Tuesday, November 5, 2024
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फुरफुरा शरीफ के लिए ममता बनर्जी ने खोला खजाना, चुनावी गणित बिगाड़ सकते हैं ‘भाईजान’

फुरफुरा शरीफ दरगाह देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार है। इस दरगाह का दक्षिण बंगाल के इलाकों में काफी प्रभाव माना जाता है। इस दरगाह से जुड़े ‘भाईजान’ नाम से मशहूर पीरजादा सिद्दीकी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने तृणमूल की परेशानियॉं पहले ही बढ़ा रखी है।

पश्चिम बंगाल में आठ चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव का ऐलान हो चुका है। आदर्श अचार संहित लागू होने से कुछ ही घंटों पहले ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल कॉन्ग्रेस सरकार ने फुरफुरा शरीफ के विकास के लिए 2.60 करोड़ रुपए आवंटित किया।

वित्त विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह फंड मुख्य रूप से 20 ऊँचे खंभों और 400 एलईडी स्ट्रीट लाइट एवं तीर्थ के अन्य सौंदर्यीकरण परियोजनाओं के लिए उपयोग किया जाएगा। वित्त वर्ष 2020-21 में, वित्त विभाग ने कम से कम 60 योजनाओं और फुरफुरा शरीफ विकास प्राधिकरण के लिए लगभग 20 करोड़ रुपए आवंटित किए।”

राजस्थान के अजमेर शरीफ के बाद टालटोला स्थित फुरफुरा शरीफ दरगाह देश की दूसरी सबसे बड़ी सूफी मजार है। इस दरगाह का दक्षिण बंगाल के इलाकों में काफी प्रभाव माना जाता है। इस दरगाह से जुड़े ‘भाईजान’ नाम से मशहूर पीरजादा सिद्दीकी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा ने तृणमूल की परेशानियॉं पहले ही बढ़ा रखी है। लिहाजा इस ऐलान को समुदाय विशेष के मतदाताओं को लुभाने की कवायद से जोड़कर देखा जा रहा है।

बताया जा रहा है कि ममता बनर्जी ने यह फैसला इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) के नेता और फुरफुरा शरीफ दरगाह के मौलाना अब्बास सिद्दीकी के डर से किया है। बता दें कि ममता की पार्टी में कई नेताओं की बगावत के बाद अब एक और राजनीतिक दल इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) बंगाल में चर्चा का विषय है। इस राजनीतिक फ्रंट को बनाने वाले फुरफुरा शरीफ दरगाह के प्रमुख पीरजादा अब्बास सिद्दीकी हैं।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी की एंट्री से भी तृणमूल कॉन्ग्रेस के खेमे में बेचैनी है, क्योंकि ममता बनर्जी ने पिछले एक दशक में मुस्लिम तुष्टिकरण को लेकर खासी सक्रियता दिखाई है। अब पश्चिम बंगाल में ओवैसी को बंगाल के सबसे प्रभावशाली मौलानाओं में से एक अब्बास सिद्दीकी का साथ मिल रहा है। विश्लेषक मानते हैं कि 2011 में मुस्लिम वोट बैंक के सहारे ही ममता बनर्जी ने साढ़े 3 दशक से सत्ता पर काबिज वामपंथियों को हराया था।

बता दें कि सिद्दीकी का असदुद्दीन ओवैसी को समर्थन देना राज्य में मुस्लिम वोटों की बड़ी गोलबंदी की ओर इशारा करता है, जिसका सीधा प्रभाव ममता बनर्जी पर पड़ने वाला है। कयास लगाए जा रहे हैं कि सिद्दीकी तृणमूल के बंगाली मुस्लिम वोट का एक बड़ा हिस्सा छीन सकते हैं। ये वो वोट होंगे, जो अब तक दक्षिण बंगाल में तृणमूल के साथ थे और उत्तरी बंगाल में में कॉन्ग्रेस के साथ!

गौरतलब है कि हाल ही में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के नेता फिरहाद हकीम को आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करते हुए कोलकाता की एक मस्जिद में राजनीतिक भाषण देते हुए पाया गया था। फिरहाद हकीम ने कहा कि यदि राज्य में फिर से ममता बनर्जी की सरकार बनती है तो इमामों को दिया जाने वाला भत्ता (मानदेय) बढ़ा दिया जाएगा। उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य में मुस्लिम मौलवियों की मासिक आय बढ़ाने की उनकी योजना है। दिलचस्प बात यह है कि उनके बगल में बैठे इमाम ने दर्शकों से ‘आमीन’ कहने का आग्रह किया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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