आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कॉन्ग्रेस पार्टी के बागी सांसद कनुमुरी रघुराम कृष्णम राजू सीआईडी द्वारा टॉर्चर किए जाने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (17 मई 2021) को सिकंदराबाद स्थित सेना अस्पताल में उनकी मेडिकल जाँच कराने का आदेश दिया है।
सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस विनीत सरन और बीआर गवई की खंठपीठ ने राजू की याचिका पर यह आदेश दिया। इससे पहले आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने देश द्रोह के आरोप में गिरफ्तारी पर जमानत देने से इंकार कर दिया था।
वाईएसआर सांसद को सीआईडी ने शुक्रवार (14 मई 2021) को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया था। उन्हें जब मजिस्ट्रेट के पास पेश किया गया तो उनके वकील ने दावा किया कि उन पर पुलिस ने थर्ड डिग्री का इस्तेमाल किया। इसकी वजह से अब वे चलने में भी सक्षम नहीं हैं।
Pictures of YSR MP @RaghuRaju_MP in Andhra CID custody pic.twitter.com/eVe3kFXUeP
— Payal Mehta/પાયલ મેહતા/ पायल मेहता/ পাযেল মেহতা (@payalmehta100) May 15, 2021
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राजू की मेडिकल जाँच तक यह न्यायिक हिरासत मानी जाएगी। शीर्ष कोर्ट ने तेलंगाना उच्च न्यायालय को एक न्यायिक अधिकारी को नामित करने का निर्देश दिया गया है, जो कि मेडिकल एक्जामिनेशन के दौरान राजू के साथ रहेगा। राजू की मेडिकल टेस्ट की वीडियोग्राफी की जाएगी और सीलबंद लिफाफे में बंद रिपोर्ट कोर्ट को देनी होगी।
खंडपीठ ने कहा, “हम निर्देश देते हैं कि याचिकाकर्ता-कनुमुरी रघुराम कृष्णम राजू को सेना के अस्पताल में भर्ती किया जाएगा और अगले आदेश तक मेडिकल देखभाल के लिए रखा जाएगा, उनकी न्यायिक हिरासत ही मानी जाएगी। कोर्ट के आदेश के मुताबिक सेना के अस्पताल में भर्ती किए जाने का सारा खर्च राजू को उठाना होगा।”
शीर्ष अदालत के मुताबिक, “दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेशों के तहत कनुमुरी रघुराम कृष्णम राजू को दी गई वाई श्रेणी की सिक्युरिटी उन्हें केवल सेना के अस्पताल तक ही ले जाएगी और चिकित्सा परीक्षण के समय उसे वहाँ रहने की आवश्यकता नहीं है।”
आदेश में कहा गया है कि याचिकाकर्ता (राजू) की मेडिकल जाँच सिकंदराबाद स्थित सैन्य अस्पताल के प्रमुख द्वारा गठित तीन सदस्यीय डॉक्टरों का बोर्ड करेगा। सुप्रीम कोर्ट में राजू पक्ष वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने रखा। उन्होंने राजू को अंतरिम जमानत और उनकी किसी निजी अस्पताल से जाँच कराने का अनुरोध कोर्ट से किया है। रोहतगी ने कहा कि राजू की पिछले साल ओपन हार्ट सर्जरी हुई थी, इसलिए मजिस्ट्रेट ने एक सरकारी और एक निजी अस्पताल से मेडिकल चेकअप का आदेश दिया है।
उन्होंने यह भी तर्क दिया कि राजू ने कभी भी हथियार नहीं रखे और न ही कभी हिंसा भड़काने की कोशिश की। बावजूद इसके उनपर देशद्रोह के प्रावधान को लागू किया गया है।
वहीं आंध्र प्रदेश सरकार का पक्ष रखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कोर्ट से मामले की सुनवाई को तक के लिए बढ़ाने की अपील करते हुए कहा कि राज्य को अपील की एक प्रति नहीं मिली थी।
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश में ईसाई धर्मांतरण के मुद्दे पर राजू ने एक चौंकाने वाला खुलासा करते हुए कहा था कि प्रदेश में सरकारी आँकड़ों में भले ईसाइयों की संख्या 2.5% बताई जाती है, लेकिन वास्तविकता में यह 25% से कम नहीं है।