अब जब केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार (1 फरवरी, 2022) को वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए देश का आम बजट पेश किया। यहाँ हम आपको बताएँगे कि इस बजट में कृषि को लेकर क्या है और किसानों को क्या मिलेगा। कृषकों के लिए नई परियोजनाओं से लेकर इस क्षेत्र के लिए वित्त के आवंटन की बात करेंगे। साथ ही पिछले वर्ष के बजट से इसकी समीक्षात्मक तुलना करते हुए बताएँगे कि किसानों के लिए क्या हुआ है और आगे क्या किए जाने की योजना है।
1 वर्ष तक चले ‘किसान आंदोलन’ की परिणीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कृषि सुधार के लिए लाए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने से हुई। अब भी कई तथाकथित किसान नेता मोदी सरकार को किसान विरोधी बताते हुए घूमते रहते हैं। पंजाब में किसान नेताओं का एक गुट मिल कर चुनाव भी लड़ रहा है। उत्तर प्रदेश में राकेश टिकैत भाजपा और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बयान दे रहे हैं। वामपंथियों ने किसानों की आड़ में अपना उल्लू खूब सीधा किया। ऐसे में सभी की नजर इस बजट में कृषि एवं किसानों के लिए प्रावधान पर लगी है।
कृषि क्षेत्र में समावेशी विकास की बात करते हुए केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रबी 2021-22 में गेहूँ की खरीद और खरीफ 2021-22 में धान की अनुमानित खरीद के बारे में बताया। उन्होंने जानकारी दी कि 1.63 करोड़ किसानों से 1208 लाख मीट्रिक टन गेहूँ एवं धान की खरीद होगी और ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)’ का 2.37 लाख करोड़ रुपए का भुगतान सीधे उनके खाते में किया जाएगा। बता दें कि ‘डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर’ से बिचौलियों की भूमिका ख़त्म हो गई है।
अपने बजट संभाषण में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि देश भर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जाएगा, जिसके प्रथम चरण में गंगा नदी के 5 किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर्स में आने वाले किसानों की जमीनों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। साथ ही वर्ष 2023 को ‘राष्ट्रीय खाद्यान्न वर्ष’ के रूप में घोषित किया गया है। इसमें फसलों के उत्पादन के बाद मूल्य संवर्धन, घरेलू खपत को बढ़ाने और खाद्यान्न उत्पादों की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग करने के लिए सहायता दी जाएगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने बताया कि तिहलनों के आयात पर अपनी निर्भरता को कम करने के लिए तिलहनों के घरेलू उत्पादन को बढ़ाने के उद्देश्य से एक तर्कसंगत और व्यापक योजना चलाई जाएगी। किसानों को डिजिटल और हाइटेक सेवाएँ प्रदान करने के लिए ‘पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP)’ के माध्यम से एक योजना शुरू की जाएगी, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विस्तार संस्थानों के साथ-साथ निजी एग्रीटेक प्लेयर्स और स्टेकहोल्डर्स (जो कि एग्रीवेल्यू चैन के होंगे) शामिल होंगे।
केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा, “कृषि फसलों का आकलन करने, भू-दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन करने, कीटनाशकों का छिड़काव करने और पोषक तत्वों के लिए ‘किसान ड्रोन्स’ के प्रयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। राज्यों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जाएगा कि वे अपनी कृषि विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में संशोधन कर सकें। ऐसा इसीलिए, ताकि प्राकृतिक, जीरो-बजट और आर्गेनिक फार्मिंग, आधुनिक कृषि, मूल्य संवर्धन और प्रबंधन की जरूरतों को पूरा किया जा सके।
बजट में ये भी घोषणा की गई कि मिश्रित पूंजीयुक्त एक कोष, जो कि सह-निवेश मॉडल के अंतर्गत तैयार किया गया होगा, के लिए ‘राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD)’ से सहायता प्रदान की जाएगी। इसका उद्देश्य कृषि और ग्रामीण उद्यमों के लिए स्टार्ट-अप्स, जो कि कृषि उत्पाद और उनके मूल्यों से सम्बंधित होंगे, को वित्तपोषित करना है। इन स्टार्ट-अप्स के क्रियाकलापों में अन्य बातों के अलावा FPO को सहायता, कृषि स्तर पर किराया के आधार पर किसानों को विकेन्द्रीकृत मशीनरी उपलब्ध कराना और प्रौद्योगिकी, जिनमें आईटी आधारित समर्थन शामिल है, जैसे कार्य आएँगे।
साथ ही रासायनिक उर्वरकों पर भी किसानों की निर्भरता कम की जाएगी। कृषि क्षेत्र में पोषण युक्त खेती के लिए ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की योजना है। छात्र आधुनिक और जीरो बजट खेती के बारे में अच्छे से समझें, इसीलिए राज्यों के विश्वविद्यालयों में इस सम्बन्ध में उन्हें पढ़ाया जाएगा। पाठ्यक्रमों में बदलाव होगा। प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र और राज्य मिल कर योजनाएँ पेश करेंगे। तिलहनों के उत्पादन में वृद्धि से आयत पर निर्भरता कम होगी।
इन सबके अलावा, गंगा कॉरिडोर और इसके आसपास के इलाकों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने का निर्णय लिया गया है। केन-बेतवा परियोजना के लिए 44,605 करोड़ रुपयों के वित्त का प्रावधान किया गया है। इससे 9 लाख हेक्टेयर में किसानों को सिंचाई का पानी उपलब्ध हो जाएगा। कुल मिला कर देखें तो इस आम बजट में प्राकृतिक खेती पर जोर है, रसायनों पर किसानों की निर्भरता कम करना है, उन्हें MSP से सीधे भुगतान देने की योजना है और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना है। फलों-सब्जियों की खेती को भी बढ़ावा दिया जाएगा।
केन-बेतवा परियोजना का उद्देश्य न सिर्फ 9.08 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराना, बल्कि 62 लाख लोगों के लिए पेयजल की आपूर्ति करना, 103 मेगावाट हाइड्रो और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा का उत्पादन करना भी है। इस परियोजना के लिए संशोधित अनुमान 2021-22 में 4300 करोड़ रुपए और 2022-23 में 1400 करोड़ रुपए का आवंटन किया गया है। ‘फाइव रीवर लिंक्स (दमनगंगा-पिनजाल, पार-तापी-नर्मदा, गोदावरी-कृष्णा, कृष्णा-पेन्नार और पेन्नार-कावेरी) के ड्राफ्ट DPR को अंतिम रूप से तैयार कर लिया गया है। राज्यों से सहमति होते ही इस पर काम चालू हो जाएगा।