न्यूजीलैंड के ऑकलैंड में बतौर रेडियो जॉकी कार्यरत हरनेक सिंह पर हमला करने के बाद उन्हें कई बार धारदार हथियार से गोदा गया, जिसके बाद वो अस्पताल में ज़िंदगी और मौत के बीच जूझ रहे हैं। न्यूजीलैंड की मीडिया ने इस हमले को मजहबी कट्टरता से प्रेरित बताया है। उन पर बुधवार (दिसंबर 23, 2020) को हमला किया गया। 53 वर्षीय हरनेक सिंह रात के 10:30 बजे रेडियो शो से लौट रहे थे, तभी उन पर ये हमला हुआ।
इस साल उन पर ये दूसरा हमला है। जुलाई 2020 में भी उनके जन्मदिन के दिन ही ‘लव पंजाब’ रेस्टॉरेंट में उन पर हमला किया गया था। हरनेक सिंह के साथी बलविंदर ने बताया कि वो उनके भाई के समान हैं और सिख समुदाय की सामाजिक और धार्मिक स्थितियों को लेकर अक्सर चर्चा में मशगूल रहा करते थे। साथ ही वो न्यूजीलैंड के सिख समुदाय की भलाई के लिए भी प्रयासरत थे। उन पर धारदार हथियारों से हमला किया गया।
बलविंदर ने बताया कि ये हमला रेडियो पर उनके द्वारा कही गई बातों के विरोध में किया गया है, ऐसा लगता है। उन्होंने कहा कि हरनेक सिंह की सोच और विचारों को लेकर रोष के कारण ये हमला हुआ। उन्होंने हाल ही में दिल्ली में राजनीतिक रूप से प्रेरित आंदोलन को वापस लेने की अपील की थी, जिसमें तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की माँग की जा रही है। हरनेक धार्मिक गलतफहमियों को दूर करने के लिए भी रेडियो शो में बातें किया करते थे।
उनके दोस्त ने बताया कि ये हमला ऐसे मजहबी कट्टरपंथियों ने किया है, जो धर्म को मिथकों में देखता हो और उसे वास्तविकता में कोई रुचि न हो। उनकी पत्नी ने बताया कि उनकी हालत अभी स्थिर है। उनकी सर्जरी भी की गई है। न्यूजीलैंड की पुलिस ने कहा है कि इस मामले में और जाँच की जा रही है। उन पर हुए हमले के बाद रेडियो स्टेशन को भी सैकड़ों कॉल और मैसेजों के द्वारा धमकियाँ मिल रही हैं।
New Zealand
— J (@Sootradhar) December 26, 2020
Host of Radio Virsa, Harnek Singh Negi asked Punjabi’s to end these politically motivated protests in India.
Result, he was brutally attacked inside his home and has undergone emergency surgery.
LT @nishant_india pic.twitter.com/a9OEvLOEIE
उनके साथियों ने बताया कि हरनेक सिंह सिर्फ धर्म पर ही बातें नहीं किया करते थे, बल्कि सिख समुदाय कैसे पीछे छूट रहा और और क्या सामाजिक समस्याएँ हैं, उनके क्या निदान हो सकते हैं – इन सब पर चर्चा किया करते थे। वो बदलाव की बातें किया करते थे। उनके सिख मित्रों ने कहा कि कुछ लोग अभी भी 100 वर्ष पीछे जीना चाहते हैं और हरनेक सिंह ऐसे लोगों को सही रास्ते पर लाना चाहते थे।
बता दें कि उधर विवादित ‘किसान आंदोलन’ के बीच में पंजाब में तीसरी बार कॉन्ग्रेस के टिकट पर सांसद बने रवनीत सिंह बिट्टू ने मोदी सरकार को धमकाते हुए कहा है कि वो सोचते हैं कि हम यहाँ पर बैठे हैं इतने दिनों से तो बैठे-बैठे थक जाएँगे। उन्होंने कहा, “1 तारीख (जनवरी 1, 2020) के बाद हम लाशों के भी ढेर लगाएँगे। हम अपना खून भी देंगे। हम इसके लिए कहीं भी, किसी भी हद तक जा सकते हैं।”