Tuesday, November 5, 2024
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‘हकीकत में हिंदू सबसे अधिक नहीं’: हाई कोर्ट ने ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन’ का जिक्र किया, कहा- आरक्षण के लिए ईसाई भी खुद को बताते हैं हिंदू

जस्टिस स्वामीनाथन ने कहा, "धार्मिक तौर पर कन्याकुमारी की जनसांख्यिकी में बदलाव देखा गया है। 1980 के बाद से जिले में हिंदू बहुसंख्यक नहीं रहे। हालाँकि 2011 की जनगणना बताती है कि 48.5 फीसदी आबादी के साथ हिंदू सबसे बड़े धार्मिक समूह हैं। पर यह जमीनी हकीकत से अलग हो सकती है...।"

देश में लंबे समय से ‘क्रिप्टो क्रिश्चियन (Crypto Christian)’ पर बहस चल रही है। अनुसूचित जाति से आने वाले ये ऐसे लोग होते हैं जो धर्मांतरण कर ईसाई बन जाते हैं, लेकिन आरक्षण का फायदा लेने के लिए खुद को दस्तावेजों में हिंदू बताते रहते हैं। अब मद्रास हाई कोर्ट ने भी इस ओर ध्यान खींचा है। कैथोलिक पादरी जॉर्ज पोन्नैया से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने यह बात कही।

असल में पादरी ने भारत माता और भूमा देवी को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसको लेकर उस पर एफआईआर दर्ज की गई। इसे रद्द करने को लेकर उसने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाई कोर्ट ने उसे राहत देने से इनकार करते हुए अपने फैसले में कन्याकुमारी की जनसांख्यिकी में बदलाव का भी जिक्र किया। पादरी पोन्नैया ने यहीं हिंदू भावनाओं को आहत करने वाली टिप्पणी की थी। 

जस्टिस स्वामीनाथन ने अपने फैसले में इशारा किया कि हकीकत में कन्याकुमारी जिला ईसाई बहुल आबादी में तब्दील हो चुका है। उन्होंने कहा, “धार्मिक तौर पर कन्याकुमारी की जनसांख्यिकी में बदलाव देखा गया है। 1980 के बाद से जिले में हिंदू बहुसंख्यक नहीं रहे। हालाँकि 2011 की जनगणना बताती है कि 48.5 फीसदी आबादी के साथ हिंदू सबसे बड़े धार्मिक समूह हैं। पर यह जमीनी हकीकत से अलग हो सकती है। इस पर गौर किया जाना चाहिए कि बड़ी संख्या में अनुसूचित जाति के लोग धर्मांतरण कर ईसाई बन चुके हैं, लेकिन आरक्षण का लाभ पाने के लिए खुद को हिंदू बताते रहते हैं।”

हाई कोर्ट ने कहा कि पादरी के टिप्पणियों पर गौर करने के बाद उसकी मंशा स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। इसका मकसद हिंदुओं को निशाना है। एक पाले में हिंदुओं और दूसरे में ईसाई तथा मुस्लिमों को खड़ाकर उसने एक समूह को दूसरे के खिलाफ खड़ा करने की कोशिश की। लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार अदालत ने कहा, “याचिकाकर्ता ने भाषण में बार-बार हिंदू समुदाय को नीचा दिखाया है। उसके शब्द पर्याप्त रूप से उत्तेजक हैं।”

पादरी जॉर्ज पोन्नैया के खिलाफ कार्रवाई का कारण

गौरतलब है कि तमिलनाडु के कन्याकुमारी में रोमन कैथोलिक पादरी जॉर्ज धार्मिक समूहों के बीच नफरत और दुश्मनी फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, डीएमके नेता एवं अन्य के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के आरोप में पिछले साल चर्चा में आया थे। उसने कहा था कि विधानसभा चुनाव में द्रमुक की जीत ‘ईसाइयों और मुसलमानों द्वारा दी गई भीख’ थी। उसने हिंदू धर्म, PM मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के बारे में भी अपमानजनक टिप्पणी की थी। पीएम के लिए उसने कहा था, “नरेंद्र मोदी का आखिरी दिन सबसे दयनीय होगा। मैं लिखकर दे सकता हूँ। अगर जिन भगवान को हम पूजते हैं वो सच में जिंदा हैं तो इतिहास देखेगा कि मोदी और अमित शाह के सड़े शरीर को कुत्ते और कीड़े खाएँगे।”

इसी दौरान पादरी ने नागरकोली के भाजपा विधायक एम आर गाँधी पर तंज कसते हुए कहा था, “वो इसलिए चप्पल नहीं पहनते क्योंकि वो भारत माता को दर्द नहीं देना चाहते और हम लोग इसलिए चप्पल पहनते हैं ताकि हमारे पैर गंदे न हों और भारत माता के कारण हमें कोई बीमारी न हो।” पादरी का बयान वायरल होने के बाद मामले में भाजपा सहित कई लोगों ने शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत पर कार्रवाई करते हुए, अरुमनई पुलिस ने उस पर भारतीय दंड संहिता की धारा 153 ए, 295 ए, 505 (ii) और 506 (i) के तहत मामला दर्ज किया। इसके अलावा पादरी पर आईपीसी की धारा 269 और 143 व महामारी रोग अधिनियम की धारा 3 के तहत बैठक आयोजित करने, प्रतिबंधों का उल्लंघन करने के लिए भी मामला दर्ज किया गया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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