सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (13 फरवरी, 2024) को राष्ट्रीय जनता दल के नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के खिलाफ दर्ज एक FIR को रद्द कर दिया। यह FIR उनके खिलाफ अहमदाबाद में करवाई गई थी वो भी तब जब उन्होंने ‘गुजरातियों’ पर अपमानजनक बयान दिया था। विवाद बढ़ने पर उन्होंने कोर्ट में कहा था कि वो लिखित में माफी माँगने को तैयार हैं। इसके बाद उनकी इस याचिका पर सुनवाई हुई। उनसे माफी मँगवाई गई। फिर, ये एफआईआर को रद्द कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले तेजस्वी यादव को आदेश दिया था कि वह एक सप्ताह के भीतर अपना बयान वापस लें। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी, 2024 को कहा था कि तेजस्वी यादव को एक सप्ताह के भीतर स्पष्ट शब्दों में यह लिखना होगा कि गुजरातियों पर दिए गए बयान पर उन्हें खेद है। वह अपने इस बयान को वापस लेते हैं।
तेजस्वी ने कोर्ट का यह आदेश मान लिया है और अपना शपथपत्र दाखिल करके गुजरातियों पर दिया बयान वापस ले लिया है। उनके इस मामले की सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्जल भुइयां की बेंच ने FIR रद्द कर दी है। बेंच ने इस मामले में सभी पक्षों के दावों की जाँच के बाद आज कहा, “हम मामले को रद्द करते हैं।”
गौरतलब है कि तेजस्वी यादव ने 22 मार्च 2023 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गुजरातियों के खिलाफ बयान दिया था। उन्होंने कहा था, “सिर्फ गुजराती ही ठग हो सकते हैं और उनका अपराध माफ भी कर दिया जाएगा। अगर वह देश से फरार भी हो जाएँ तो उसके लिए कौन जिम्मेदार होगा?”
इसको लेकर हरेश मेहता ने उनके खिलाफ गुजरात में आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज करवाया था। इसमें कहा गया था कि तेजस्वी यादव ने पूरे गुजराती समाज का अपमान किया है। अहमदाबाद में इस मामले में उन्हें समन भी जारी किया गया था लेकिन वह यहाँ पेश होने नहीं पहुँचे थे और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
याद दिला दें कि इससे पहले एक ऐसा ही मामला कॉन्ग्रेस सांसद राहुल गाँधी के विरुद्ध दर्ज करवाया गया था। राहुल गाँधी ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जाति मोदी को लेकर कहा था कि ‘सारे मोदी चोर’ होते हैं। इस पर उनके खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला चला था। इस मामले में उन्हें 2 वर्ष की सजा अहमदबाद की अदालत ने सुनाई थी।