20 अगस्त को 2020 को हमने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के बारे में एक इनवेस्टिगेटिव रिपोर्ट प्रकाशित की थी। इसके तहत हमने ‘यूनाइटेड नेशन’ से जुड़े एक जापान आधारित गैर-लाभकारी संगठन से कोरोना वायरस महामारी के बीच ममता सरकार के काम को सराहने और राज्य मंत्री निर्मल माजी को प्रशंसा-पत्र भेजने की पड़ताल की थी। इस ‘अच्छी खबर’ को सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से भी शेयर किया गया था।
ऑपइंडिया की स्टोरी के बाद, TMC ने पश्चिम बंगाल सरकार को मिले प्रशंसा-पत्र वाला ट्वीट चुपके से डिलीट कर दिया। हालाँकि, डॉ. निर्मल माजी के ट्विटर टाइमलाइन पर अभी भी यह पत्र उपलब्ध है।
समाचार एजेंसी पीटीआई ने UNWPA को ‘UN से जुड़े एनजीओ’ के रूप में प्रकाशित किया और यही दावा कई अन्य मीडिया संस्थानों द्वारा भी किया गया। यह पत्र TMC और ममता बनर्जी के समर्थकों द्वारा बड़े स्तर पर सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा था। हालाँकि हमने अपनी पड़ताल के समय ऐसा कोई प्रमाण नहीं पाया।
इस संस्था ने खुद को ‘यूनाइटेड नेशन’ से जुड़ा हुआ बताया था, जबकि जिस यूनाइटेड नेशंस की प्रशंसा का कोई व्यक्ति या देश या फिर राज्य इन्तजार कर सकता है, वह ‘यूनाइटेड नेशंस’ (United Nations) है, ना कि ‘यूनाइटेड नेशन (United Nation)!’
सच्चाई यह है कि ममता बनर्जी के ‘साम्राज्य’ को कोरोना वायरस महामारी में अच्छे काम के लिए ‘प्रमाण-पत्र’ मिला था। हालाँकि, यह पत्र जापान के संगठन द्वारा नहीं, बल्कि इसके भारत के प्रतिनिधि यानी, महामहिम पिंकी दत्ता उर्फ प्रिया दत्ता, जो मोदी विरोधी और ममता बनर्जी की बड़ी समर्थक हैं, द्वारा बेहद खराब भाषा में लिख कर दिया गया था। इसके अलावा, यह संगठन संयुक्त राष्ट्र (UN) से जुड़ा नहीं है, लेकिन उसके जैसा प्रतीत जरूर होता है।
जब ऑपइंडिया ने इन सम्बन्ध में UNWPA से सम्पर्क कर पूछा कि क्या यूनाइटेड नेशन ने वास्तव में ममता बनर्जी सरकार को पत्र लिखकर उन्हें सम्मानित किया, तो उन्होंने बताया कि मीडिया में चलाई जा रही इस इस प्रकार की बातें एकदम फर्जी हैं और ऐसा कोई पत्र जारी नहीं किया गया है। दो घंटे बाद, संगठन ने फिर से ऑपइंडिया को जवाब दिया। इस बार यह दावा करते हुए लिखा कि हालाँकि, उन्होंने (जापान कार्यालय) पत्र नहीं लिखा था, लेकिन सम्भवतः भारत स्थित कार्यालय, जो कि एचई पिंकी दत्ता उर्फ प्रिया दत्ता द्वारा चलाया जाता है, ने जारी किया हो।
यह खबर टाइम्स ऑफ इंडिया, डेक्कन हेराल्ड और आउटलुक सहित कई समाचार पोर्टलों और कई अन्य लोगों द्वारा कवर की गई। पीटीआई का दावा था कि ममता बनर्जी के ‘साम्राज्य’ की प्रशंसा करने वाला यह ‘एनजीओ’ एक गैर-लाभकारी संगठन (नॉन प्रोफिटेबल आर्गेनाइजेशन) है, जो संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के नागरिक विभाग के साथ पंजीकृत है।
इस NGO की वेबसाइट पर भी कोई लिंक, रजिस्ट्रेशन नंबर के साथ ही UN से इसकी वैधता सम्बन्धी किसी भी प्रकार का कोई दस्तावेज मौजूद नहीं था। इसके अलावा इस संस्था की वेबसाइट पर इसके सोशल मीडिया एकाउंट्स की आधे से ज्यादा लिंक काम नहीं कर रही थे या फिर वो अकाउंट मौजूद ही नहीं थे।
इन सब चीजों को देखकर मन में संदेह होना चाहिए था, सवाल उठना चाहिए था, लेकिन ऐसा लगता है कि ममता बनर्जी और तृणमूल कॉन्ग्रेस की सराहना करने की उत्सुकता में मीडिया ने इसे नजरअंदाज कर दिया था।