भारत द्वारा जी20 के शिखर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। लेकिन, चीन के एक थिंक-टैंक ने भारत पर G20 शिखर सम्मेलन का इस्तेमाल अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए करने का आरोप लगाया है। थिंक-टैंक ने कहा कि भारत ने शिखर सम्मेलन में अपने हितों के मुद्दों को उठाकर और चीन विरोधी कामों को अंजाम देकर चीन के साथ धोखा किया है।
इस थिंक-टैंक का कहना है कि भारत ने विवादित क्षेत्रों (कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश) में जी-20 की बैठकों का आयोजन करके उन क्षेत्रों पर अपने कब्जे की मान्यता लेने की कोशिश की है।
ये है चीन को हुई तकलीफ की मुख्य वजह
बता दें कि G-20 सम्मेलन के पहले दिन भारत ने इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर का ऐलान किया। इस प्रोजेक्ट में मध्य पूर्व और यूरोपीय देशों के अलावा अमेरिका भी अहम साझीदार है। इस कॉरिडोर को चीन के BRI (बेल्ट एन्ड रोड) के जवाब के रूप में देखा जा रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि आने वाले समय में भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक एकीकरण का प्रभावी माध्यम होगा। यह पूरे विश्व में कनेक्टिविटी और विकास को सस्टेनेबल दिशा प्रदान करेगा।
इस बात से चीन को इतनी मिर्ची लगी है कि वो बौखला गया है। चीनी सरकार भले ही सीधे तौर पर कुछ नहीं बोल रही हो, लेकिन वो अपने कथित थिंक-टैंक्स के माध्यम से भारत को धमकाने की कोशिश कर रही है।
अपना एजेंडा बढ़ा रहा भारत : चीनी थिंक-टैंक
‘इंडिया टुडे’ की रिपोर्ट के मुताबिक, चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशंस नाम के एक थिंक-टैंक ने अपने लेख में कहा कि भारत ने “जी20 के मंच का इस्तेमाल अपने स्वयं के एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए किया है, जो वैश्विक मुद्दों पर सहयोग की बजाय विभाजन को बढ़ावा देने के लिए है।” थिंक-टैंक ने कहा कि चीन विरोधी मुद्दों को उठाकर भारत ने “जी20 की एकता को तोड़ा और चीन के हितों को नुकसान पहुँचाया।”
अपने मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहा चीन!
थिंक-टैंक का लेख स्पष्ट रूप से राजनीतिक विचारों से प्रेरित है। चीन अपने मानवाधिकार रिकॉर्ड और दक्षिण चीन सागर में आक्रामक व्यवहार के लिए बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव का सामना कर रहा है। भारत पर G20 को कमजोर करने का आरोप लगाकर, चीनी सरकार अपने स्वयं के मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश कर रही है।
वैसे, लेख तथ्यात्मक रूप से भी गलत है। उदाहरण के लिए, यह दावा करता है कि भारत “चीन की कीमत पर इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है।” हालाँकि, उसने अपने इन दावों के समर्थन में कोई सबूत नहीं रखा है।
इस चीनी थिंक टैंक के दावों के उलट भारत ने जी20 शिखर सम्मेलन में निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया:
1-जलवायु परिवर्तन और ऊर्जा सुरक्षा के लिए वैश्विक कार्रवाई को बढ़ावा देना
2-वैश्विक आर्थिक विकास को बढ़ावा देना
3-आतंकवाद और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों के खिलाफ वैश्विक सहयोग को मजबूत करना
4-अंतर्राष्ट्रीय व्यापार और निवेश को बढ़ावा देना
5-स्वास्थ्य और शिक्षा जैसी सामाजिक सेवाओं में निवेश को बढ़ावा देना
भारत जी-20 का जिम्मेदार सदस्य
बता दें कि G20 शिखर सम्मेलन ने भारत की वैश्विक नेतृत्व की स्थिति को मजबूत किया है। भारत हमेशा से जी20 का एक जिम्मेदार सदस्य रहा है और उसने हमेशा वैश्विक मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का प्रयास किया है। भारत हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और वह चीनी आक्रामकता का विरोध करेगा।