बिहार में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अस्तित्व पर ही संकट के बादल मँडराने लगे हैं। लोकसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस, राजद, वीआईपी और हम जैसी पार्टियों के साथ गठबंधन के बावजूद इन सभी पार्टियों को बुरी हार का सामना करना पड़ा। ख़ुद रालोसपा अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा दोनों ही सीटों से हार गए। कुशवाहा ने मतगणना से पहले इच्छित परिणाम न आने पर ख़ून-ख़राबे की धमकी भी दी थी। रामविलास पासवान ने उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए ‘जैसे को तैसा’ जवाब देने की बात कही थी। अब रालोसपा के सारे विधायक और विधान पार्षद जनता दल यूनाइटेड में शामिल हो गए हैं।
रालोसपा के 2 विधायक और एक विधान पार्षद जदयू में शामिल हो गए। विधायक ललन पासवान, सुधांशु शेखर और विधान पार्षद संजीव सिंह श्याम के जदयू में शामिल होने की आधिकारिक घोषणा हो गई है। दोनों विधायकों के जदयू में शामिल होने के बाद नीतीश कुमार की पार्टी के विधायकों की संख्या बढ़ कर 73 हो गई है। बता दें कि 2015 विधानसभा चुनाव में राजद और जदयू, दोनों दलों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था और राजद को 80 सीटें आई थीं। रालोसपा के ये सभी विधायक कुशवाहा के राजग छोड़ कर महागठबंधन में आने से नाराज़ थे।
बिहार /उपेंद्र कुशवाहा को झटका, रालोसपा के दो विधायक जदयू में हुए शामिल https://t.co/qIk6hGM4j4 #RLSP #LalanPaswan #SudhanshuShekha @Jduonline #UpendraKushwaha pic.twitter.com/JTLKCFu6ro
— Dainik Bhaskar (@DainikBhaskar) May 26, 2019
नीतीश कुमार की जदयू ने इस लोकसभा चुनाव में 17 सीटों पर चुनाव लड़ा, जिनमें से उसे 16 पर जीत मिली। बिहार में राजग ने एक तरह से महागठबंधन का सफाया ही कर दिया। रालोसपा की स्थापना उपेंद्र कुशवाहा ने 2013 में जदयू से अलग होने के बाद की थी। राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने 2014 में भाजपा के साथ मिलकर लोकसभा का चुनाव लड़ा था और पार्टी को तीनों सीटों पर विजय मिली थी।
उसके बाद उपेंद्र कुशवाहा को मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाया गया था लेकिन 2019 के चुनाव से ठीक पहले सीटों की संख्या को लेकर उनकी बात राजग से नहीं बनी और वे महागठबंधन का हिस्सा बन गए। महागठबंधन ने उन्हें 5 सीटें दीं लेकिन पार्टी एक भी सीट नहीं जीत पाई। कुशवाहा को ख़ुद उजियारपुर और काराकाट से बुरी हार मिली। काराकाट में जदयू के महाबली सिंह ने उन्हें 84,500 से भी अधिक मतों से मात दी। वहीं उजियारपुर में कुशवाहा को बिहार भाजपा के अध्यक्ष नित्यानंद राय ने पौने 3 लाख से अभी अधिक मतों से हराया।