Friday, November 22, 2024
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राजीव गाँधी के ‘हत्यारे’ को जेल से बाहर देख खुशी से फूले तमिलनाडु CM, लगाया गले: कॉन्ग्रेस ने बेल का विरोध भी नहीं किया

तमिलनाडु में कॉन्ग्रेस और डीएमके का गठबंधन है। ऐसे में 19 मई को तमिलनाडु कॉन्ग्रेस कमेटी (TMCC) ने पेरारिवलन की रिहाई के खिलाफ मौन विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन इस बीच ये भी साफ कर दिया कि उसका पेरारिवलन की रिहाई से गठबंधन पर कोई असर नहीं होगा।

हाल ही में जेल से छूटे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की हत्या के दोषियों में से एक एजी पेरारिवलन से तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 18 मई 2022 को मुलाकात की। इस दौरान स्टालिन पेरारिवलन को गले लगाते दिख रहे हैं। इसका वीडियो भी उन्होंने शेयर किया है। उनकी पार्टी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) लंबे समय से पूर्व पीएम के हत्यारे की रिहाई की माँग कर रही थी।

इसको लेकर स्टालिन ने एक ट्वीट भी किया था, जिसमें वो पेरारिवलन को ‘भाई’ बताते हुए अपनी माँ के साथ उसके बेहतर भविष्य की कामना करते दिखे। इससे पहले सीएम स्टालिन ने तमिल में चार पन्नों जितनी लंबी प्रेस रिलीज को शेयर किया, जिसमें उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ‘इतिहास, कानून, राजनीति और प्रशासनिक इतिहास’ के योग्य बताया था।

सर्वोच्च अदालत में पेरारिवलन की तरफ से पैरवी कर रही तमिलनाडु सरकार ने तर्क दिया था कि धारा 302 राज्य सरकार के पब्लिक ऑर्डर के अंतर्गत आता है और ऐसे में राज्यपाल को सरकार द्वारा लिए गए फैसलों को मंजूरी देनी थी। सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों का कहना था कि राज्यपाल राज्य सरकार के फैसलों में हस्तक्षेप नहीं कर सकते।

कैसे जेल से छूटे पेरारिवलन

गौरतलब है कि 2014 में अन्नाद्रमुक की जे जयललिता की सरकार में सीआरपीसी की धारा 432 के तहत राज्य की शक्तियों का प्रयोग करते हुए पेरारिवलन समेत पूर्व पीएम राजीव गाँधी की हत्या के सभी दोषियों को मुक्त करने के लिए केंद्र को एक सिफारिश भेजी। उस दौरान स्टालिन ने विपक्ष में रहते हुए भी राज्य सरकार उस फैसले का समर्थन किया था। अब जब पेरारिवलन जेल से बाहर आ चुका है तो अन्नाद्रमुक भी इसका श्रेय लेने की होड़ में है।

दरअसल, 2018 में सत्ता में आने के बाद DMK के सत्ता में आने के बाद तमिलनाडु कैबिनेट ने अनुच्छेद 161 के तहत एक प्रस्ताव पारित किया ताकि राजीव गाँधी के हत्या के दोषियों को रिहा किया जा सके। इसके प्रस्ताव को राज्यपाल के अनुमोदन के लिए भी भेजा गया था, जहाँ वो प्रस्ताव लटका दिया गया। अपनी हालिया प्रेस रिलीज में स्टालिन ने खुलासा किया है कि वो साल 2020 में इस मामले को लेकर दोबारा से राज्यपाल से मिले थे, तब राज्यपाल ने इस पर विचार करने की बात कही थी। हालाँकि, बाद में इसी प्रस्ताव को राष्ट्रपति के पास भेजा गया।

जब ये मामला सुप्रीम कोर्ट की चौखट तक पहुँचा तो शीर्ष अदालत ने पेरारिवलन को मार्च 2022 में जमानत दे दी और मई 2022 में वो जेल से बाहर आ गया। हालाँकि, अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन को दोषमुक्त नहीं किया है। उसे केवल इस आधार पर जमानत दी गई है कि राज्यपाल के पास ये मामला लंबे वक्त से लंबित है।

पेरारीवलन की रिहाई पर कॉन्ग्रेस का मौन प्रदर्शन

तमिलनाडु में कॉन्ग्रेस और डीएमके का गठबंधन है। ऐसे में 19 मई को तमिलनाडु कॉन्ग्रेस कमेटी (TMCC) ने पेरारिवलन की रिहाई के खिलाफ मौन विरोध प्रदर्शन किया। लेकिन इस बीच ये भी साफ कर दिया कि उसका पेरारिवलन की रिहाई से गठबंधन पर कोई असर नहीं होगा।

पेरारिवलन की रिहाई पर सबसे खास बात ये है कि गाँधी परिवार ने राजीव गाँधी की हत्या के दोषियों की रिहाई का विरोध तक नहीं किया। इस मामले में राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी दोनों ही चुप रहे। इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री एस. तिरुवनवकारसु ने तो यहाँ तक कहा कि राहुल गाँधी और सोनिया गाँधी ने कभी नहीं कहा कि उन्हें (दोषियों को) रिहा नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने ये भी कहा, “राहुल और सोनिया दोनों को पेरारिवलन की रिहाई पर कोई पछतावा नहीं होगा।”

