शिवसेना ने भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार पर हमलावर होते हुए भारत के सोवियत संघ की तरह बिखरने तक की बात कह डाली है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में कहा कि केंद्र और राज्यों के बीच संबंध बिगड़ रहे हैं। शिवसेना ने यहाँ तक कह डाला कि हमारे देश के राज्यों को सोवियत संघ (रूस) की तरह टूटने में ज्यादा समय नहीं लगेगा।
इसके अलावा, अपने मुखपत्र के जरिए शिवसेना ने रविवार (दिसंबर 27, 2020) को कहा कि सुप्रीम कोर्ट कई मामलों में अपने दायित्व को भूल गया है। अपने मुखपत्र ‘सामना’ के हवाले से शिवसेना ने लिखा, “अगर केंद्र सरकार को यह एहसास नहीं है कि वे राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को नुकसान पहुँचा रहे हैं, तो हमारे देश में राज्यों को सोवियत संघ की तरह टूटने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। वर्ष 2020 को देखा जाना चाहिए। यह केंद्र सरकार की क्षमता और विश्वसनीयता पर सवालिया निशान लगाता है।”
गौरतलब है कि दिसंबर 26, 1991 को शीत युद्ध के परिणामस्वरूप सोवियत संघ (Union of Soviet Socialist Republics/USSR) विघटित होकर 15 देशों में टूट गया था।
मराठी दैनिक ‘सामना’ के सम्पादकीय में कहा गया है कि भाजपा नेता विजयवर्गीय ने एक सनसनीखेज खुलासा किया, जिसमें कहा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस की कमलनाथ सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए विशेष प्रयास किए।
इस लेख के अनुसार, “क्या होगा यदि हमारे प्रधानमंत्री राज्य सरकारों को अस्थिर करने में विशेष रुचि ले रहे हैं? प्रधानमंत्री देश का होता है। देश एक महासंघ के रूप में खड़ा है। यहाँ तक कि जिन राज्यों में भाजपा की सरकारें नहीं हैं, उन राज्यों में भी राष्ट्रीय हित की बात होती है। इस भावना को ख़त्म किया जा रहा है।”
अपने मुखपत्र में शिवसेना ने केंद्र पर पश्चिम बंगाल में मुख्यमंत्री और तृणमूल कॉन्ग्रेस सुप्रीमो ममता बनर्जी को सत्ता से हटाने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया। शिवसेना का कहना है कि लोकतंत्र में राजनीतिक पराजय बहुत आम है, लेकिन ममता बनर्जी को बाहर करने के लिए जिस तरह से केंद्र सरकार का इस्तेमाल किया जा रहा है वह कष्टदायक है।
मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली पार्टी के संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि केंद्र सरकार ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत और समाचार चैनल रिपब्लिक भारत के एडिटर-इन-चीफ़ अर्णब गोस्वामी को बचाने के प्रयास किए। महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टी ने नए संसद भवन निर्माण तक का भी जिक्र किया और कहा कि इससे कुछ नहीं बदलने वाला।
अपने दुखों को सामने रखते हुए शिवसेना ने यह भी आरोप लगाया कि चीनी सैनिकों ने भारत की सीमाओं में प्रवेश किया लेकिन हमारे सैनिक उन्हें पीछे नहीं धकेल सके। शिवसेना का कहना है कि राष्ट्रवाद का इस्तेमाल संकट से ध्यान हटाने के लिए किया गया। शिवसेना ने अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए लिखा है कि केंद्र सरकार ने चीनी वस्तुओं और चीनी निवेश के बहिष्कार को बढ़ावा दिया।