कॉन्ग्रेस के युवराज राहुल गाँधी की हालिया लोकसभा सीट वायनाड, अब उनकी बहन की लोकसभा सीट है। भाई के बाद बहन को वायनाड ने संसद भेजा है, लेकिन उसी वायनाड की हालत खराब है। जनजातीय लोगों पर अत्याचार हो रहा है और प्रशासन भी उनकी अनदेखी कर रही है। वायनाड से हाल ही में दो दर्दनाक घटनाएँ सामने आई हैं, जिन्होंने प्रशासन और राजनीति दोनों की पोल खोल दी है। पहली घटना में 76 वर्षीय चूंडम्मा का शव एंबुलेंस न मिलने की वजह से ऑटोरिक्शा में ले जाया गया। शव का कुछ हिस्सा ऑटोरिक्शा से बाहर लटकता दिखा, जो प्रशासन की बदइंतजामी का शर्मनाक उदाहरण है। दूसरी घटना में 49 वर्षीय जनजातीय युवक माथन को मुस्लिम युवकों के ग्रुप ने कार से आधे किलोमीटर तक घसीटा, जिससे उनके शरीर पर गंभीर चोटें आईं।
जनजातीय बुजुर्ग महिला के शव को ऑटोरिक्शा में ले गए परिजन
पहली खबर में वॉयनाड की 76 वर्षीय वृद्ध महिला चूंडम्मा के शव को अंतिम संस्कार के लिए ऑटोरिक्शा पर ले जाना पड़ा। घटना सोमवार (16 दिसंबर 2024) को तब हुई जब चूंडम्मा का निधन उनके घर पर हुआ और परिवार ने शव को श्मशान ले जाने के लिए जनजातीय विकास विभाग से एंबुलेंस माँगा, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी एंबुलेंस नहीं आई। मजबूर होकर परिजनों ने ऑटोरिक्शा बुलाया और शव को उसमें ले जाया गया। शव को एक चादर में लपेटा गया था और अंतिम यात्रा में शव का कुछ हिस्सा ऑटोरिक्शा से बाहर लटकता हुआ दिखाई दिया।
इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया तथा समाचार चैनलों पर तेजी से वायरल हो गए। इसके बाद कॉन्ग्रेसी कार्यकर्ताओं ने जनजातीय विकास विभाग के दफ्तर के सामने प्रदर्शन किया। कॉन्ग्रेस ने प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ कार्रवाई की माँग की। हालाँकि, अधिकारियों ने इस घटना के लिए स्थानीय पदाधिकारी को दोषी ठहराया, जिन्होंने समय पर विभाग को एंबुलेंस की आवश्यकता के बारे में सूचित नहीं किया। उन्हें तत्काल निलंबित कर दिया गया है। वैसे, ये इलाका केरल सरकार के जनजातीय मामलों के मंत्री ओ आर केलू का है, जिन्हें इस घटना से कोई फर्क नहीं पड़ा।
जनजातीय व्यक्ति को कार से लटकाकर आधे किमी दूर तक घसीटा
वहीं, वायनाड के मंनथवडी क्षेत्र में रविवार (15 दिसंबर 2024) को एक अन्य घटना हुई, जहाँ 49 वर्षीय जनजातीय व्यक्ति माथन को कार से आधे किलोमीटर तक घसीटा गया। हमलावरों ने माथन पर उस समय हमला किया जब वह अपने भाई वीनू के साथ एक दुकान पर सामान खरीदने गए थे। आरोपितों की पहचान मोहम्मद अर्शिद, अभिराम, विष्णु और नावील कमार के रूप में हुई है। पुलिस ने घटना में इस्तेमाल कार (मारुति सेलेरियो, KL 52 H 8733) को जब्त कर लिया है। ये कार मलप्पुरम जिले के कुट्टीपुरम निवासी मोहम्मद रियास के नाम पर है।
हमलावरों ने पहले पत्थरबाजी की और फिर माथन को कार से बाँधकर घसीटा। माथन के पैर और हाथों पर गहरे जख्म हुए हैं। उनका इलाज वायनाड मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों के मुताबिक, उनके पैरों का मांस पूरी तरह से उधड़ चुका है और उनकी स्थिति गंभीर बनी हुई है।
बीजेपी ने उठाए सेलेक्टिव अप्रोच पर सवाल
