सीएए और एनआरसी पर सरकार को लगातार कोसने वाले योगेंद्र यादव अब कोरोना विशेषज्ञ बन गए हैं। उन्हें सरकारी डेटा में तो खामियाँ नज़र आ ही रही हैं, साथ ही वो उलटे-सीधे गुणा-भाग कर के कोरोना वायरस संक्रमण के आँकड़ों को लेकर भी लोगों को डरा रहे हैं। उन्होंने ‘इंडियन कॉउन्सिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR)’ के डेटा को लेकर अजीबोगरीब दावे किए। ट्वीट थ्रेड से लेकर अख़बारों में लेख तक, उन्होंने हर जगह अफवाह फैलाई।
आईसीएमआर के सर्वे को लेकर योगेंद्र यादव ने दावा किया कि इसमें 0.73% जनसंख्या के कोरोना पॉजिटिव होने की बात कही गई है। साथ ही उन्होने अनुमान लगाया कि अगर सर्वे में 133 करोड़ जनसंख्या को दायरे में लिया गया है तो भारत की कुल 15 करोड़ लोग कोरोना की चपेट में हैं। ‘दैनिक भास्कर’ में लेख लिख कर भी उन्होंने अपनी इस बात को दोहराई। आइए बताते हैं कि यादव 15 करोड़ के आँकड़े तक कैसे पहुँचे।
उन्होंने 133 करोड़ में से 0.73% कोरोना पॉजिटिव लोगों की संख्या का अंदाज़ा लगाने के लिए इसे गुना कर के 97 लाख का आँकड़ा निकाला। इसके बाद उन्होंने हॉटस्पॉट सिटीज में 15-30% लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने की बात एक ख़बर के हवाले से कही। इसके बाद उन्होंने 5 करोड़ की जनसंख्या में से 75 लाख के कोरोना पॉजिटिव होने की बात कही। इस तरह से उन्होंने अनुमान लगाया कि 30 अप्रैल तक 1.72 करोड़ लोग संक्रमित थे।
इसके बाद बड़ी चालाकी करते हुए उन्होंने 30 अप्रैल और अभी के डेटा की तुलना कर के पाया कि अब तक संक्रमितों की संख्या 8.55 गुना बढ़ चुकी है। उन्होंने अपने आँकड़े को भी 8.55 गुना कर दिया, जिससे वो 15 करोड़ के आँकड़े तक पहुँचे। ये एक हास्यास्पद गणित का खेल था क्योंकि ख़ुद आईसीएमआर के सर्वे का सैंपल साइज काफ़ी छोटा था, जिससे सवा अरब से ज्यादा की जनसंख्या के बारे में अनुमान लगाया ही नहीं जा सकता।
सबसे पहली बात तो ये कि ये सैम्पल रैंडम लोगों के बीच से इकठ्ठा नहीं किया गया। जिन्हें कोरोना होने की सम्भावना थी या लक्षण थे या फिर जो कोरोना पॉजिटिव के संपर्क में आए थे, उनका सैम्पल लिया गया था। इसमें पूरी तरह से स्वस्थ जनसंख्या को घुसेड़ कर योगेंद्र यादव ने पूरे गणित को इधर से उधर कर दिया। मान लीजिए कि अगर इलाक़े में 10 कुएँ हैं और सबकी गहराई का औसत योगेंद्र यादव की ऊँचाई से कम है तो क्या वो उस कुएँ में कूद जाएँगे जिसकी गहराई उनसे काफ़ी ज्यादा है। तब वो औसत देखेंगे या फिर उस ख़ास कुएँ की गहराई?
यही खेल उन्होंने जनता के सामने भी किया है। उन्होंने यहाँ चुनावी गणित लगा दिया। उन्होंने पोटेंशियल कोरोना संक्रमितों के आँकड़े को स्वस्थ लोगों के आँकड़े में घालमेल कर दिया। यहाँ एक बार गौर करने लायक है कि योगेंद्र यादव के आँकड़ों के हिसाब से अब तक लाखों लोगों की मौत हो जानी चाहिए थी, जो नहीं हुई है। उन्होंने डेथ रेट में यह गणित नहीं लगाया क्योंकि इससे उनकी पोल खुलने का डर था।
मोदी सरकार को घेरने के लिए फर्जी डेटा का खेल खेलने वाले योगेंद्र यादव महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से सवाल नहीं पूछ रहे जबकि अकेले मुंबई में कोरोना के मरीजों की संख्या 1 लाख के पार चली गई है। पश्चिम बंगाल में स्थिति सबसे ज्यादा गड़बड़ है और वहाँ गई केंद्र सरकार की टीम ने ही आँकड़ों में हेराफेरी की बात कही थी। दिल्ली में स्थिति दिन पर दिन बदतर होती जा रही है। योगेंद्र यादव इन तीनों ही राज्यों से सवाल क्यों नहीं पूछ रहे? देखिए, मृत्यु दर को लेकर उन्होंने कैसे ‘दैनिक भास्कर’ में लिखे लेख में सरकार को क्रेडिट देने से इनकार कर दिया। लेख का अंश:
“हमारे देश में कोरोना इतना जानलेवा नहीं है जितना दुनिया के बाकी देशों में। अब सरकारी और दरबारी विशेषज्ञ इसी आँकड़ें की आड़ ले रहे हैं। सच यह है कि इसमें सरकार का कोई कमाल नहीं है। या तो हमारे यहाँ आई कोरोना की प्रजाति कम घातक है, या हमारी गर्मी, बीसीजी के टीके या लक्कड़-पत्थर हज़म प्रतिरोध शक्ति के चलते बचाव हो रहा है।“
So we had 1.72 cr cases on 30 April
— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) June 12, 2020
Official count on 30 April: 34,863
Official count on 11 June: 2,98,283
Increase since 30 April: 8.55 times
Assuming that total count grew at same rate as official count, total cases today =
1.72 cr x 8.55 = 14.7 cr
(Should be lower)
6/9 pic.twitter.com/JBnPU7mx6s
यहाँ उन्होंने बड़ी चालाकी से दिल्ली, चेन्नई और अहमदाबाद का नाम तो लिया लेकिन कोलकाता और मुंबई का नाम नहीं लिया। योगेंद्र यादव अपने काल्पनिक संक्रमितों के आँकड़े को लेकर तो सरकार को दोष देना ही चाहते हैं लेकिन मृत्य दर कम होने को लेकर कहते हैं कि ये सरकार का कमाल थोड़े है। इस दोहरे रवैये को उनके गड़बड़ गणित से भी ऊपर रखा जा सकता है। यानी भारत में कोरोना के कारण ज्यादा जाने नहीं गई हैं तो ये उनके हिसाब से ‘कोरोना की महानता’ है।
अगर आपको अभी भी लग रहा योगेंद्र यादव का गणित सही है तो आपको जानना ज़रूरी है कि गुमराह कैसे किया जाता है। भारत में अब तक संक्रमित हुए लोगों की संख्या 3.09 लाख है। मृतकों की संख्या 8895 है। यानी, कुल संक्रमितों में से 2.89% की मौत हुई है। अगर योगेंद्र यादव के आँकड़ों की बात करें तो कुल 44 लाख मौत का आँकड़ा बैठता है इसी प्रतिशत के हिसाब से। क्या ये संभव है। सोचिए।