राजस्थान में जारी राजनीतिक संकट के बीच इनकम टैक्स विभाग (IT) के 200 अधिकारियों ने अशोक गहलोत, उनके बेटे वैभव व उनके करीबियों से जुड़े कई ठिकानों पर छापेमारी की। राज्य में कॉन्ग्रेस के दूसरे नंबर के नेता सचिन पायलट ने बगावती तेवर अपना लिए हैं और अशोक गहलोत सरकारी मशीनरी का उपयोग कर के किसी तरह सरकार गिराने से बचने ने लिए लगे हुए हैं।
इसी बीच इनकम टैक्स (IT) विभाग की कार्रवाई से उनकी मुश्किलें बढ़ सकती हैं। न सिर्फ इनकम टैक्स बल्कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भी राजस्थान में कई ठिकानों पर छापेमारी की है। इसमें सबसे प्रमुख है जयपुर के एक पाँच सितारा होटल पर छापा।
इस होटल के सबसे बड़े निवेशक रतनकांत शर्मा पर पहले भी आरोप लगते रहे हैं कि वो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव के लिए मनी लॉन्ड्रिंग करता है। इनकम टैक्स (IT) विभाग ने कॉन्ग्रेस नेता धर्मेंद्र राठौड़ और ज्वेलरी व्यवसायी राजीव अरोड़ा के दर्जन भर ठिकानों पर भी छापेमारी की।
इन दोनों को गहलोत का करीबी माना जाता है। जयपुर, कोटा, दिल्ली और मुंबई सहित कई शहरों में छापेमारी जारी है। कहा जा रहा है कि टैक्स मे गड़बड़ी की एक शिकायत के बाद ये कार्रवाई की जा रही है। इसमें देश से बाहर से लेन-देन का मामला भी शामिल है। हालाँकि, कॉन्ग्रेस नेता छापेमारी की टाइमिंग पर सवाल खड़े कर के इसे राजस्थान के मौजूदा राजनीतिक संकट से जोड़ कर देख रहे हैं।
कॉन्ग्रेस नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने आरोप लगाते हुए कहा कि आखिर अंत में भाजपा के वकील लोग मैदान में उतर ही गए। उन्होंने पूछा कि जब जयपुर में इनकम टैक्स (IT) विभाग पहुँच ही गया है तो फिर ईडी (ED) कब आएगी? इसे संयोग ही कह सकते हैं कि उनके इस ट्वीट के बाद ईडी (ED) ने भी अपनी कार्रवाई शुरू कर दी। दरअसल, ईडी को सूचना मिली थी कि मैनेजमेंट एक्ट 1999 का उल्लंघन करते हुए मॉरीशस के रास्ते कालधान ट्रांसफर किया गया है।
बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत पर 2015 में पहली बार मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा था। तभी इस मामले में जाँच की माँग की गई थी। मॉरीशस स्थित कम्पनी शिवनार होल्डिंग लिमिटेड और स्थानीय कम्पनी ‘ट्राइटन होटल्स एन्ड रिसोर्स प्राइवेट लिमिटेड’ के बीच अवैध ट्रांजैक्शन को लेकर जाँच चल रही है। इस कम्पनी के लीगल एडवाइजर वैभव गहलोत ही थे।
2015 में ईडी (ED) के जयपुर स्थित जोनल ऑफिस में शिकायत आई थी कि मॉरीशस की एक कम्पनी के जरिए हुए विदेशी लेनदेन में वैभव गहलोत ने वित्तीय लाभ प्राप्त किया है। सूरज कुमार सोनी और राजकुमार शर्मा ने ये शिकायतें दर्ज कराई थीं। राजस्थान के तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र राठौड़ ने भी इन आरोपों को दोहराया था। इस मामले में ईडी को कई दस्तावेज भी उपलब्ध कराए गए थे।
Investor Ratan Kant Sharma, close aide of Chief Minister #AshokGehlot‘s son, is under the agency’s scanner.
— IANS Tweets (@ians_india) July 13, 2020
Sharma had allegedly received around Rs 96.7 crore from Mauritius and has stakes in Hotel Fairmont. Sharma & #VaibhavGehlot are business partners.@dir_ed pic.twitter.com/AinxikqxVB
आरोप है कि जुलाई 2011 में शिवनार ने ट्राइटन के 2500 शेयर्स ख़रीदे। शिवनार होल्डिंग लिमिटेड को जुलाई 2006 में रजिस्टर किया गया था। आरोप है कि ये एक फर्जी कम्पनी है, जिसका निर्माण ही कालाधन के लेन-देन के लिए किया गया था। वकील सोनी का आरोप है कि ये गहलोत का ही कालाधन था। वहीं ट्राइटन होटल को मार्च 2007 में रतनकान्त शर्मा के नाम से रजिस्टर किया गया था, जो वैभव गहलोत के पुराने मित्र हैं।
वैभव को कम्पनी का लीगल एडवाइजर रहते 50,000 रुपए की सैलरी मिलती थी, ऐसा आरोप है। भाजपा नेता किरीट सोमैया ने 2013 में इन आरोपों को दोहराया था। 2011 में राजस्थान में अशोक गहलोत और उनके बेटे से जुड़े कई कंपनियों को सैकड़ों करोड़ के सरकारी कॉन्ट्रैक्ट्स देने का मामला सामने आया था। वैभव ‘ओम मेटल्स’ से भी जुड़े थे, जहाँ उन्हें 10,000 रुपए की सैलरी मिलती थी।
मई 2010 में इस कम्पनी को हाइड्रो पॉवर का 457 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। कोटा के पास कालीसिंध नदी पर बाँध बनाने के लिए ये कॉन्ट्रैक्ट दिया गया था। इसके बाद इस कम्पनी को जयपुर और भीलवाड़ा के बीच 200 किलोमीटर सड़क बनाने के लिए 250 करोड़ रुपए का कॉन्ट्रैक्ट दिया गया। वैभव ने सनलाइट टूर एंड ट्रैवेल्स नामक कम्पनी बना कर इसे अपने दोस्त को बेच दिया था।
उधर राजस्थान के राजनीतिक संकट पर छत्तीसगढ़ के कॉन्ग्रेस प्रभारी पीएल पूनिया ने कहा है कि सचिन पायलट अब बीजेपी में हैं। उन्होंने कहा, “हम सभी जानते हैं कि कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रति भाजपा का रवैया कैसा है। हमें भाजपा से प्रमाण-पत्र की आवश्यकता नहीं है। कॉन्ग्रेस पार्टी में सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का सम्मान किया जाता है।”