उत्तर प्रदेश के 5 जिलों में कोरोना के मद्देनजर लॉकडाउन लगाने वाले इलाहाबाद कोर्ट के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने आज (अप्रैल 20, 2021) रोक लगा दी। इस मामले में योगी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख करते हुए अपनी अपील में कहा था कि हाईकोर्ट को ऐसे फैसले लेने का अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में सरकार की तरफ से इस केस को सॉलिस्टर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एस ए बोबड़े के समक्ष पेश किया। उन्होंने कहा कि हमने कोरोना कंट्रोल करने के लिए कई कदम उठाए हैं, अभी कुछ और कदम उठाने हैं, लेकिन लॉकडाउन इसका हल नहीं है। लोगों की जान बचाने के साथ गरीबों की आजीविका को भी बचाना है। इसलिए शहरों में पूर्ण लॉकडाउन नहीं हो।
Uttar Pradesh government moves Supreme Court challenging the Allahabad High Court order on imposing lockdown in its five cities, on the ground that the High Court did not have the domain to issue such kind of directions. pic.twitter.com/yXUp1jv7s5
— ANI (@ANI) April 20, 2021
इलाहाबाद कोर्ट ने दिए थे लॉकडाउन के निर्देश
बता दें कि इलाहाबाद कोर्ट ने 19 अप्रैल को यूपी के पाँच शहरों- प्रयागराज, लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर, और गोरखपुर में 26 अप्रैल तक कड़े प्रतिबंधों के साथ लॉकडाउन लगाने की निर्देश दिए थे।
इस दौरान हाई कोर्ट की जस्टिस अजीत कुमार और न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ कोरोना के बढ़े मामलों से खुश नहीं थे। अदालत ने कहा था कि राज्य के मुख्यमंत्री आईसोलेशन में हैं और यह राज्य के लिए कठिन समय है।
अपने आदेश में [PDF], अदालत ने कहा, “हम सरकारी अस्पतालों के हाल देख रहे हैं कि वहाँ आईसीयू में मरीजों को वीआईपी लोगों की सिफारिश पर लिया जा रहा है। यहाँ तक की जीवनरक्षक एंटीवायरल दवा रेमेडिसिविर भी वीआईपी की सिफारिश पर ही दी जाती है। राज्य के मुख्यमंत्री लखनऊ में आईसोलेशन में हैं। ”
अदालत ने आगे ये भी कहा कि चिकित्सा के बुनियादी ढाँचे में विकास की कमी स्पष्ट दिखाई देती है, क्योंकि सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्थाएँ चुनौतियों का सामना करने में सक्षम नहीं हैं, और लोग सही दवा के इंतजार में मर रहे हैं।
अपने आदेश में कोर्ट की तरफ से यूपी के मुख्य सचिव को खुद निगरानी करने के लिए निर्देश दिए थे, जिसे आज रात से लागू करना था। इस दौरान इन शहरों में जरूरी सेवाओं वाली दुकानों को छोड़कर कोई भी दुकान, होटल, ऑफिस और सार्वजनिक स्थल नहीं खुलने की बात कही गई थी। हालाँकि यूपी सरकार ने फैसले को मानने से मना कर दिया और सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।