भारतीय सेना के POK स्थित आतंकी लॉन्च पैडों पर आर्टिलरी हमले के द्वारा आतंकी ढाँचों की तबाही के महज़ कुछ दिन बाद ही पाकिस्तानी सेना ने भारतीय सेना से आधिकारिक संवाद स्थापित कर हमला न करने की गुज़ारिश की क्योंकि उसके पत्रकार LOC के दौरे पर आ रहे थे। और भारतीय सेना ने उसकी दरख्वास्त का सम्मान करते हुए अपनी बंदूकों का मुँह बंद भी रखा। लेकिन अपना काम सध जाने के बाद पाकिस्तानी सेना ने खुद सीज़फायर का उल्लंघन शुरू कर दिया। उसकी फायरिंग के चलते LOC के पास स्थित स्कूलों में बच्चे भी स्कूल के अंदर ही फंसे रह गए।
मंगलवार (22 अक्टूबर, 2019) को नियंत्रण रेखा (LOC) के पास स्थित पुंछ जिले के नागरिक/सिविलियन इलाकों पर पाकिस्तान ने भारी गोलीबारी की। इससे कम से कम दो नागरिकों के घायल होने की खबरें मीडिया में आ रहीं हैं। पाकिस्तानी सेना का हमला और सीज़फायर उल्लंघन पुंछ जिले के बालाकोट और मेंढर सेक्टरों में हुआ। इसके अलावा भारतीय सेना के इंजीनियरों ने पुंछ के कर्मारा गाँव में पाकिस्तानी सेना द्वारा दागे गए तीन जिन्दा (लाइव) मोर्टार शैलों को भी डिफ्यूज़ किया।
इसके पहले रविवार (20 अक्टूबर, 2019) को भारतीय सेना ने LOC के उस पार तंगधार और मेंढर सेक्टरों के आमने सामने स्थित 4 आतंकी लॉन्च पैडों को नेस्तनाबूद कर दिया था। घुसपैठ को बढ़ावा देनेके लिए पाकिस्तानी सेना द्वार किए गए सीज़फायर उल्लंघन की इस जवाबी कार्रवाई में 6-7 आतंकियों के अलावा पाकिस्तानी सैनिक भी मारे गए थे।
उस कार्रवाई को पाकिस्तान ने अपने नागरिक क्षेत्रों पर किया गया हमला बताते हुए विदेशी राजनयिकों को क्षेत्र के भ्रमण के लिए आमंत्रित किया था। उसने वहाँ आतंकी कैम्पों की मौजूदगी या उनको हुए नुकसान की बात को स्वीकारने से साफ़ इंकार कर दिया। विदेशी राजनयिकों की एक टीम को नीलम घाटी का दौरा कराया गया था। पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता डॉ. मुहम्मद फैसल के अनुसार “हम डिप्लोमैटिक कॉर्प्स को आज LOC पर ले जा रहे हैं। भारतीय सेना प्रमुख के दावे बस दावे ही हैं।” पाकिस्तान ने भारतीय डिप्टी हाई कमिश्नर गौरव अहलूवालिया को डेलीगेशन का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन अहलूवालिया ने आमंत्रण स्वीकार नहीं किया था।
और जब पाकिस्तान पत्रकारों और विदेशी राजनयिकों को POK स्थित LOC पर ले गया था, उसी समय POK के मुज़फ़्फ़राबाद इलाके में पाकिस्तानी सरकार के ख़िलाफ़ बड़े विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो गए। इन विरोध प्रदर्शनों में पाकिस्तान के चंगुल से आज़ादी के नारे भी लगे और आम लोगों का पाकिस्तानी सुरक्षा बलों के जवानों के साथ टकराव भी हुआ।