झूठे दावों और फर्जी खबरों के सहारे एक तय दर्शक भीड़ को अपनी ओर आकर्षित कर बरगलाने वाले रवीश कुमार एक फिर झूठ फैलाते नजर आए। इस बार उन्होंने मोहम्मद शाहरुख के नाम पर झूठ परोसा है। वही मोहम्मद शाहरुख जिसने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़की हिंसा के दौरान एक पुलिसकर्मी पर बंदूक तानी थी और लगातार इधर-उधर 8 राउंड फायरिंग की थी। उस शाहरुख को कल रवीश कुमार ने अपने प्राइम टाइम में अनुराग मिश्रा बता दिया। साथ ही एक विडियो के जरिए उसकी गिरफ्तारी नहीं होने का भ्रम पैदा करने की कोशिश की।
26 फरवरी को प्रसारित अपने प्राइम टाइम में रवीश को कहते सुना जा सकता है, “पुलिस की हालत ये है कि अभी तक गिरफ्तार नहीं हुआ है। पुलिस साफ कहती है ये शाहरुख है, मगर आप सोशल मीडिया पर देखिए कि इसे अनुराग मिश्रा बताया जा रहा है।” जिस अनुराग मिश्रा की प्रोफाइल को लेकर ये प्रोपेगेंडा तैयार किया गया उसने खुद विडियो के जरिए ऐसा करने वालों के झूठ का पर्दाफाश किया। साथ ही कहा कि वह उस हर शख्स के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे जिन्होंने उनकी तस्वीर का इस्तेमाल किया।
रवीश कुमार को अपने प्राइम टाइम में बिन सच्चाई खँगाले दिल्ली पुलिस से कहते सुना जा सकता है कि वो युवक की पहचान पर दोबारा से बोलें और इसके बाद उन्हें बिन तारीख के एक विडियो चलाते देखा जा सकता है। इसमें उनका रिपोर्टर पुलिस से पूछता है कि क्या उस युवक की गिरफ्तारी हुई है। इसपर पुलिस कहती है कि वो उसकी खोज में हैं। जल्द से जल्द उसकी गिरफ्तारी हो जाएगी। इसके बाद रवीश कुमार अपने प्राइम टाइम में अनुराग ठाकुर, कपिल मिश्रा और प्रवेश वर्मा का वीडियो चलाते हैं ताकि उनके दर्शकों को ये लगे कि उनकी भाषणों के कारण दिल्ली में हिंसा भड़की।
इस प्राइम टाइम की शुरुआत में रवीश कुमार आईबी अधिकारी की मौत के बारे में भी बात करते हैं और पहले तो ये समझाने की कोशिश करते हैं कि आखिर कैसे अंकित शर्मा के परिवार ने आम आदमी पार्टी के नेता को इस घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया। फिर बाद में पूरी हिंसा के लिए टेलीविजन डिबेट में भड़काऊ बयानों को जिम्मेदार ठहराया। शायद इस बीच रवीश कुमार और उनकी टीम 51 वर्षीय विनोद की निर्मम हत्या की कहानी बताना भूल गए, जिन्हें उनके बच्चे के सामने मार दिया गया और उनकी बाइक को आग के हवाले कर दिया गया।
इस प्राइम टाइम में रवीश कुमार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोवाल के दौरे की विडियो दिखाते भी नजर आए। इसमें एक मुस्लिम युवक ने सीएए के ख़िलाफ़ विरोध को आरएसएस प्रायोजित बताया और अमित शाह पर आरोप लगाया कि वे इन सबके पक्ष में हैं। इसके अलावा रवीश कुमार रामभक्त गुलशन और उस कपिल गुर्जर द्वारा गोली चलाने वाले वाकए को भी दिखाते नजर आए, जिसने ये कहा था कि इस देश में हिंदुओं की मर्जी चलेगी। जाहिर है, हिंदू नामों पर जोर देकर रवीश का इन विडियो को दिखाने के पीछे क्या इरादा था, लेकिन शायद वो भूल गए कि जिस कपिल गुर्जर की विडियो दिखाकर वो अपना एजेंडा चलाना चाहते थे, वो आम आदमी पार्टी का ही कार्यकर्ता था।
26 फरवरी को रवीश कुमार ने जिस तरह से तथ्यों को प्राइम टाइम में पेश किया वह इस बात का सबूत है कि मेनस्ट्रीम मीडिया दंगाई के मुस्लिम होने पर न केवल उसका नाम छिपाता है, बल्कि उसे क्लीनचिट भी देता है।