Sunday, November 17, 2024
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गुजरात में BJP की प्रचंड लहर के बीच AAP को मिला 13 प्रतिशत वोट: कौन हैं वो लोग जिन्होंने अरविंद केजरीवाल को तरजीह दी? पढ़ें विश्लेषण

अब सवाल है कि आम आदमी पार्टी बड़ा अंतर क्यों नहीं ला पाई। इसकी वजह यह रही कि उसके वोट बँट गए। पार्टी को अधिक सीटें नहीं मिल सकीं, क्योंकि उसके पास पहले ही कम मतदाता थे और वे राज्य के अलग-अलग सीटों में बँटे हुए थे। कच्छ में बैठा व्यक्ति सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट पर टिप्पणी कर सकता है और वलसाड में बैठा व्यक्ति भी उसी पोस्ट पर टिप्पणी कर सकता है, लेकिन एक ही सीट पर वोट नहीं डाल सकता।

गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे (Gujarat Assembly Election Result) 8 दिसंबर 2022 को घोषित हो गए। भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत की भविष्यवाणी की जा रही थी और माहौल को देखते हुए यह लगभग तय था कि इस चुनाव में भी जीत रही है। हालाँकि, यह अनुमान नहीं था कि बीजेपी को इतना प्रचंड बहुमत और ऐसी ऐतिहासिक जीत मिलेगी, क्योंकि पार्टी ने 182 में से 156 सीटों पर जीत हासिल की है। दूसरी ओर कॉन्ग्रेस 77 से 17 सीटों पर फिसल गई है। आम आदमी पार्टी (AAP) के पास खोने के लिए कुछ नहीं था, लेकिन वह उस तरह का प्रदर्शन नहीं कर सकी, जैसा उसने प्रचार किया था। इस चुनाव में AAP को सिर्फ 5 सीटें मिली हैं।

हालाँकि, AAP के नेताओं ने अपने समर्थकों के लिए खुशी की वजह ढूंढ ली है और वजह है AAP का राष्ट्रीय पार्टी बन जाना। नियमों के मुताबिक, किसी पार्टी को राष्ट्रीय पार्टी घोषित करने का एक मापदंड यह है कि उसे कम-से-कम चार राज्यों के विधानसभा चुनावों में 6 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करना होगा। जैसा कि AAP को 2020 में दिल्ली (54%), पंजाब (42%) और इस साल की शुरुआत में गोवा (6.8%) और अब गुजरात (12.9%) में 6% से अधिक वोट मिले हैं। इस तरह AAP ने राष्ट्रीय पार्टी के इस मानदंड को पूरा कर लिया है।

गुजरात में इस बार AAP को 5 सीटों पर जीत मिली है, जिनमें से 4 सौराष्ट्र और 1 मध्य गुजरात की सीटें हैं। बाकी सभी सीटों पर पार्टी ने चुनाव लड़ा और वे हार गए। 128 सीटों पर AAP के उम्मीदवार इतनी बुरी तरह हारे कि उनकी जमानत तक जब्त हो गई। पार्टी के बड़े चेहरे- इशुदान गढ़वी, गोपाल इटालिया, अल्पेश कथीरिया, धार्मिक मालवीय- भी नहीं जीत सके। हालाँकि, आम आदमी पार्टी को 12.92 फीसदी यानी करीब 13 फीसदी वोट मिले है। ऐसे में एक सवाल यह भी है कि ये वोटर कौन हैं?

AAP को किसका वोट मिला?

इस चुनाव में तीन तरह के वोटर थे। पहला, वे मतदाता जो भाजपा को वोट देते हैं और उम्मीदवार की परवाह किए बिना उसका समर्थन करते हैं। यह वर्ग भाजपा को ही वोट दिया। गुजरात में ऐसे मतदाताओं का एक बहुत बड़ा वर्ग है। दूसरा वर्ग है, जो कॉन्ग्रेस समर्थक मतदाता है। यह हर हालत में कॉन्ग्रेस को वोट देता है। हालाँकि ऐसे लोगों की संख्या धीरे-धीरे कम होती जा रही है। इन दोनों वर्गों से अलग मतदाताओं की एक तीसरी श्रेणी है, जो कई पहलुओं पर विचार कर मतदान करते हैं। इतना वोट शेयर हासिल करने में AAP को ऐसे वोटरों से काफी मदद मिली।

मुफ्त की रेवड़ी का असर गरीब लोगों पर पड़ा

आम आदमी पार्टी ने सोशल मीडिया पर हाइप क्रिएट किया, जिससे खासकर युवाओं पर कुछ असर पड़ा। इसके अलावा आम आदमी पार्टी ने भी तथाकथित युवा क्रांतिकारियों का हाथ थामा और इससे युवाओं का कुछ समर्थन भी मिला। इसलिए पहली बार के वोटरों और युवाओं के कुछ वोट आम आदमी पार्टी को मिल गए।

