सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर के यहाँ CBI ने गुरुवार (11 जुलाई) को छापेमारी की है। CBI ने यह छापेमारी उनके एनजीओ ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ के लिए विदेशी चंदा विनियमन अधिनियम (FCRA) के उल्लंघन मामले में की है। CBI प्रवक्ता ने बताया कि दिल्ली और मुंबई दोनों जगह छापे मारे जा रहे हैं।
Supreme Court in May had issued notices to advocates Indira Jaising & Anand Grover, & their NGO Lawyers’ Collective, while hearing a petition filed by petitioner Lawyer’s Voice seeking status of investigations into an alleged case of FCRA violation by the NGO. https://t.co/QvgbFKYj8L
— ANI (@ANI) July 11, 2019
CBI की छापेमारी के दौरान जब आनंद ग्रोवर से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने इस मामले में बात करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि CBI की ओर से उन पर जो आरोप लगाए गए हैं वो ग़लत हैं। दरअसल, CBI ने इंदिरा जयसिंह और उनके पति पर विदेशी फंड का ग़लत इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। यह मामला उस समय का है, जब इंदिरा जयसिंह 2009 और 2014 के बीच एडिशनल सॉलिसिटर जनरल थीं। आरोप में यह भी कहा गया था कि उनकी विदेश यात्रा पर खर्च गृह मंत्रालय की मंज़ूरी के बिना उनके एनजीओ के फंड से किया गया था।
वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह और उनके पति आनंद ग्रोवर के यहाँ छापेमारी की ख़बरें जैसे ही बाहर आईं, वैसे ही इस पर प्रतिक्रिया भी आने लगीं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस छापेमारी की निंदा की और ट्वीट किया, “मैं जाने-माने वरिष्ठ वकीलों इंदिरा जयसिंह तथा आनंद ग्रोवर पर CBI छापों की कड़ी निंदा करता हूँ… कानून को अपना काम करते रहना चाहिए, लेकिन जो दिग्गज सारी ज़िन्दगी कानून के शासन और संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए संघर्ष करते रहे हैं, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई साफ़-साफ़ बदले की कार्रवाई है…।”
I strongly condemn CBI raids on well known senior advocates @IJaising and Mr Anand Grover. Let the law take its own course but subjecting veterans who have all through their lives fought for upholding the rule of law & Constitutional values is clear vendetta
— Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) July 11, 2019
ख़बर के अनुसार, गृह मंत्रालय की तरफ से यह आरोप लगाया गया था कि विदेश से कुछ फंड इकट्ठा किया जा रहा है, जिसका इस्तेमाल HIV/AIDS बिल की मीडिया में वकालत करने के लिए किया जा रहा है। इसके पीछे इसी एनजीओ ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ का नाम सामने आया था।
इसके अलावा, इस बात का भी ख़ुलासा हुआ था कि एनजीओ ने एक फ्री-ट्रेड एग्रिमेंट रैली का भी आयोजन किया था। इसमें क़ानून मंत्रालय के बाहर स्पॉन्सर्ड धरने करवाए गए थे, जो कि FCRA क़ानून का उल्लंघन है।
इससे पहले यह मामला मई 2019 में सामने आया था जब सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों के एक स्वैच्छिक संगठन ‘लॉयर्स वॉइस’ द्वारा दायर जनहित याचिका के आधार पर सीनियर एडवोकेट इंदिरा जयसिंह, आनंद ग्रोवर और उनके एनजीओ ‘लॉयर्स कलेक्टिव’ को एक नोटिस जारी किया था। यह नोटिस प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने जारी किया। इस याचिका में संबंधित संस्थाओं द्वारा विदेशी चंदा (नियमन) अधिनियम (FCRA) क़ानून के उल्लंघन पर केंद्र सरकार की निष्क्रियता के लिए SIT (स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम) जाँच की माँग की गई है।
FCRA उल्लंघन की ख़बर सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने ग़ैर सरकारी संगठन के FCRA लाइसेंस को रद कर दिया था, लेकिन दोषियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इनके द्वारा जुटाए गए धन का राष्ट्र के ख़िलाफ़ गतिविधियों में उपयोग किया गया।