इनकम टैक्स विभाग ने ऐसे 80,000 लोगों की सूची तैयार की है, जिन्होंने नोटबंदी के दौरान अपने बैंक खतों में अच्छी-ख़ासी रकम जमा कराई थी। इन सभी के ट्रांजैक्शंस की जाँच की जा रही है। ये वो लोग हैं, जिन्होंने आयकर विभाग की नोटिस का जवाब नहीं दिया और वित्तीय वर्ष 2016-17 का टैक्स रिटर्न प्रस्तुत नहीं किया। अब ये सभी आयकर विभाग की स्क्रूटनी की जद में होंगे। 5 मार्च को अपने सीनियर कैडर को जारी किए गए नोटिस में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने इस बाबत स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार किया है।
इससे पहले आयकर विभाग ने धारा 142 (1) के तहत लगभग 3 लाख व्यक्तियों को नोटिस जारी किया था। उस नोटिस में उन्हें अपने नक़दी जमा से संबंधित विवरण प्रदान करने और 2016-17 के लिए अपने I-T रिटर्न को प्रस्तुत करने को कहा गया था। 87,000 मामलों में आयकर विभाग को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी या तकनीकी शब्दों में यूँ कहें कि नोटिस का अनुपालन नहीं किया गया था। CBDT ने अनुमान के मुताबिक़, ‘Best Judgement Assessment’ मार्च से जून के बीच पूरा हो जाना चाहिए।
ये सभी 80,000 लोग अब आयकर विभाग के रडार पर हैं। आयकर अधिकारी उनके बारे में अधिकतम जानकारी जुटाएँगे और इन जानकारियों के आधार पर उनकी कुल आय का विवरण पता किया जाएगा। इस कार्य के लिए अधिकारियों को अधिकृत कर दिया गया है। उनकी कुल आय-व्यय का आकलन किया जाएगा।
CBDT की अधिसूचना के अनुसार, ये अधिकारी अब किसी भी व्यक्ति को धारा 133 (6) के तहत नोटिस भेज कर अतिरिक्त जानकारी की माँग कर सकते हैं। उनके बैंकों के लेनदेन का विवरण, फंड फ्लो इत्यादि से जुड़े विवरण माँगे जा सकते हैं। इस अधिसूचना में कहा गया है:
“इस तरह के नोटिस संबंधित आई-टी अधिकारी द्वारा उपलब्ध सूचना के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद जारी किए जाएँगे ताकि अधिकतम संभव अतिरिक्त जानकारी को बाहर निकाला जा सके। इसके अलावा, पिछले आयकर रिटर्न का एक विस्तृत विश्लेषण के आधार पर नोटबंदी के दौरान किए गए लेनदेन की प्रकृति के बारे में जानने के लिए अधिकारी इन विवरण की माँग कर सकते हैं।”
करदाताओं को उनका पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा। सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद वास्तव में देश में कर आधार बढ़ाने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि प्रत्यक्ष करों से देश का शुद्ध राजस्व बढ़ा है। इस से पहले अप्रत्यक्ष करों का योगदान प्रत्यक्ष करों से ज्यादा हुआ करता था। लेकिन, पिछले साल ऐसा पहली बार हुआ है जब अप्रत्यक्ष करों (48%) का योगदान प्रत्यक्ष करों (52%) के योगदान से कम रहा।