बीजेपी ने किया विरोध

हालाँकि, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) शुरू से ही राजीव गाँधी की हत्या के दोषियों की रिहाई का विरोध करती रही है। बीजेपी का कहना है कि एक पूर्व प्रधानमंत्री की जिस धमाके में जान गई, उसमें कई लोगों की भी मौतें हुई थीं। भाजपा नेता और प्रदेश अध्यक्ष के अन्नामलाई के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट ने पेरारिवलन समेत चार दोषियों की मौत की सजा की पुष्टि की है। बीजेपी नेता ने कहा कि इस विशेष मामले में सुप्रीम कोर्ट ने असाधारण निर्णय दिया है।

भाजपा पार्टी ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का ,सम्मान करती है, लेकिन ये भी सत्य है कि सातों दोषी गंभीर अपराधी हैं। इस हमले में पूर्व पीएम राजीव गाँधी समेत 17 लोगों की मौत हो गई थी, जिसमें 8 पुलिसकर्मी भी शामिल थे।

इस मामले में तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन पर निशाना साधते हुए अन्नमलाई कहते हैं कि ये ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसका महिमामंडन किया जाए। तमिलनाडु में ऐसे हजारों व्यक्ति हैं, जिनका महिमामंडन किया जा सकता है। ऐसे में सीएम स्टालिन ने पेरारीवलन का असाधारण तरीके से स्वागत कर गलत उदाहरण पेश किया है। उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।

इसके साथ ही उन्होंने कॉन्ग्रेस पर दोहरा चरित्र अपनाने का आरोप लगाया। बीजेपी नेता ने कहा कि जनता इस मामले को करीब से देख रही है।

दोषियों की रिहाई से आहत पीड़ितों के परिजन

तमिलनाडु में राजीव गाँधी की हत्या के दोषियों की रिहाई से अन्य पीड़त काफी आहत हैं। राजीव गाँधी हत्याकांड के अन्य पीड़ित रिहाई से खुश नहीं हैं। इंडिया टुडे ने राजीव गाँधी हत्याकांड के पीड़ितों में से एक एस समाधानी बेगम के बेटे के हवाले से उस घटना को याद किया। अब्बास ने उस दौर को याद करते हुए बताया कि 1991 में वो केवल 10 साल के थे, जब दक्षिण महिला कॉन्ग्रेस की नेता का 1991 में विस्फोट में मौत हो गई थी। इससे पहले अब्बास के पिता की मौत 1988 में हुई थी।

अब्बास ने कहा, “कल्पना कीजिए कि 10 साल के उस बच्चे की क्या हालत रही होगी, जिसनें अपने माँ-बाप दोनों को ही खो दिया हो। मैंने और पीड़ितों के 16 परिवारों ने भी अपने जीवन में सब कुछ खो दिया है। दोषी को रिहा कर दिया गया है। ये कैसा न्याय है? वह इस मामले में दोषी है और हम पीड़ित हैं। आप किस मानवीय आधार पर देख रहे हैं? 31 साल हो गए हैं, उन्हें रिहा कर दिया गया, लेकिन क्या वे मेरी माँ को वापस कर सकते हैं?”

सीएम को पेरारिवलन को गले लगाने से निराश अब्बास का कहना है, “हम पीड़ित हैं, वह नहीं। यह सब राजनीतिक लाभ के लिए है कि ये पार्टियाँ पेरारिवलन का समर्थन करती हैं। इन्हें हमसे मिलकर ये देखना चाहिए कि कैसे हमारा जीवन बिखर गया।”

इसी तरह से एक अन्य पीड़ित के भाई जॉन जोसेफ ने भी अपना गुस्सा जाहिर किया। दरअसल, जॉन का भाई एडवर्ड सीआई़डी का इंस्पेक्टर था और उस दिन वो पूर्व पीएम राजीव गाँधी की सुरक्षा में तैनात था। 67 साल के जॉन बताते हैं कि उनकी भाई उस दौरान केवल 39 साल का था। उसकी मौत के बाद पूरा परिवार गम के साए में डूब गया। माँ दिन की कॉर्डिएक अरेस्ट (हार्ट अटैक) से मौत हो गई। मेरी भाभी एक बच्चे के साथ विधवा हो गई।

जॉन बताते हैं कि उन्होंने ही अपने भाई के शव की पहचान की थी। उनका कहना है कि उन्होंने इंसाफ के लिए हर चौखट पर दस्तक दी, लेकिन पेरारिवलमन की रिहाई ने उनके साथ अन्याय किया है। अब वो भगवान की अदालत में इसका हिसाब चुकता करेगा।

क्या था पूरा मामला

गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी की 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में एक सुसाइड अटैक में मौत हो गई थी। उस दौरान उनके साथ-साथ 13 अन्य की भी मौत हो गई थी। बाद में पेरारिवलन को 19 साल की उम्र में ही इस हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। 1999 में पेरारिवलन को मौत की सजा सुनाई गई। आरोप ये था कि पेरारिवलन ने पूर्व पीएम की हत्या में इस्तेमाल होने वाली बेल्ट के लिए 8 वोल्ट की बैट्री खरीदा था।

इन लोगों ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका भी दायर की थी, जो लंबे वक्त से लंबित थी, जिसके कारण उनके दो अन्य मित्र मुरुगन और संथान (दोनों श्रीलंकाई) की सजा को 2014 में आजीवन कारावास में बदल दिया गया। इसके तुरंत बाद तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक सरकार ने सभी सातों को रिहा करने का आदेश दिया था।

इस मामले में कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी ने अपने पति के हत्या के दोषियों को माफ करने का फैसला किया। उन्होंने कहा था कि उन्हें इनकी रिहाई से कोई समस्या नहीं है। हालाँकि, बाकी के पीड़ितों को ये अच्छा नहीं लगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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