महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) आजकल मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। उनकी पार्टी शिवसेना (Shiv Sena) के दो टुकड़े होने के बाद अब नेता के साथ-साथ कार्यकर्ता भी एक-एक कर उनका साथ छोड़ रहे हैं। वर्ली, मुंबई के 3000 से अधिक शिवसेना के कार्यकर्ता रविवार (2 अक्टूबर 2022) को एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो गए।
यह ठाकरे परिवार के लिए इसलिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि जहाँ के लोगों ने पार्टी छोड़कर शिंदे गुट को ज्वॉइन किया है, वह क्षेत्र आदित्य ठाकरे का है। उद्धव ठाकरे के बेटे और पूर्व सरकार में मंत्री आदित्य ठाकरे मुंबई के वर्ली विधानसभा क्षेत्र से ही विधायक हैं।
पार्टी सदस्यों के एक-एक करके साथ छोड़ते जाने के बाद शिवसेना पर उद्धव ठाकरे की पकड़ और दावा, दोनों कमजोर होता जा रहा है। बता दें कि एकनाथ शिंदे गुट कहता रहा है कि असली शिवसेना उनकी गुट है। वहीं, उद्धव ठाकरे अपने गुट को लेकर ऐसा दावा करते हैं।
इससे पहले 27 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को एकनाथ शिंदे समूह के असली शिवसेना होने के दावे पर फैसला लेने से रोकने से इनकार कर दिया था। दिन भर की सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने ठाकरे गुट की ओर से दायर अर्जी को खारिज कर दिया था।
जस्टिस एम.आर. शाह, कृष्णा मुरारी, हिमा कोहली और पी.एस. नरसिम्हा वाली बेंच ने कहा कि पार्टी के भीतर विवाद और पार्टी के ‘धनुष और तीर’ पर चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी। कोर्ट ने कहा था, “हम निर्देश देते हैं कि भारत के चुनाव आयोग के समक्ष कार्यवाही पर कोई रोक नहीं होगी।”
बता दें कि जून में मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महाविकास अघाड़ी सरकार से विधायक एकनाथ शिंदे शिवसेना के 39 अन्य बागी विधायकों के साथ अलग हो गए थे। वे NCP और कॉन्ग्रेस के साथ शिवसेना के गठबंधन के खिलाफ थे।
एकनाथ शिंदे और उनके साथ विधायकों बागी रवैए के बाद राज्य की उद्धव ठाकरे की सरकार गिर गई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बनाई है।
उसके बाद से ही ठाकरे और शिंदे गुट शिवसेना पर अपना दावा कर रहे हैं। शिंदे का कहना है कि उनका गुट ही असली शिवसेना है। मामला कोर्ट तक पहुँच गया है कि पार्टी की वार्षिक दशहरा रैली की मेजबानी कौन करेगा। दोनों गुटों ने रैली आयोजित करने के लिए बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) को अलग-अलग पत्र दिया था।
इसके बाद बृहन्मुंबई नगर निगम ने कानून-व्यवस्था का हवाला देते हुए दोनों गुटों को अनुमति देने से इनकार कर दिया। इसके बाद ठाकरे गुट बॉम्बे हाईकोर्ट पहुँच गया। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उद्धव ठाकरे गुट को 2 अक्टूबर से 6 अक्टूबर के बीच रैली करने की अनुमति दी है।