कॉन्ग्रेस नेता राशिद अल्वी (Rashid Alvi) ने केंद्र की मोदी सरकार (Modi Government) पर निशाना साधा है और राम जन्मभूमि (RAM JANAM BHUMI) मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के दिए फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि बहुत सारे लोग मानते हैं कि राम जन्मभूमि मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला सरकार के दबाव में दिया गया था। उन्होंने साथ ही कहा है कि जजों को सरकारी जॉब देना दुर्भाग्यपूर्ण है।
“SC का अयोध्या पर फ़ैसला केंद्र सरकार के दबाव में आया था”
— News24 (@news24tvchannel) February 13, 2023
◆ कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राशिद अल्वी का बयान
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बकौल अल्वी, एक रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के 50 प्रतिशत रिटायर्ड जजों को सरकार कहीं न कहीं भेज देती है। इससे लोगों का यकीन न्यायपालिका में कम होता जाता है। उन्होंने कहा कि जस्टिस गोगोई को अभी तो राज्यसभा भेजा गया था। अब सरकार ने जस्टिस एस अब्दुल नजीर साहब को गवर्नर बना दिया।
अल्वी ने आगे कहा, “राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर बहुत लोग सवालिया निशान लगाते चले आ रहे हैं कि यह गवर्नमेंट के दबाव में हुआ है। जस्टिस गोगोई के बाद जस्टिस नजीर को गवर्नर बनाना, उन लोगों के शक को और मजबूत करता है। संविधान का आर्टिकल 50 कहता है कि न्यायपालिका और कार्यपालिका अलग-अलग होना चाहिए। सरकार को काशिश करनी चाहिए की न्यायपालिका बिल्कुल अलग हो और उसका कार्यपालिका से कोई वास्ता न हो।”
वहीं हाल ही में इस्तीफा देने वाले महाराष्ट्र के पूर्व गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के बारे में उन्होंने कहा कि वह लगातार ऐसे बयान देते रहें हैं जो आरएसएस की विचारधारा से जुड़े हुए हैं। तमिलनाडु के गवर्नर यही काम कर रहे हैं। नॉर्थ ईस्ट के कई गवर्नर यही काम कर रहे हैं। केरल का गवर्नर यही काम कर रहा है। उन्होंने कहा, “गवर्नर ने संविधान की रक्षा करने के बजाए आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा की बात करते हैं। उन्हें लगता होगा कि अगर भाजपा व आरएसएस की लीडरशिप खुश होगी तो उन्हें और तरक्की मिलेगी।”
उल्लेखनीय है कि जस्टिस अब्दुल नजीर और जस्टिस गोगोई राम जन्मभूमि विवाद पर फैसला देने वाले पाँच सदस्यीय संवैधानिक पीठ का हिस्सा थे। जस्टिस नजीर हाल ही में 4 जनवरी 2023 को सुप्रीम कोर्ट के जज के पद से रिटायर हुए हैं। जस्टिस नजीर ‘तीन तलाक’ मामले पर फैसला देने वाले जजों में शामिल थे।