Monday, November 18, 2024
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‘मजाक’ में PM की माँ-बहन को गाली, देश तोड़ने की बात: कॉन्ग्रेस के खास संस्कारों की झाँकी है जाकिर हुसैन

जिस संस्कार में पले-बढ़े लोग मजाक में पीएम की मॉं-बहन को गाली और देश के टुकड़े होने की बात करते हैं, असल जिंदगी में उनके कारनामे कैसे होते होंगे? इन्हीं कारनामों की उपलब्धि है कि जिस चीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट ‘द ग्रेट फायरवॉल’ के जरिए ब्लॉक कर दी जाती है, वहॉं राहुल गाँधी की वेबसाइट पर कोई रोक नहीं होती।

संस्कार का मोटे तौर पर अर्थ होता है, अपने भीतर सद्गुणों का विकास। सनतान धर्म में तो बकायदा जन्म से मृत्यु तक 16 संस्कार बताए गए हैं। शिशु जब मॉं के गर्भ में होता तभी से इसकी शुरुआत हो जाती है। इन सबका मकसद तन, मन, आत्मा की शुद्धता से है, ताकि वह व्यक्ति समाज के अनुकूल बने। सकारात्मक समाज का निर्माण करे।

इसलिए संस्कार बेहद सकारात्मक और पवित्र शब्द है। लेकिन, कलियुग में सब अपने-अपने हिसाब से शब्दों की व्याख्या कर लेते हैं। अपनी नीचता को भी संस्कार की चादर ओढ़ा देते हैं। जैसे, पाकिस्तान का संस्कार आतंकवाद है, चीन की धोखेबाजी, वैसे ही कॉन्ग्रेस का भी अपना एक अलग, विशेष संस्कार है।

इस संस्कार में पले-बढ़े कॉन्ग्रेसी ‘मजाक’ में प्रधानमंत्री की माँ-बहन को गाली दे देते हैं। देश के टुकड़े होने की बात करते हैं।

यह हम नहीं कह रहे। यह कहना है कॉन्ग्रेस नेता जाकिर हुसैन का। जाकिर लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (एलएएचडीसी) का पार्षद था। उसका एक ऑडियो वायरल हुआ था। इसमें वह देश की सेना और प्रधानमंत्री के लिए बेदह आपत्तिजनक बातें कर रहा था।

अब इस ऑडियो को लेकर जाकिर का कहना है, “दोस्त के साथ मजाक में बात हुई थी। उसने धोखा किया। मुझे हमेशा से देश और लोगों पर नाज है। भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए माफी चाहता हूँ। ऐसा दोबारा नहीं होगा।”

अब यह जानिए कि जाकिर ने क्या कहा था, जिसे अब वह मजाक में हुई बात बता रहा। गलवान की घटना पर जाकिर अपने एक दोस्त से बात कर रहा होता है। इस दौरान उसका दोस्त कहता है कि अगर उसने कुछ पैसे जमा किए हुए हैं, तो वह उसके पास आ जाए, वह उसे मकान दिला देगा। इस पर जाकिर उसे आश्वस्त करता है कि आगे कुछ होने वाला नहीं है। वह कहता है, “सब ठीक हो जाएगा। बस लेह का आधा हिस्सा चाइना लेना चाहिए। फिर पता है क्या होगा… दिल्ली में मोदी की माँ-बहन हो जाएगी…। लद्दाख यूटी के फिर हजार टुकड़े हो जाएँगे।”

ऑडियो वायरल होने के बाद जाकिर पर एफआईआर दर्ज हुई और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। एलएएचडीसी से भी उसे निलंबित कर दिया। मामले के तूल पकड़ने के बाद कॉन्ग्रेस ने भी उसे निष्कासित कर दिया है।

