अफगानिस्तान के काबुल से अमेरिकी सैनिकों का आखिरी जत्था रवाना होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बायडेन ने देश को संबोधित किया। उन्होंने अफगानिस्तान में अपना मिशन कामयाब बताते हुए कहा कि वह आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई को जारी रखेंगे लेकिन किसी देश में आर्मी बेस नहीं बनाएँगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने फैसले को सबसे बेस्ट करार देते हुए कहा, “मुझे यकीन है अफगानिस्तान से सेना बुलाने का फैसला, सबसे सही, सबसे समझदारी वाला और बेस्ट है। अफगानिस्तान में युद्ध अब खत्म हो चुका है। मैं अमेरिका का चौथा राष्ट्रपति था, जो इस सवाल का सामना कर रहा था कि इस युद्ध को कैसे खत्म किया जाएगा। मैंने अमेरिकी लोगों से कमिटमेंट किया था कि यह युद्ध खत्म करूँगा और और आज, मैंने उस प्रतिबद्धता का सम्मान किया है।”
I believe this is the 'right decision, wise decision and the best decision'. The war in Afghanistan is now over. I am the fourth president to have faced this issue on how to end this war… I made a commitment to Americans to end this war, I honoured it: US President Joe Biden pic.twitter.com/8SwnkioDk0
— ANI (@ANI) August 31, 2021
बायडेन ने अपने देशवासियों और फौज की तारीफ करते हुए कहा, “अमेरिकियों ने जो काम किया वह कोई नहीं कर सकता था। हमने अफगानिस्तान में 20 वर्षों तक शांति बनाए रखी।…यह युद्ध का मिशन नहीं था, बल्कि दया का मिशन था। हमारे सैनिकों ने दूसरों की सेवा करने के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी।” बायडेन ने दावा किया कि उन्होंने अफगानिस्तान से 1.25 लाख लोगों को बाहर निकाला।
बायडेन ने कहा, “हम अफगान गठबंधन के साथ मिलकर काम करना चाहेंगे लेकिन अब तालिबान के पास सत्ता है।” दुनिया को सुरक्षित रखने की कामना करते हुए बायडेन ने कहा अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल आतंकी अमेरिका या किसी और देश के खिलाफ न करें इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
इस पूरे फैसले की जिम्मेदारी लेते हुए उन्होंने कहा कि अगर यह मिशन पहले शुरू किया गया होता तो सिविल वॉर में तब्दील हो जाता। वैसे भी कहीं से लोगों को निकालने में कुछ चुनौतियों का सामना तो करना ही पड़ता है। अपनी फौज की तारीफ करते समय बायडेन ने कहा कि उन्होंने यह फैसला रातों-रात नहीं लिया था, अमेरिकी फौज से जुड़े तमाम लोगों से बातचीत करके यह निर्णय लिया गया।
उल्लेखनीय है कि आज अफगानिस्तान के जो भी हालात हैं उसके पीछे का कारण वहाँ से अमेरिकी सेना का लौटना ही माना जा रहा है। लेकिन इसके साथ-साथ एक नाम और है जो लगातार चर्चा में है। ये नाम पाकिस्तान का है। आज रॉयटर्स में जो बायडेन और अशरफ गनी के बीच 23 जुलाई को हुई बातचीत के अंश छपे हैं। इसमें अशरफ गनी, बायडेन को बता रहे हैं कि कैसे उस समय (23 जुलाई के आसपास का वक्त) वो आक्रमण का सामना कर रहे थे। जिसमें तालिबान को पाकिस्तान ने अपना पूरा समर्थन दिया हुआ था। उन्होंने बताया था कि तालिबान के साथ 10-15 हजार अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी और इसमें भी मुख्यरूप से कई पाकिस्तानी शामिल हैं।