तेलंगाना में केसीआर सरकार ने राज्य में शराब की दुकानें खोलने की अनुमति में जाति आधारित कोटा बढ़ाने का फैसला किया है। रिपोर्टों के अनुसार, राज्य मंत्रिमंडल ने शराब की दुकानें खोलने के लिए पिछड़ी जातियों, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के समुदायों को आरक्षण देने के निर्णय को मंजूरी दी है।
हैदराबाद में सीएम के चंद्रशेखर राव की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह निर्णय लिया गया। आबकारी विभाग ने कहा है कि वो एससी और एसटी समुदायों को लाइसेंस शुल्क और आवेदन शुल्क में रियायत देना चाहता है।
इससे पहले सरकार ने घोषणा की थी कि पिछड़ी जातियों के बीच उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए, वह शराब की दुकानों के टेंडर और नीलामी में आरक्षण देगी।
TOI की रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य सरकार को केवल शराब के लाइसेंस और बिक्री से सालाना 25,000 करोड़ रुपए से अधिक राजस्व मिलता है। 2019 तक शराब की दुकानों को 4 स्लैब में बाँटा गया था, जिसे अब 6 स्लैब में बाँटा गया है। ऐसे में आने वाले महीनों में लाइसेंस फीस में 15% से 40% की बढ़ोतरी होगी। 2 लाख रुपए तक की आवेदन शुल्क भी बढ़ेगी।
नए वित्तीय वर्ष यानी 1 नवंबर से पिछड़ी जातियों (गौड़ा समुदाय) को 15% आरक्षण, अनुसूचित जाति को 10% और अनुसूचित जनजाति को 5% आरक्षण पर शराब की दुकानें खोलने की अनुमति मिलेगी।
वर्तमान में राज्य में 2,216 लाइसेंसी शराब की दुकानें हैं। सरकार कम से कम 226 और दुकाने खोलना चाहती है। नई आरक्षण नीति के तहत आरक्षित वर्ग 50 दुकानें ले सकता है।
कैबिनेट ने सड़कों की मरम्मत के लिए अतिरिक्त धनराशि को भी मंजूरी दे दी। स्वास्थ्य विभाग को नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण में तेजी लाने का निर्देश दिया गया है, ताकि शैक्षणिक वर्ष 2022-23 से कक्षाएँ शुरू हो सकें।
राज्य सरकार ने अधिकारियों को मेडिकल ऑक्सीजन का उत्पादन 280 मीट्रिक टन से बढ़ाकर 550 मीट्रिक टन करने को कहा है। इसके अलावा बच्चों में कोविड के मामलों में बढ़ोतरी होने की स्थिति से निपटने के लिए पर्याप्त बेड और चिकित्सा उपकरण तैयार रखने को कहा गया है, क्योंकि स्कूल 1 सितंबर से फिर से खुल गए हैं।