तमिलनाडु में भाजपा का समर्थन या फिर ख़ुद के हिन्दू जड़ों पर गर्व करना द्रविड़ पार्टियों को उतना ही अखरता है, जितना ओवैसी को हिन्दुओं से चिढ़ है। आज हम आपको तमिलनाडु के एक ऐसे इंजीनियरिंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जो न सिर्फ़ डीएमके के हर एक नैरेटिव की अपने मजबूत तर्कों से धज्जियाँ उड़ाते रहे हैं, बल्कि हिंदुत्व के लिए तमिलनाडु में एक ऐसी मशाल जला रहे हैं, जिसकी अग्नि से उपजे प्रकाश भर को देख कर ब्राह्मणों को गाली देकर सत्ता भोगने वाली डीएमके की कँपकँपी छूट जाती है। इस शख्स का नाम है- मरीदास एम।
मरीदास तमिलनाडु की आंतरिक व राजनीतिक मुद्दों पर लेख लिखते रहे हैं। वो अपनी बात कहने के लिए अधिकतर तमिल भाषा का प्रयोग करते हैं। उन्हें डीएमके नेताओं द्वारा ‘ब्राह्मणवादी’ ठहराया जा चुका है। फेसबुक से लेकर यूट्यब पर उन्होंने अपने विचारों से जनता को इतना प्रभावित किया कि डीएमके हिल उठी। बस यही ताज़ा विवाद की जड़ भी है। आम जनता की मरीदास के बारे में क्या राय है, इसके बारे में हम बात करेंगे लेकिन उससे पहले इस पूरे मसले को समझते हैं कि आख़िर ट्विटर पर ‘I Support Mridhas’ का कारण क्या है?
तमिलनाडु में कई बार सत्ता में रही कॉन्ग्रेस की सहयोगी पार्टी डीएमके ने चेन्नई के पुलिस कमिश्नर को मरीदास के ख़िलाफ़ पत्र लिख कर उन पर अफवाह फैलाने का आरोप लगाया। इस लम्बे-चौड़े पत्र में मरीदास के सोशल एकाउंट्स का विवरण दे कर उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की माँग की गई। आख़िर एक ऐसे व्यक्ति में क्या है कि डीएमके जैसी बड़ी पार्टी उसके ख़िलाफ़ कार्रवाई की माँग कर रही है? ब्लॉग लिखने और यूट्यब वीडियो बनाने वाला व्यक्ति, जो नेता भी नहीं है, उससे डीएमके को कैसा डर? इसके लिए डीएमके की शिकायत वाले पत्र को देखना ज़रूरी है।
डीएमके ने आरोप लगाया है कि मरीदास पार्टी के ख़िलाफ़ ग़लत ख़बरें फैलाते हैं। पार्टी के अनुसार, मरीदास सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का प्रयोग कर के लोगों को बरगलाते हैं। डीएमके ने मरीदास की वेबसाइट, फेसबुक हैंडल और यूट्यूब पेज का विवरण पुलिस कमिश्नर को देते हुए आरोप लगाया कि वह सांप्रदायिक प्रोपगेंडा फैलाते हैं। अब यह पूछने वाली बात नहीं है कि अधिकतर विपक्षी पार्टियों के लिए सांप्रदायिक की परिभाषा क्या है?
हिन्दुओं को ख़त्म कर देने की बात करने वाला ओवैसी का भाई सांप्रदायिक नहीं है। चंद्रबाबू नायडू मुस्लिम बहुल इलाक़ों में प्रचार के लिए फ़ारुख़ अब्दुल्ला को बुलाते हैं और नमाज रूम बनवाने की घोषणा करते हैं लेकिन वह सांप्रदायिक नहीं हैं। कॉन्ग्रेस खुलेआम मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति करती है लेकिन यह सांप्रदायिक नहीं है। इस मामले में भी डीएमके के लिए मरीदास इसीलिए सांप्रदायिक हैं ,क्योंकि वह कृष्ण जन्माष्टमी से लेकर अन्य हिन्दू पर्व-त्योहारों पर बधाई देते हैं,मिशनरी की पोल खोलते हैं।
डीएमके ने अपनी शिकायत में लिखा है कि अपने यूट्यब वीडियो में मरीदास एक बड़े टीवी स्क्रीन के सामने इस तरह से खड़े होते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि वह कोई बहुत बड़े विशेषज्ञ हैं। शायद सांप्रदायिक का टैग हटाने के लिए मरीदास को डीएमके से पूछना पड़ेगा कि वे किस आकार के टीवी के सामने खड़े होकर अपनी बात रखें। डीएमके ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने और जम्मू-कश्मीर का पुनर्गठन कर राज्य का विशेषाधिकार वापस लिए जाने का विरोध किया था। मरीदास ने पार्टी के इसी क़दम के विरोध में वीडियो बनाया था, जिससे डीएमके नाराज़ है।
डीएमके ने अपनी शिकायत में कहा है कि इस वीडियो के द्वारा वह समाज में शांति को भंग करना चाहते हैं, विभिन्न सम्प्रदायों के बीच वैमनस्य फैला कर उन्हें भड़काने की कोशिश कर रहे हैं और मुस्लिमों एवं नॉन-मुस्लिमों के बीच लड़ाई करवाना चाहते हैं। अब सवाल उठता है कि इस वीडियो में मरीदास ने क्या कहा था? मरीदास ने कहा था कि डीएमके द्वारा जम्मू-कश्मीर पर भारत सरकार के निर्णय का विरोध करना आतंकी संगठनों लश्कर-ए-तैयबा और हिज़्बुल मुजाहिद्दीन को समर्थन देने वाला क़दम है।