इसके अलावा आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल ने गुजरात का दौरा किया और मुफ्त योजनाओं का लाभ देने का खूब प्रचार किया। बिजली, पानी और सब कुछ मुफ्त करने की घोषणाओं के चलते गरीब और दूर-दराज के गाँवों में रहने वाले लोगों ने भरोसा कर लिया और उनमें से अधिकांश ने आम आदमी पार्टी को वोट किया।

वर्किंग क्लास के कुछ लोगों ने भी वोट किया

गुजरात में कर्मचारियों और वर्किंग क्लास का एक बड़ा तबका है, जो अपने ही कारणों से सरकार विरोधी है। इस वर्ग में सरकार विरोधी माहौल न केवल इस चुनाव में था, बल्कि उस समय भी था जब नरेंद्र मोदी राज्य के मुख्यमंत्री थे। हालाँकि, आबादी के अनुपात में वोटों की संख्या बेहद कम होने से सरकार को इसका कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन आम आदमी पार्टी को फर्क जरूर पड़ा। चुनाव से पहले चल रहे आंदोलनों की अगुआई AAP ने जिस तरह से की थी, उसे देखते हुए इस वर्ग के वोट मिलने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है।

AAP को मुस्लिम वर्ग का वोट मिला या नहीं?

आम आदमी पार्टी को मुस्लिम वोटरों का भी अच्छा सहयोग मिला है। मतदान से कुछ दिन पहले अहमदाबाद में ‘मुस्लिम फाइटर्स क्लब’ ने एक बैठक आयोजित की और आम आदमी पार्टी के समर्थन में वोट देने की अपील की थी, जो काफी सुर्खियों में भी रही। हालाँकि गुजरात के मुस्लिम मतदाता कॉन्ग्रेस समर्थक रहे हैं, लेकिन पार्टी की निष्क्रियता ने उन्हें AAP में स्थानांतरित कर दिया होगा। कई मुस्लिम-बहुल क्षेत्रों में AIMIM की तुलना में AAP को अधिक वोट मिले। इससे पता चलता है कि पार्टी को अच्छी संख्या में मुस्लिम वोट मिले।

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, तीसरी श्रेणी के अधिकतर मतदाताओं ने भी भाजपा के काम को देखा और उसे वोट दिया। इसे परिणामों में देखा जा सकता है। बाकी सरकार से असंतुष्ट मतदाताओं के वोट तब आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस के बीच बँट गए। इसलिए कॉन्ग्रेस की निष्क्रियता का कुछ फायदा AAP को भी मिला और वह 13 फीसदी वोट शेयर पर पहुँच गई।

अब सवाल है कि आम आदमी पार्टी बड़ा अंतर क्यों नहीं ला पाई। इसकी वजह यह रही कि उसके वोट बँट गए। पार्टी को अधिक सीटें नहीं मिल सकीं, क्योंकि उसके पास पहले ही कम मतदाता थे और वे राज्य के अलग-अलग सीटों में बँटे हुए थे। कच्छ में बैठा व्यक्ति सोशल मीडिया पर किसी पोस्ट पर टिप्पणी कर सकता है और वलसाड में बैठा व्यक्ति भी उसी पोस्ट पर टिप्पणी कर सकता है, लेकिन एक भी सीट जीतने के लिए किसी पार्टी को एक जगह एक साथ केंद्रित वोटों की जरूरत होती है, जो AAP के पास नहीं था।

क्या AAP 2027 के विधानसभा चुनावों में बेहतर करेगी?

पहली बार 182 सीटों पर चुनाव लड़ने और 13 फीसदी वोट शेयर हासिल करने के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं और समर्थकों का दावा है कि पार्टी साल 2027 के विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन करेगी। हालाँकि, ऐसे दावे अत्यधिक आशावादी हैं, क्योंकि राजनीति में पाँच साल बहुत बड़ा कालखंड होता है।अगर भाजपा सरकार घोषणा पत्र के वादों पर टिकी रही और किसी विवाद में पड़े बिना सरकार चलती रही तो पाँच साल बाद वोट देने जाने वाला मतदाता दूसरा विकल्प क्यों चुने? तब तक बीजेपी को भी चुनाव में फायदा होने की स्थिति और भी मजबूत हो जाएगी।

दूसरी ओर आम आदमी पार्टी को अभी संगठन पर काफी मेहनत करनी है। इस चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन के बाद कार्यकर्ताओं का उत्साह कम हो सकता है और वे मेहनत से परहेज कर सतके हैं। संभावनाएँ बहुत हैं और पर्याप्त समय भी है, लेकिन इन नतीजों से एक बात बिल्कुल साफ हो गई है कि आम आदमी पार्टी और कॉन्ग्रेस में से विपक्ष कौन होगा, इस पर चर्चा हो सकती है। वर्तमान स्थिति में गुजरात से भाजपा को हटाना इन दोनों पार्टियों के लिए संभव नहीं दिखता।

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Meghalsinh Parmar
Meghalsinh Parmar
A Journalist. Deputy Editor- OpIndia Gujarati. Not an author but love to write.

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