मंगलवार (मई 21, 2019) को सर्वोच्च न्यायालय ने ईवीएम और वीवीपैट पर्चियों के 100 फीसदी मिलान वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट का कहना है कि अगर इस मामले में दखल दिया गया तो यह लोकतंत्र को नुकसान होगा।
इस याचिका को ‘टेक4ऑल’ नाम के टेक्नोक्रैटों के समूह द्वारा दायर किया गया था। उनकी दलील थी कि ईवीएम विश्वस्नीय नहीं हैं, इसकी टैपरिंग की जा सकती है। इसलिए उन्होंने न्यायालय से सभी ईवीएम और वीवीपैट की पर्चियों से मिलान की माँग की थी।
Supreme Court dismisses the petition filed by a group of technocrats seeking a direction that the number of machines subject to verification of VVPATs to be increased to 100%. A vacation bench of the Apex Court did not find any merit in the petition filed by the technocrats. pic.twitter.com/TEVcHf3VbL
— ANI (@ANI) May 21, 2019
कोर्ट ने इस मामले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “इस मामले पर पहले ही मुख्य न्यायाधीश की बेंच फैसला दे चुकी है फिर आप इस मामले को वेकेशन बेंच के सामने क्यों उठा रहे हैं?” इस याचिका को बकवास बताते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यही करते रहे तो इससे लोकतंत्र को नुकसान होगा।
गौरतलब है इससे पहले ऐसे ही एक मामले पर 7 मई को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। इस दौरान विपक्ष द्वारा दाखिल की गई याचिका कोर्ट ने खारिज की थी।
दरअसल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व में 21 विपक्षी नेताओं द्वारा दायर याचिका में माँग की थी कि 50 फीसदी VVPAT पर्चियों की ईवीएम से मिलान करने का आदेश निर्वाचन आयोग को दिया जाए। जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इससे पहले चुनाव आयोग ने विपक्ष की इस माँग पर कहा था कि वीवीपीएटी स्लिप काउंटिंग की वर्तमान पद्धति में कोई बदलाव नहीं होगा, और अगर ऐसा हुआ तो लोकसभा परिणाम 6-9 दिनों के बाद आएगा।