उन्होंने सवाल पूछा था कि क्या डीएमके ने भारत सरकार के फ़ैसले का विरोध करने के लिए पाकिस्तान से रुपए लिए हैं या फिर पार्टी का आतंकी संगठनों के साथ समझौता हुआ है, जिसके तहत अनुच्छेद 370 हटाए जाने के विरोध में बयान दिया गया? अब आपको बता देते हैं कि डीएमके प्रमुख स्टालिन ने अपने बयान में क्या कहा था। स्टालिन ने सरकार के फ़ैसले का विरोध करते हुए इसे असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और संघीय ढाँचे के ख़िलाफ़ लिया गया निर्णय बताया था। अपनी शिकायत में भी डीएमके यह जताना नहीं भूलती कि जम्मू-कश्मीर एक मुस्लिम बहुल राज्य है और इसीलिए पार्टी का आतंकी संगठनों से समझौता होने की बात फैलाई जा रही है।
डीएमके को इस बात से भी दिक्कत है कि मरीदास स्वदेशी जगाओ आंदोलन के नाम पर लोगों से दान में फंड्स माँगते हैं। पार्टी का अजीबोगरीब तर्क है कि ‘बेचारे निर्दोष लोग’ रुपए देते हैं और उन रुपयों का इस्तेमाल अपराध करने के लिए किया जाता है। डीएमके कुछेक पैनल कोड गिना कर कहती है कि मरीदास द्वारा पार्टी पर आरोप लगाना अपराध है। डीएमके ने एक आम आदमी के ख़िलाफ़ न सिर्फ़ शिकायत की, बल्कि शिकायत की कॉपी को अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर भी पोस्ट किया। इसे आप यहाँ पढ़ सकते हैं:
पूरी पार्टी की बात तो छोड़ दीजिए, अगर भाजपा के किसी सदस्य ने भी किसी ऐसे व्यक्ति के ख़िलाफ़ एक एफआईआर भी दर्ज कराई होती जिसने देश विरोधी बयान दिया हो, तो आज पूरा विपक्ष सड़क पर उतर कर लोकतंत्र की हत्या होने की बात कहता और अभिव्यक्ति की आज़ादी के हनन का रोना रोता। लेकिन, जैसे एचडी कुमारस्वामी की सरकार द्वारा अपने परिवार के बारे में लिखने पर संपादक पर कार्रवाई हो जाती है और विपक्षी कहते हैं, इस मामले में भी अभिव्यक्ति की आज़ादी तेल लेने ही चली गई है। ब्लॉग लिखने, यूट्यब वीडियो बनाने और फेसबुक पोस्ट लिखने से एक 70 वर्ष पुरानी पार्टी डर गई है।
अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर मरीदास के बारे में पब्लिक ओपिनियन खंगाला जाए तो पता चलता है कि लोग उन्हें एक गंभीर व्यक्ति मानते हैं, जिनकी तर्कों में दम तो होता ही है, साथ ही तथ्य भी पुष्ट होते हैं। कुछ लोग कहते हैं कि तमिलनाडु में जो काम भाजपा का पूरा संगठन मिल कर नहीं कर पा रहा है, वह काम मरीदास अकेले कर रहे हैं क्योंकि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं और अपनी बात जनता तक सीधे पहुँचा रहे हैं।कुछ लोगों का कहना है कि वह राजग सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों का पॉजिटिव पक्ष रखते हैं और इससे देश को क्या फायदा होगा, यह समझाते हैं।
मरीदास का सीधा मानना है कि नंबर सच बोलते हैं और इसीलिए वह किसी भी नैरेटिव को काटने के लिए आँकड़ों का इस्तेमाल करते हैं, डेटा निकालते हैं। वह ऐसे मीडिया संस्थाओं को आतंकवादियों का ही एक अलग रूप मानते हैं जो हिन्दुओं में बँटवारा पैदा करने के लिए दलितों पर शोषण की झूठी ख़बरें चलाने हेतु भ्रामक हेडलाइंस बनता है। वह सुपरस्टार रजनीकांत के प्रशंसक हैं और उन्हें तमिलनाडु का मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं। रजनीकांत ने उन्हें मिलने का समय भी दिया था और मरीदास ने अपनी पुस्तक की एक कॉपी रजनी को सौंपी।
अब बस इंतजार है इस बात का है कि जिस एक व्यक्ति के पीछे देश की 70 वर्ष पुरानी शक्तिशाली द्रविड़ पार्टी लगी हुई है, क्या उसकी सुरक्षा की गारंटी सरकार लेगी? द्रविड़ पार्टियों के आक्रामक समर्थक उन्हें नुकसान नहीं पहुँचाएँगे, क्या डीएमके यह सुनिश्चित करेगी? या फिर, क्या राजनीतिक दल इसका विरोध करेंगे कि किसी व्यक्ति के ख़िलाफ़ सिर्फ़ इसीलिए पुलिस प्रशासन से शिकायत न की जाए या कार्रवाई न की जाए क्योंकि वह ब्लॉग लिख कर और वीडियो बना कर पूछता है। इंतजार उन कथित एक्टिविस्ट्स का भी है, जो कहते हैं कि लोकतंत्र में सवाल पूछना पेट भरने से भी ज्यादा ज़रूरी है।