श्रीनगर की सड़कों पर अचानक से हलचल बढ़ गई है और अर्ध सैनिक बलों की 100 टुकड़ियों को जम्मू-कश्मीर में उतारने का आदेश गृह मंत्रालय ने दे दिया है। इसमें CRPF की 45, BSF की 35, SSB की 10 and ITBP की 10 टुकड़ियाँ बुलाई गई हैं। लोग इसे सोमवार को धारा 35A पर होने वाली सुनवाई से जोड़ कर देख रहे हैं। कई ख़बरों में सरकार द्वारा इस पर अध्यादेश लानेवाले की बातें भी हो रही हैं।
शनिवार (फरवरी 23, 2019) को घाटी से लगभग 150 अलगाववादियों को गिरफ़्तार कर लिया गया। इसमें से अधिकतर जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर से संबंध रखते थे। इस पर महबूबा मुफ़्ती समेत कई नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकार का यह फ़ैसला गलत है।
In the past 24 hours, Hurriyat leaders & workers of Jamaat organisation have been arrested. Fail to understand such an arbitrary move which will only precipitate matters in J&K. Under what legal grounds are their arrests justified? You can imprison a person but not his ideas.
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) February 23, 2019
मुफ़्ती ने ट्वीट करते हुए पूछा है कि सरकार ने किस कानून के तहत हुर्रियत नेताओं और जमात के कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया है? उन्होंने यह भी कहा कि आप विचारों को क़ैद नहीं कर सकते।
पुलिस ने इसे एक सामान्य कार्रवाई कहा है। पुलिस का कहना है कि आने वाले समय में राज्य में पत्थरबाज़ी की घटना न हो, इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
क्या है 35-ए, जिस पर सुप्रीम कोर्ट में शुरू होगी सुनवाई?
- दूसरे राज्य का कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर का स्थाई निवासी नहीं बन सकता है।
- जम्मू-कश्मीर के बाहर का कोई भी व्यक्ति यहाँ पर अचल संपत्ति नहीं खरीद सकता।
- इस राज्य की लड़की अगर किसी बाहरी लड़के से शादी करती है, तो उसके सारे प्राप्त अधिकार समाप्त कर दिए जाएँगे।
- राज्य में रहते हुए जिनके पास स्थायी निवास प्रमाणपत्र नहीं हैं, वे लोकसभा चुनाव में मतदान कर सकते हैं लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव में वोट नहीं कर सकते हैं।
- इस अनुच्छेद के तहत यहाँ का नागरिक सिर्फ़ वहीं माना जाता है जो 14 मई 1954 से पहले के 10 वर्षों से राज्य में रह रहा हो या फिर इस बीच में यहाँ उसकी पहले से कोई संपत्ति हो।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर लिबरल फ्रंट के अध्यक्ष यासीन मलिक को बीते शुक्रवार (फरवरी 22, 2019) की रात मायसूमा स्थित आवास से हिरासत में लिया । इसके बाद यासीन को पहले कोठीबाग ले जाया गया और फिर वहाँ से सेंट्रल जेल में भेज दिया गया।
पुलिस को आशंका है कि पुलवामा हमले के बाद अलगाववादी कश्मीर के माहौल को और भी खराब कर सकते हैं। इसलिए एहतियात बरतते हुए यासीन को गिरफ्तार किया गया है। हालाँकि अभी किसी अन्य नेता को हिरासत में लिए जाने की ख़बर सामने नहीं आई है।