कोरोना महामारी की रोकथाम के लिए देशभर में लागू लॉकडाउन के कारण सैकड़ों-हजारों प्रवासी अपने घरों को लौटने के लिए मजबूर हैं। ट्रेन और बसें बंद होने से इन प्रवासियों के सामने भूखे-प्यासे पैदल ही अपने घरों की ओर लौटने की मजबूरी है। इनमें से ज्यादातर लोग उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं। लिहाजा अब इन असहाय लोगों की मदद के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार ने अहम कदम उठाया है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पैदल अपने घर को पलायन होने वाले मजदूरों के लिए बड़ा फैसला लिया है। मुख्यमंत्री ने सभी मजदूरों को उनके घर भेजने के लिए 1000 बसों से मजदूरों को उनके घर भेजने का निर्णय किया है।
मजदूरों की सुरक्षा को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने रात में मीटिंग कर मजदूर हित में यह बड़ा फैसला लिया है। बस का इंतजाम नोएडा, गाजियाबाद, अलीगढ़ समेत कई अन्य जिलों में किया गया, जहाँ से मजदूर पलायन कर सकेंगे। मुख्यमंत्री के इस बड़े फैसले से उत्तर प्रदेश और बिहार के लोग अपने अपने घर तक पहुँच सकेंगे।
सीएम योगी की मीटिंग के बाद रातों रात घरों से जगाकर परिवहन अधिकारियों को बुलाया गया। फिर ड्राइवर और कंडक्टरों के साथ रातों रात 1000 बसों का इंतजाम किया गया। कोरोना वायरस महामारी के कारण हुए लॉकडाउन में आमजन की सुविधा के लिए की जा रही व्यवस्थाओं को बिती रात को सीएम योगी ने सतत समीक्षा की। इस क्रम में उन्होंने मंडलायुक्तों/जिलाधिकारियों/पुलिस अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कर कई दिशा-निर्देश दिए। बता दें कि बसें पूरी तरह से निशुल्क भेजी जा रही है। प्रशासन द्वारा बसों के भेजने पर यात्री भी काफी खुश हैं।
मुख्यमंत्री कार्यालय के अनुसार, इन आश्रय स्थलों में भारत सरकार के स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का अनुपालन करते हुए यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे मजदूरों और व्यक्तियों को भोजन, दवा तथा अन्य जरूरी सुविधाओं की कोई कमी न हो। इस मद में समस्त 75 जनपदों को कुल 13.50 करोड़ की धनराशि निर्गत की गई है। मुख्यमंत्री ने दूसरे प्रदेश या जनपदों से मजदूरों अथवा अन्य जनों की आवाजाही की सूचना के दृष्टिगत समस्त जनपदों को आश्रय स्थल/स्क्रीनिंग कैम्प स्थापित करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा फँसे हुए लोगों के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। इस नंबर के जरिए लोग अपनी मुसीबत को बता सकेंगे।