ऐसा लगता है कि तेलंगाना की सरकार शरिया कानून के हिसाब से कंगारू अदालतों के गठन का मन बना रही है। इसके लिए वक़्फ़ बोर्ड को ज्यूडिशियल पावर देने की तैयारी चल रही है। यह खुलासा ‘तेलंगाना टुडे’ की रिपोर्ट से हुआ है।
राज्य के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कोप्पुला ईश्वर ने कहा कि वक्फ बोर्ड को न्यायिक दर्जा देने के मुद्दे पर जल्द ही मुख्यमंत्री द्वारा विचार किया जाएगा। AIMIM के अकबरुद्दीन ओवैसी द्वारा उठाए गए एक सवाल के जवाब में मंत्री ने आश्वासन दिया कि तेलंगाना सरकार राज्य भर में वक़्फ़ बोर्ड की संपत्तियों की सुरक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है। साथ ही वक़्फ की जमीनों के हुए दूसरे सर्वे के लिए गैजेट नोटिफिकेशन आने में देरी को लेकर भी उन्होंने बैठक बुलाने का आश्वासन दिया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) सहित कट्टरपंथी मुस्लिम लंबे समय से भारत में शरिया अदालतें स्थापित करने की माँग कर रहे हैं। AIMPLB यहाँ तक यह दावा कर चुका है कि वह देश के प्रत्येक जिले में शरिया अदालतें स्थापित करना चाहता है।
तेलंगाना सरकार द्वारा शरिया अदालतों को वैध बनाने पर विचार करने का निर्णय खतरनाक परिणामों से भरा हुआ है। यह देश में कानून-व्यवस्था की स्थिति के लिए आफत पैदा कर सकता है। अगर इसे तेलंगाना सरकार द्वारा अधिकृत किया गया तो इसका अन्य राज्य सरकारों द्वारा अनुसरण किया जा सकता है, जो मुस्लिम कट्टरपंथियों का समर्थन हासिल करने के लिए अपने राज्यों में इसी तरह के आदेश पारित करने के लिए इसका इस्तेमाल करेंगे।
गौरतलब है कि शरिया अदालतें न्यायिक अदालतों के अधिकार को कमज़ोर कर देंगी और देश में एक समानांतर न्यायिक प्रणाली के समान होगी। इतना ही नहीं यह मुल्लों को इस्लाम और सख्ती से स्थापित करने का अवसर भी प्रदान करेगा। जो लोग इसका विरोध करेंगे उन्हें इस्लामी कानून के हिसाब से दंडित करने का अधिकार भी इन्हें मिल जाएगा। इसके जरिए मुल्ले इस्लाम के मध्ययुगीन कानून को फिर से लागू करने का दबाव भी बनाएँगे। जिसके परिणामस्वरूप राज्य में न्यायिक व्यवस्था छिन्न-भिन्न हो जाएगी।