उद्देश्यों को केवल इसलिए आशंका के दायरे में नहीं लाया जा सकता क्योंकि वह विशेष मजहब से है।”