पाकिस्तान के पेशावर से एक ऐसी घटना सामने आई है, जहाँ एक प्रोफेसर के साथ इस्लाम पर बहस के बाद उनके दोस्त ने ही गोली मार कर उनकी हत्या कर दी। ये घटना सोमवार (अक्टूबर 5, 2020) की है। अल्पसंख्यक अहमदिया समुदाय से आने वाले प्रोफेसर नईम खटक की एक दूसरे प्रोफेसर फ़ारुन माद के साथ इस्लाम को लेकर बहस हुई थी। इसके बाद फ़ारुन ने फायरिंग शुरू कर दी और प्रोफेसर नईम खटक की हत्या कर डाली।
आरोपित प्रोफेसर ने इस हत्याकांड में एक गनमैन की भी मदद ली। प्रोफेसर नईम खटक पर तब हमला किया गया, जब वो कॉलेज जा रहे थे। वो गवर्नमेंट सुपीरियर साइंस कॉलेज में फैकल्टी मेंबर के रूप में कार्यरत थे। मृतक प्रोफेसर के भाई की तहरीर पर एक FIR दर्ज की गई है, जिसमें कहा गया है कि मजहबी मुद्दों पर हुई बहस के कारण उनकी हत्या हुई। खटक के भाई ने बताया कि वो भी कॉलेज गए थे और वहाँ से साथ में निकल रहे थे।
उन्होंने बताया कि वो बाइक पर थे और खटक कार में जा रहे थे। जब वो दोपहर के 1:30 बजे वजीरबाग से गुजर रहे थे, तभी दो बाइक सवारों ने उनकी गाड़ी रोकी और फायरिंग शुरू कर दी। इसके बाद वो दोनों ही आरोपित वहाँ से भाग निकले। उनके शरीर में पाँच गोलियाँ मारी गईं और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। उनके परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटे और तीन बेटियाँ भी हैं। पुलिस ने कहा है कि आरोपितों की पहचान हो गई है।
पुलिस ने घटनास्थल के आसपास मौजूद लोगों से पूछताछ करने के बाद आरोपितों की गिरफ़्तारी के लिए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है। पाकिस्तान में अहमदी समुदाय के प्रवक्ता सलीमुद्दीन ने कहा कि खटक ने जूलॉजी में अपनी डॉक्टरेट पूरी की थी और उन्हें अपनी धारणाओं की वजह से परेशान किया जा रहा था। उन्हें पहले से ही धमकियाँ दी जा रही थीं। पिछले कई सालों से अहमदिया समुदाय पर लगातार हमले हो रहे हैं।
He has left behind a widow, two sons and three daughters. We offer our deepest condolences to his family. Please remember his family in your prayers. Remember every Ahmadi in your prayers who is going through hardship & is victim of persecution & violence.
— Saleem ud Din (@SaleemudDinAA) October 5, 2020
इसी तरह जुलाई 2020 में ईशनिंदा के आरोपित ताहिर शमीम अहमद को गोली मारकर मौत के घाट उतार दिया गया था। ताहिर को मारने वाले का नाम खालिद खान था। सोशल मीडिया पर सामाजिक कार्यकर्ता राहत ऑस्टिन ने दावा किया था कि खालिद ने ताहिर को गोली मार कर कहा कि उसके सपने में पैगंबर आए थे। इसलिए उसने ताहिर को गोली मारी। वहीं पुलिस की हिरासत में खालिद ने ये माना था कि उसने ताहिर को इसलिए गोली मारी. क्योंकि वह अहमदिया समुदाय का था।