इन दोनों घटनाओं को लेकर बीजेपी के केरल अध्यक्ष के. सुरेंद्रन ने वायनाड की स्थिति और कॉन्ग्रेस के रवैये पर सवाल उठाए। उन्होंने ट्वीट किया, “केरल के नकली बौद्धिक उत्तर भारत की घटनाओं पर शोर मचाते हैं, लेकिन वायनाड के मंथवडी में एक जनजातीय युवक को कार से घसीटे जाने की घटना पर चुप्पी साध लेते हैं। यह सेलेक्टिव गुस्सा क्यों? क्या यह इसलिए है क्योंकि यह घटना आपके नैरेटिव को सूट नहीं करती?” उन्होंने प्रियंका के साथ ही मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को भी मेंशन किया।
Pseudo-intellectuals in Kerala cry hoarse about incidents in North India, yet stay eerily silent when a tribal youth is brutally dragged by a car in Mananthavady, Wayanad. Why this selective outrage? Is it because the incident doesn’t serve your narrative?@priyankagandhi… pic.twitter.com/bN1dYFPTHK
— K Surendran (@surendranbjp) December 17, 2024
उन्होंने साफ तौर पर प्रियंका गाँधी और केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन पर निशाना साधते हुए पूछा कि इन संवेदनशील घटनाओं पर आखिर क्यों चुप्पी साध ली गई है। सुरेंद्रन ने आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस और वामपंथी सरकार वायनाड के जनजातीय समाज के मुद्दों को अनदेखा कर रही हैं।
राहुल और प्रियंका का सेलेक्टिव अप्रोच कितना सही?
प्रियंका गाँधी वाड्रा के लोकसभा क्षेत्र वायनाड की ये दोनों घटनाएँ केरल की राजनीतिक और प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं। एक ओर चूंडम्मा का शव ऑटोरिक्शा पर ले जाना सरकार और स्थानीय प्रशासन की घोर लापरवाही का उदाहरण है। दूसरी ओर, माथन के साथ हुई बर्बरता यह दिखाती है कि किस प्रकार जनजातीय समुदाय आज भी शोषण और हिंसा का शिकार हो रहे हैं।
यह विडंबना है कि वायनाड जैसे संसदीय क्षेत्र, जहाँ कभी राहुल गाँधी सांसद थे और अब उनकी बहन प्रियंका गाँधी प्रतिनिधित्व कर रही हैं, वहाँ जनजातीय समुदाय के लोग इस प्रकार के अपमानजनक हालात झेलने को मजबूर हैं। कॉन्ग्रेस द्वारा पहली घटना पर प्रदर्शन करना और दूसरी घटना पर चुप्पी साध लेना वोटबैंक की राजनीति को स्पष्ट करता है। अगर देखें, तो जहाँ आपके राजनीतिक फायदे की बात होती है, तो कहीं आप पैदल (किसान आंदोलन, ट्रैफिक) जाने को भी तैयार हो जाते हैं। तो कहीं महीनों बाद किसी मुद्दे को जिंदा करने के लिए हाथरस पहुँच जाते हैं। लेकिन जिस जगह से अब आपकी बहन आपकी जगह सांसद चुनी जा चुकी हैं, तब आप (राहुल-प्रियंका) इतनी बड़ी घटनाओं पर भी चुप्पी साध लेते हैं।
वैसे, वायनाड के जनजातीय समुदाय की उपेक्षा कोई नई बात नहीं है। वर्षों से उनकी समस्याएँ चाहे स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी हो, शिक्षा में पिछड़ापन हो, या फिर प्रशासनिक उपेक्षा – इनका समाधान करने के बजाए राजनीतिक पार्टियाँ खासकर केरल में बारी-बारी से सत्ता सुख भोग रहीं कॉन्ग्रेस और लेफ्ट पार्टियाँ सिर्फ चुनावों के समय सक्रिय दिखाई देती हैं। माथन के साथ हुई घटना में आरोपियों का मुस्लिम होना और कॉन्ग्रेस का इस मुद्दे पर मौन रहना सवाल खड़े करता है कि क्या ये फायदा देखकर मुँह खोलने वाली राजनीति नहीं है?