नेतृत्व में बदलाव को लेकर 23 वरिष्ठ नेताओं की ओर से लिखे पत्र पर कॉन्ग्रेस में विवाद अभी शांत भी नहीं हुआ है। इसी बीच, यूपी कॉन्ग्रेस के नौ निष्कासित सदस्यों ने सोनिया गॉंधी को खुला पत्र लिखकर नेतृत्व पर सवाल उठाए हैं।
पिछले साल पार्टी से निष्कासित नौ वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेताओं ने अंतरिम अध्यक्ष भेजे पत्र में कहा है कि वह पार्टी को महज ‘इतिहास’ का हिस्सा बनकर रह जाने से बचा लें। चार पन्नों के पत्र में यूपी की प्रभारी व पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी को परोक्ष रूप से निशाने पर लेते हुए सोनिया गाँधी से परिवार से ऊपर उठने का आग्रह किया गया है। पत्र में लिखा गया है, ‘परिवार के मोह से ऊपर उठें’ और पार्टी की लोकतांत्रिक परंपराओं को पुनर्स्थापित करें।
पूर्व सांसद संतोष सिंह, पूर्व मंत्री सत्यदेव त्रिपाठी, पूर्व विधायक विनोद चौधरी, भूधर नारायण मिश्रा, नेकचंद पांडे, स्वयं प्रकाश गोस्वामी और संजीव सिंह के दस्तखत वाले पत्र में कहा गया है कि कॉन्ग्रेस उत्तर प्रदेश में अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है।
‘मिलने के लिए एक साल से माँग रहे अपॉइंटमेंट’
पत्र में आगे कहा गया है, “इस बात की आशंका है कि आपको राज्य मामलों के प्रभारी द्वारा मौजूदा स्थिति से अवगत नहीं कराया जा रहा है। हम लगभग एक साल से आपसे मिलने के लिए अपॉइंटमेंट की माँग कर रहे हैं, लेकिन मना कर दिया जाता है। हमने अपने निष्कासन के खिलाफ अपील की थी जो अवैध था, लेकिन केंद्रीय अनुशासन समिति को भी हमारी अपील पर विचार करने का समय नहीं मिला।”
वेतनभोगियों का पार्टी पर कब्जा
पत्र में दावा किया गया है कि पार्टी के पदों पर उन लोगों का कब्जा है जो वेतन के आधार पर काम कर रहे हैं और पार्टी के प्राथमिक सदस्य भी नहीं हैं। पत्र में कहा गया है, “ये नेता पार्टी की विचारधारा से परिचित नहीं हैं, लेकिन उन्हें यूपी में पार्टी को दिशा देने का काम सौंपा गया है।”
‘लोकतांत्रिक मानदंडों की धज्जियाँ उड़ाई जा रहीं’
इसमें आगे कहा गया है कि ये लोग उन नेताओं के प्रदर्शन का आकलन कर रहे हैं जो 1977-80 के संकट के दौरान कॉन्ग्रेस के साथ चट्टान की तरह खड़े थे। लोकतांत्रिक मानदंडों की धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं और वरिष्ठ नेताओं को निशाना बनाया जा रहा है, अपमानित किया जा रहा है, निकाला जा रहा है। उनका कहना है कि उन्हें उनके निष्कासन के बारे में भी मीडिया से ही पता चला था, जिससे राज्य इकाई में नई कार्य संस्कृति का पता चलता है।
नेताओं और कार्यकर्ताओं में संवाद की कमी
पत्र में आरोप लगाया गया है कि नेताओं और पार्टी के कार्यकर्ताओं के बीच संवाद की कमी है। इन नेताओं ने कहा है कि यूपी में एनएसयूआई और युवा कॉन्ग्रेस निष्क्रिय से हो गए हैं। कॉन्ग्रेस आलाकमान से वरिष्ठ नेताओं के साथ संवाद को बढ़ावा देने का आग्रह किया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर मौजूदा मामलों की ओर आँख मूँद लिया गया तो कॉन्ग्रेस को यूपी में तगड़ा नुकसान होगा, जो कभी पार्टी का गढ़ हुआ करता था। यह पत्र ऐसे समय में आया है जब पार्टी उत्तर प्रदेश में पहले से ही गुटबाजी, मतभेदों का सामना कर रही है।
गौरतलब है कि पिछले दिनों कॉन्ग्रेस के 23 नेताओं ने पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी को चिट्ठी लिखकर ऊपर से नीचे तक बदलाव की माँग की थी। चिट्ठी लिखने वालों में 5 पूर्व सीएम, कॉन्ग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य, सांसद और कई पूर्व केंद्रीय मंत्री शामिल थे।
इस चिट्ठी के बाद सोनिया गाँधी के वफादार गुट की इन नेताओं के साथ जमकर विवाद हुआ था और सोनिया के वफादार नेताओं ने इनकी तीखी आलोचना की थी। कॉन्ग्रेस कार्य समिति की बैठक में भी यह छाया रहा।