Friday, April 26, 2024
Homeविविध विषयअन्यनोटबंदी के दौरान खातों में बड़ी राशि जमा कराने वाले 80,000 लोग IT विभाग...

नोटबंदी के दौरान खातों में बड़ी राशि जमा कराने वाले 80,000 लोग IT विभाग के रडार पर

नोटबंदी से पहले अप्रत्यक्ष करों का योगदान प्रत्यक्ष करों से ज्यादा हुआ करता था। लेकिन, पिछले साल ऐसा पहली बार हुआ है जब अप्रत्यक्ष करों (48%) का योगदान प्रत्यक्ष करों (52%) के योगदान से कम रहा।

इनकम टैक्स विभाग ने ऐसे 80,000 लोगों की सूची तैयार की है, जिन्होंने नोटबंदी के दौरान अपने बैंक खतों में अच्छी-ख़ासी रकम जमा कराई थी। इन सभी के ट्रांजैक्शंस की जाँच की जा रही है। ये वो लोग हैं, जिन्होंने आयकर विभाग की नोटिस का जवाब नहीं दिया और वित्तीय वर्ष 2016-17 का टैक्स रिटर्न प्रस्तुत नहीं किया। अब ये सभी आयकर विभाग की स्क्रूटनी की जद में होंगे। 5 मार्च को अपने सीनियर कैडर को जारी किए गए नोटिस में सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (CBDT) ने इस बाबत स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) तैयार किया है।

इससे पहले आयकर विभाग ने धारा 142 (1) के तहत लगभग 3 लाख व्यक्तियों को नोटिस जारी किया था। उस नोटिस में उन्हें अपने नक़दी जमा से संबंधित विवरण प्रदान करने और 2016-17 के लिए अपने I-T रिटर्न को प्रस्तुत करने को कहा गया था। 87,000 मामलों में आयकर विभाग को कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली थी या तकनीकी शब्दों में यूँ कहें कि नोटिस का अनुपालन नहीं किया गया था। CBDT ने अनुमान के मुताबिक़, ‘Best Judgement Assessment’ मार्च से जून के बीच पूरा हो जाना चाहिए।

ये सभी 80,000 लोग अब आयकर विभाग के रडार पर हैं। आयकर अधिकारी उनके बारे में अधिकतम जानकारी जुटाएँगे और इन जानकारियों के आधार पर उनकी कुल आय का विवरण पता किया जाएगा। इस कार्य के लिए अधिकारियों को अधिकृत कर दिया गया है। उनकी कुल आय-व्यय का आकलन किया जाएगा।

CBDT की अधिसूचना के अनुसार, ये अधिकारी अब किसी भी व्यक्ति को धारा 133 (6) के तहत नोटिस भेज कर अतिरिक्त जानकारी की माँग कर सकते हैं। उनके बैंकों के लेनदेन का विवरण, फंड फ्लो इत्यादि से जुड़े विवरण माँगे जा सकते हैं। इस अधिसूचना में कहा गया है:

इस तरह के नोटिस संबंधित आई-टी अधिकारी द्वारा उपलब्ध सूचना के सावधानीपूर्वक मूल्यांकन के बाद जारी किए जाएँगे ताकि अधिकतम संभव अतिरिक्त जानकारी को बाहर निकाला जा सकेसके अलावा, पिछले आयकर रिटर्न का एक विस्तृत विश्लेषण के आधार पर नोटबंदी के दौरान किए गए लेनदेन की प्रकृति के बारे में जानने के लिए अधिकारी इन विवरण की माँग कर सकते हैं।”

करदाताओं को उनका पक्ष रखने का पूरा मौका दिया जाएगा। सीबीडीटी के चेयरमैन सुशील चंद्रा ने कहा कि नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद वास्तव में देश में कर आधार बढ़ाने में मदद मिली है। उन्होंने बताया कि प्रत्यक्ष करों से देश का शुद्ध राजस्व बढ़ा है। इस से पहले अप्रत्यक्ष करों का योगदान प्रत्यक्ष करों से ज्यादा हुआ करता था। लेकिन, पिछले साल ऐसा पहली बार हुआ है जब अप्रत्यक्ष करों (48%) का योगदान प्रत्यक्ष करों (52%) के योगदान से कम रहा।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

इस्लामी-वामी फिलीस्तीन समर्थकों का आतंक देख US भूला मानवाधिकारों वाला ज्ञान, भारत के समय खूब फैलाया था प्रोपगेंडा: अमेरिका का दोहरा चरित्र बेनकाब

यूएस आज हिंसक प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई कर रहा है, लेकिन यही काम जब भारत ने देश में कानून-व्यवस्था बनाने के लिए करता है तो अमेरिका मानवाधिकारों का ज्ञान देता है।

स्त्री धन पर सिर्फ पत्नी का हक, पति या सुसराल वालों का नहीं: सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी, शख्स से कहा- बीवी को देने पड़ेंगे...

सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ कहा है कि महिला का स्त्रीधन उसकी पूर्ण संपत्ति है. जिसे अपनी मर्जी से खर्च करने का उसे पूरा अधिकार है। इस स्त्री धन में पति कभी भी साझीदार या हिस्सेदार नहीं बन सकता।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe