Thursday, November 14, 2024
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तमिल मैग्जीन, मशहूर डांसर और एक चिट्ठी… संसद भवन में लगने वाले ‘सेंगोल’ से इनका क्या है कनेक्शन

दो साल पहले मशहूर डांसर पद्मा को सेंगोल के बारे में एक तमिल मैग्जीन 'तुगलक' के जरिए मालूम चला। इसके बाद उन्होंने उस आर्टिकल को तमिल से अंग्रेजी में अनुवाद करके पीएम मोदी को भेजा। उन्होंने चिट्ठी में पीएम मोदी से अपील की कि वह इसके बारे में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सभी देशवासियों को बताएँ।

नए संसद भवन में लोकसभा स्पीकर की कुर्सी के पास लगने वाले ‘सेंगोल‘ पर रोज कोई न कोई नई जानकारी सामने आ रही है। इसी क्रम में ये पता चला है कि पीएम मोदी को स्वतंत्रता के इस प्रतीक के बारे में मशहूर डांसर पद्मा सुब्रमण्यम द्वारा पता चला था।

दरअसल, दो साल पहले साल 2021 में मशहूर डांसर पद्मा को सेंगोल के बारे में एक तमिल मैग्जीन ‘तुगलक’ के जरिए मालूम चला। इसके बाद उन्होंने उस मैग्जीन के आर्टिकल को तमिल से अंग्रेजी में अनुवाद करके पीएम मोदी को भेजा। उन्होंने चिट्ठी में पीएम मोदी से अपील की कि वह इसके बारे में स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सभी देशवासियों को बताएँ।

वह कहती हैं कि सेंगोल सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक है। उन्होंने बताया कि जो आर्टिकल पढ़कर उन्हें सेंगोल के बारे में पता चला उसमें बताया गया था कि कैसे कांची महा स्वामी (चंद्रशेखरेंद्र सरस्वती) ने अपने शिष्य मेट्टू स्वामीगल को सेंगोल के बारे में बताया और फिर इसका जिक्र डॉ सुब्रमण्यम की एक पुस्तक में हुआ। उन्होंने इंडिया टुडे से बातचीत में इस सेंगोल की महत्वता के बारे में बताया।

वह बताती हैं कि तमिल संस्कृति में छत्र, राजदंड और सिंहासन ये तीन चीजें सत्ता हस्तांतरण के वक्त दी जाती हैं। इनमें सेंगोल न केवल ताकत का बल्कि न्याय का भी प्रतीक है। इसका महत्व हजारों वर्ष पुराना है। इसके बाद उन्होंने सेंगोल नेहरू को कैसे मिला…इस विषय पर बात की। उन्होंने कहा कि वह एक राष्ट्रवादी हैं और पीएमओ के समक्ष सेंगोल की जानकारी देकर उन्होंने रामायण की उस गिलहरी जैसे अपना फर्ज निभाया है।

बता दें कि पीएम मोदी के कार्यालय में पद्मा की ये चिट्ठी रिसीव होने के बाद सेंगोल की खोजबीन शुरू हुई। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने इंदिरा गाँधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स के विशेषज्ञों की मदद ली और राष्ट्री अभिलेखागार से लेकर उस वक्त तमाम अखबारों और डॉक्यूमेंट्स में इसके बारे में खँगाला गया। लेकिन इसका पता तब चला जब सूचना संग्रहालयों में भेजी गईं और जानकारी आई कि सेंगोल इलाहाबाद के म्यूजियम में रखा हुआ है।

जाँच में सामने आया कि ये सेंगोल को बंगलौर के फेमस वुम्मिडी बंगारू चेट्टी एंड सन्स ज्वैलर्स एंड डायमंड मर्चेंट्स ने तैयार किया था और 1947 में इसे बनाने में 15000 की लागत आई थी। आज जब सेंगोल की महत्वता पर हर जगह बात हो रही है तो डांसर कहती हैं कि लोकतंत्र के मंदिर में सेंगोल की स्थापना से उनका सपना पूरा हो रहा है। यह अपने अआप में खास है क्योंकि इसके बारे में किसी ऐतिहासिक किताब तक में जिक्र नहीं है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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