फ़र्ज़ी न्यूज फैलाने में पेशेवर और स्वघोषित फ़ैक्ट-चेकर AltNews के संस्थापक प्रतीक सिन्हा ‘कमेंट’ के लिए ऑपइंडिया के CEO राहुल रोशन के पास जा पहुँचे। सिन्हा ने कहा कि वो ट्विटर हैंडल @padhalikha के बारे में एक लेख लिख रहे हैं, और इस पर वो राहुल रोशन की टिप्पणी जानना चाहते हैं।
ऑपइंडिया के CEO राहुल रोशन ने जो जवाब दिया, वो इस प्रकार है:
प्रश्न 1) अकाउंट के साथ आपका वर्तमान संबंध क्या है? क्या आप भी उस टीम का हिस्सा हैं, जो इसे चलाती है?
उत्तर: आपको उक्त ट्विटर अकाउंट को मेरे साथ जोड़ने के लिए विवेक अग्निहोत्री के साक्षात्कार का उल्लेख करने की आवश्यकता नहीं है।
जब आप जैसे बेशर्म शिकारी (stalker) ने मेरे परिवार को निशाना बनाया था, तो उस बारे में लिखते हुए मैंने तो उसी समय इस अकाउंट (और कुछ अन्य इन्टरनेट आउटलेट्स, जैसे पैरोडी वेबसाइट juntakareporter) से जुड़े होने की पुष्टि कर दी थी।
(मुझे उम्मीद है कि आपको अपने [उपरोक्त] कर्मों की सज़ा एक दिन ज़रूर मिलेगी, यद्यपि मुझे नहीं लगता कि आप ऐसी ‘दकियानूसी’ अवधारणाओं पर विश्वास करते होंगे)
हाँ, मैंने इस अकाउंट को शुरू किया था, लेकिन इसे शुरू करने के कुछ हफ्तों के बाद मैं अपने जीवन में विभिन्न चीजों में व्यस्त हो गया, इसलिए मैंने दूसरों को इसका एक्सेस दे दिया और इसे लगभग भूल गया। Nework18 छोड़ने के बाद और फिर अब कुछ वर्षों से मैं OpIndia और निजी जीवन में व्यस्त हो गया और ऐसे पैरोडी अकाउंट चलाने के लिए समय ही नहीं बचा (एक समय, 2011 के आसपास, मैं पाँच पैरोडी अकाउंट चलाता था)।
फिलहाल पैरोडी के लिए स्थापित इस अकाउंट ने एक तरह से अपने वास्तविक स्वरूप को खो दिया है, यानि अपनी अधिकांश पोस्ट्स में अब यह स्वयंभू उदारवादियों की बातों का मखौल नहीं उड़ाता; अब यह राजनीतिक रूप से ‘ग़लत’ (politically incorrect) विचारों और संदेशों के प्रसार का एक जरिया बन गया है।
प्रश्न 2) क्या आप इस अकाउंट द्वारा पोस्ट की गई सामग्री का समर्थन करते हैं?
उत्तर: चूँकि यह उन लोगों के समूह द्वारा चलाया जाता है जिन्हें मैंने एक्सेस दिया था, अतः इसमें उनकी अपनी मान्यताओं और मुद्दों की समझ पर आधारित मिश्रित सामग्री है। मैं इस बात का हिसाब नहीं रखता कि कौन क्या पोस्ट करता है, लेकिन वे कौन हैं यह मैं जानता हूँ- और यह एक गुप्त जानकारी है, जो मेरे पास सुरक्षित है।
मैं व्यक्तिगत ट्वीट्स का समर्थन कर भी सकता हूँ या नहीं भी कर सकता हूँ।
(तथाकथित ‘राइट विंग’ आप की सोच से कहीं अधिक विविध है, जबकि आपका वामपंथी गिरोह फिलहाल सामूहिक सोच यानि group-think से ग्रसित है और लोग अक्सर एक दूसरे से सहमत नहीं होते हैं।)
मैं उन स्थानों पर विचारों को नियंत्रित नहीं करता जहाँ मेरा कोई वर्तमान योगदान न हो। इसके अलावा, मैं समय के साथ और अधिक politically incorrect हो गया हूँ। मुझे अपने स्वयं के व्यक्तिगत अकाउंट के अलावा किसी अन्य फ़ेक अकाउंट की कोई ज़रूरत नहीं है- वो भी वह जिसकी follower संख्या मेरे निजी अकाउंट से भी कम हो।
अगर कुछ कहना ही होता है तो मैं अपने व्यक्तिगत अकांउट का इस्तेमाल करता हूँ- उदाहरण के लिए, न्यूजीलैंड की गोलीबारी के बाद भी इस्लामोफोबिया को एक फर्जी शब्द और अवधारणा कहना।
Islamophobia is a bogus term. It’s entirely rational to be afraid of some aspects of Islam. You may want to fight Muslimphobia, and thus use that term, but Islamophobia is a term coined to silence criticism of Islam.
— Rahul Roushan (@rahulroushan) March 22, 2019
या फिर वह ट्वीट जहाँ आपने प्रशांत भूषण पर मेरे कमेंट्स को तोड़ा-मरोड़ा था। मैं फिर से कहूँगा कि कर्म आपको सबक सिखाएगा।
(“धर्मनिरपेक्षता” के अपने तकाजे के लिए अगर कर्म नहीं, तो अल्लाह मान सकते हैं।)
कृपया मुझे फिर कभी न लिखें। आपकी टीम का कोई अन्य व्यक्ति यह कर सकता है, लेकिन आप नहीं। मैं आपके ई-मेल को स्पैम लिस्ट में डाल रहा हूँ। आपने मेरे परिवार, विशेष रूप से मेरी दो-महीने की बेटी के साथ जो किया, उन्हें निशाना बनाया, उसके बाद से मैं आपसे व्यक्तिगत रूप से नफ़रत करता हूँ। आपको फिर से मेरे निजी जीवन में घुसने की अनुमति नहीं है।
और हाँ, यदि आपके अंदर कोई नैतिकता का भाव है, तो आप मेरी इन प्रतिक्रियाओं को ठीक इसी रूप में प्रकाशित करेंगे।
संपादक की ओर से: हमें पता है कि भव्यता के भ्रम और लोगों का पीछा करने की बीमारी से पीड़ित एक विक्षिप्त व्यक्ति को खबर नहीं बनाना चाहिए। पर इस स्तर पर भ्रमित हो चुके (deslusional)लोगों में अक्सर शब्दों को तोड़-मरोड़कर पेश करने की आदत होती है और इन्हें जो कहा जाता है वह इनको पूरी तरह से समझ में नहीं आता। इस प्रतिक्रिया को प्रकाशित इसीलिए किया गया है ताकि ऐसे तत्वों को ऑपइंडिया के CEO के बयान को ग़लत ढंग से प्रचारित और प्रसारित करने का कोई अवसर न मिल सके।