असम (Assam) में एक कॉन्ग्रेस नेता के प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (स्वतंत्र) (ULFA-I) में शामिल होने की खबर सामने आई है। इस कॉन्ग्रेस नेता का नाम जनार्दन गोगोई है। ULFA-I में शामिल होने की पुष्टि खुद जनार्दन गोगोई ने एक फेसबुक पोस्ट के जरिए की है। वह असम के तिनसुकिया के सादिया का रहने वाला है और जिला युवा कॉन्ग्रेस इकाई का उपाध्यक्ष है।
जानकारी की मुताबिक ULFA-I में शामिल होने के लिए गोगोई ने घर-परिवार छोड़ दिया है। उसने फेसबुक पर पत्नी के नाम एक पत्र लिखा है। इसमें ULFA-I में शामिल होने के कारणों के बारे में बताया है। उसने लिखा है, “कुछ लोग असमिया समाज के अस्तित्व को खत्म करने की साजिश कर रहे हैं। मैंने महसूस किया है कि कुछ राजनीतिक दल और तथाकथित क्षेत्रीय संगठन असमिया समाज के नाम पर व्यापार कर रहे हैं। आज, असमिया लोग अपनी मातृभूमि में असहाय हो गए हैं। मैं असमिया समाज को मिटाने की कोशिशों का महज एक दर्शक नहीं बन सकता। यह सरकार जनता द्वारा उठाए गए विरोध को लोकतांत्रिक तरीके से सुनने में विफल रही है। असमिया समाज के हितों की रक्षा के लिए सशस्त्र विद्रोह का कोई विकल्प नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि हाल ही में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने (ULFA-I) में नए सदस्यों की भर्ती की खबरों पर चिंता जताई थी। सरमा ने कहा था कि सरकार उल्फा (आई) से जुड़े मामलों समेत सभी विवादों का राजनीतिक समाधान निकालने के गंभीर प्रयास कर रही है। इससे पहले उन्होंने कहा था कि 47 ‘लड़के और लड़कियाँ’ ULFA(I) में शामिल हो गए हैं, लेकिन कई वरिष्ठ लोगों ने संगठन छोड़ दिया है।
बता दें कि यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) असम का एक उग्रवादी संगठन है। इसकी स्थापना 1979 में हुई थी। परेश बरुआ इसके संस्थापक थे। 1990 में भारत सरकार ने इसे बैन कर दिया था। बाद में नेताओं के बीच मतभेद से उल्फा का विभाजन हो गया। ULFA(I) का नेतृत्व फिलहाल अभिजीत बर्मन के हाथ में है।