जम्मू कश्मीर में सिख समुदाय की लड़कियों के अपहरण, निकाह और जबरन धर्मांतरण के आरोप का चर्चा जोर पकड़ा हुआ है। इसी बीच राजनीतिक विश्लेषक रमणीक सिंह मान ने श्रीनगर जाकर पूरी स्थिति को समझा है और सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों को अवगत कराया है। उन्होंने कहा कि सिख समुदाय की लड़कियों को निशाना बनाए जाने के दो मामले ही सामने आए हैं, लेकिन यहाँ आकर उन्हें पता चला कि ऐसे अनेकों मामले हैं।
उन्होंने बताया कि एक सिख लड़की का जबरन निकाह कराए जाने के बाद भी उसे प्रताड़ित किया गया। वो 4 महीने की गर्भवती थी, जिसके बाद उसके पेट पर लात मारी गई। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और उन्हें घाटी से भगाए जाने के बाद 2000 में चित्तसिंहपुरा में 35 सिखों को मार डाला गया था। उन्होंने कहा कि तब से लेकर आज तक सिख समुदाय चट्टान की तरह इस्लामी कट्टरवाद का सामना कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि ‘यूनाइटेड सिख कश्मीर’ संस्था के जरिए कई सिख युवा जम्मू कश्मीर में एकता का प्रदर्शन करते हैं। उन्होंने बताया कि हालिया धर्मांतरण विवाद और ‘लव जिहाद’ के तहत जम्मू कश्मीर में अधेड़ उम्र के लोग अपनी से आधी उम्र की लड़कियों के साथ निकाह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर इन घटनाओं के खिलाफ लड़ाई लड़ने वालों को कभी क्रेडिट नहीं दिया जाता है।
रमणीक सिंह मान ने इस बात से दुःख जताया कि कोई एक राजनेता दिल्ली से आ जाता है तो वो पूरी मुद्दे को हाईजैक कर लेता है। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली से आए ये नेता जम्मू कश्मीर के जिन नेताओं को मीडिया के सामने ललकारते हैं, असल में वो उनकी ही मेहमाननवाजी का लुफ़्त भी उठाते हैं। उन्होंने ऐसे नेताओं को मुद्दे से भटकाने का आरोप लगाते हुए कहा कि असल में जमीन पर संघर्ष कर रहे लोगों का क्रेडिट वो चुरा लेते हैं। उन्होंने कहा कि सिरसा भी ‘सिद्धू ब्रीड’ के ही नेता हैं।
Sidhu and Sirsa are the same breed. These people don't cate about religion. Their priority is Politics.
— Ramnik Singh Mann 🇮🇳😷 (@ramnikmann) June 29, 2021
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उन्होंने कहा कि असल मुद्दा कुछ और है, उसे तो छिपा दिया जाता है और उससे लोगों का ध्यान भटका दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सिख लड़कियों के खिलाफ जबरन धर्मांतरण और ‘लव जिहाद’ बड़े ही व्यवस्थित तरीके से पूरी साजिश के साथ हर जगह किया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि दोनों हाथ उठा कर ‘हाल्लेलुज्जाह’ का नारा लगाने वाले कैसे सिख हित में काम कर सकते हैं? उन्होंने पूछा कि पाकिस्तान जाकर वहाँ के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनकी फ़ौज के मुखिया को गले लगाने वाले सिखों के लिए क्या करेंगे?
रमणीक सिंह मान ने इस बात नाराजगी जताई कि अब तक अकाली दल के मुखिया सुखबीर सिंह बदल या फिर कॉन्ग्रेस के नवजोत सिंह सिद्धू ने अब तक इस मामले पर चूँ तक नहीं किया है। उन्होंने राजनेताओं से अपील कि की वो सिर्फ मीडिया में बने रहे के लिए बयान न दें, बल्कि समुदाय के साथ मजबूती से खड़े हों। उन्होंने कहा कि ज्ञान देने वाले देते रहें, हमलोग पीड़ित महिलाओं की मदद करेंगे और इसके लिए जो भी ज़रूरी होगा किया जाएगा।
इससे पहले शिरोमणि अकाली दल के नेता परमजीत सिंह सरना ने मंजिंदर सिंह सिरसा के बयान पर कश्मीरियों से माफी माँगते हुए उसे भड़काऊ करार दिया था। उन्होंने दल की ओर सिरसा के बयान पर कश्मीरियों से माफी माँगी थी और ये भी कहा था कि उन्हें मुस्लिम संगठनों ने सहयोग दिया। उन्होंने कहा था, “मैं लड़की के घरवालों से मिला। मामला सुलझ गया है। लड़की की जिससे शादी हुई वह उसे जानती थी।”
मंजिंदर सिंह सिरसा ने अपने बयान में कहा था, “मैं श्रीनगर के स्थानीय नेताओं, मौलानाओं और मुफ्तियों से सिख बेटियों के समर्थन में आने का अनुरोध करता हूँ। सीएए के विरोध के दौरान मुस्लिम बेटियों को सुरक्षित घर पहुँचाने में सिख सबसे आगे थे, लेकिन कोई भी मुस्लिम नेता सिख लड़कियों के जबरन धर्मांतरण के खिलाफ आवाज उठाने नहीं आया। मैं श्रीनगर में स्थानीय सिख समुदाय के साथ जबरन निकाह और सिख बेटियों के धर्मांतरण के विरोध में शामिल हो रहा हूँ, जो दूसरे धर्म के बुजुर्गों से शादी करने के लिए मजबूर है। ”