शिवसेना को लेकर एकनाथ शिंदे और उद्धव ठाकरे के बीच चल रहे खींचतान के बीच सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला आया है। उच्चतम न्यायालय ने आयोग के पाले में गेंद डालते हुए कहा कि वो तय करें कि शिवसेना के चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कौन करेगा। यह फैसला शिंदे गुट के लिए एक बड़ी राहत माना जा रहा है। ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में चुनाव आयोग की उस कार्रवाई पर रोक लगाने की माँग की थी, जिसमें एकनाथ शिंदे द्वारा शिवसेना के सिंबल पर अधिकार का दावा किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 27 जून, 2022 (मंगलवार) को सुनाया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, उद्धव ठाकरे गुट ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाई थी कि शिंदे गुट को चुनाव आयोग में सुनवाई से रोका जाए। जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस याचिका को ख़ारिज करते हुए चुनाव आयोग की कार्रवाई में दखल से इनकार कर दिया। दरअसल शिंदे गुट ने चुनाव आयोग में एक अर्जी लगाते हुए खुद को असली शिवसेना बताया था। इस मामले पर अब अगला फैसला चुनाव आयोग को लेना है।
Supreme Court allows Election Commission of India to decide which faction between Uddhav Thackeray and Eknath Shinde be recognised as the ‘real’ Shiv Sena party and allotment of the bow and arrow symbol.
— ANI (@ANI) September 27, 2022
सुप्रीम कोर्ट में उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से कपिल सिब्बल और शिंदे गुट की तरफ से अधिवक्ता नीरज कौल ने बहस की। सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने शिंदे की सरकार बनने के तरीके को दुनिया का पहला उदाहरण बताया। दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिंदे समूह के पक्ष में रहा। गौरतलब है कि उद्धव ठाकरे से अलग होने के बाद शिंदे समूह ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह धनुष-बाण पर अपना दावा ठोंका है। वहीँ ठाकरे समूह न सिर्फ शिवसेना पर अपना अधिकार बता रहा है बल्कि वो शिंदे गुट में मौजूद सभी विधायकों को अयोग्य भी बता रहा है।