लेकिन सवाल जाकिर का नहीं है। सवाल उस कॉन्ग्रेसी संस्कार का है, जिसकी वजह से यह पार्टी राजनीतिक विरोध के नाम पर देश के खिलाफ खड़ी हो जाती है। गलवान के बलिदानी सैनिकों पर अनर्गल बयानबाजी इसका ताजा नमूना है। इसी संस्कार की व​जह से वे चुने हुए प्रतिनिधियों के लिए अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल करते हैं। मामले के तूल पकड़ने पर कभी अपने ही कहे से मुकर जाते हैं, तो कभी उसे मजाक बता देते हैं। यहॉं तक कि संवैधानिक संस्थाओं का हवाला देकर देश की जनता के सामने झूठ परोसने से भी कॉन्ग्रेसी बाज नहीं आते।

ऐसा नहीं है कि कॉन्ग्रेस ने यह संस्कार अपने छोटे कार्यकर्ताओं को ही दिए हैं। पार्टी के शीर्ष परिवार और उसके चक्कर काटने वालों ने भी यही घुट्टी पी रखी है।

यही वजह थी कि 2007 में गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान सोनिया गॉंधी ने नरेंद्र मोदी को ‘मौत का सौदागर’ कह दिया था। उस वक्त मोदी गुजरात के चुने हुए मुख्यमंत्री थे। हालॉंकि पार्टी फिर कभी इस शब्द पर नहीं लौटी, क्योंकि गुजरात की जनता ने उसे इसका करारा जवाब दिया था। लेकिन, मोदी को लेकर इसके बाद भी पार्टी के शब्द ही बदले, संस्कार नहीं।

जनवरी 2014 में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में हुए कॉन्ग्रेस सम्मेलन के दौरान गाँधी परिवार के वफादार माने जाने वाले मणिशंकर अय्यर ने मोदी के चाय बेजने की पृष्ठभूमि को लेकर तंज कसा था। उस समय भी मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री और बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार थे। प्रधानमंत्री बनने के बाद अय्यर मोदी के लिए ‘नीच’ और ‘कातिल’ जैसे शब्द का भी इस्तेमाल कर चुके हैं।

पिछले ही साल आम चुनावों के दौरान राहुल गॉंधी ने सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर जनता के सामने झूठ परोसा था। प्रधानमंत्री के लिए ‘चौकीदार चोर है’ जैसे बेबुनियाद नारे गढ़े थे।

ऐसा नहीं है कि कॉन्ग्रेसी संस्कार सिर्फ मोदी के मामले में ही छिछला है। वे इसका प्रदर्शन हर उस मौके पर करते हैं, जब कोई उनकी मनमर्जी के आड़े आता है। पिछले साल दिसंबर में ऐसा वाकया लखनऊ में दिखा था। कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गॉंधी ने ड्यूटी कर रहीं एक महिला अधिकारी पर गला दबाने और जमीन पर गिराने का आरोप लगा दिया था। जबकि इस घटना के वीडियो में प्रियंका के साथ खड़े ‘गुंडे’ ही महिला अधिकारी के साथ धक्का-मुक्की करते नजर आए थे।

कॉन्ग्रेसी संस्कारों के ये चंद नमूने। फेहरिस्त लंबी है। ऊपर से नीचे तक सब एक ही रंग में रंगे हैं। कभी उसका नाम जाकिर हुसैन हो जाता है, तो कभी मणिशंकर अय्यर। कभी सोनिया होतीं हैं, तो कभी राहुल।

पर सोचिए, जिस संस्कार में पले-बढ़े लोग मजाक में पीएम की मॉं-बहन को गाली और देश के टुकड़े होने की बात करते हैं, असल जिंदगी में उनके कारनामे कैसे होते होंगे?

इन्हीं कारनामों की उपलब्धि है कि जिस चीन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वेबसाइट ‘द ग्रेट फायरवॉल’ के जरिए ब्लॉक कर दी जाती है, वहॉं राहुल गाँधी की वेबसाइट पर कोई रोक नहीं होती।

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अजीत झा
अजीत झा
देसिल बयना सब जन मिट्ठा

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