नरेंद्र मोदी आज रविवार (9 जून 2024) की शाम को प्रधानमंत्री पद की तीसरी बार शपथ लेंगे। नरेंद्र मोदी को उनके तीसरे कार्यकाल के लिए चीन ने बधाई संदेश भेजा है। इस बधाई संदेश पर भारत ने बीजिंग को तीन परस्पर मूल्यों- परस्पर सम्मान, परस्पर संवेदनशीलता और परस्पर हित की याद दिला, जिसका हवाला द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए बार-बार दिया गया है।
बता दें कि भाजपा के नेतृत्व में राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) की ऐतिहासिक जीत पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के कोई भी संदेश अभी तक नहीं आया है। हालाँकि, चीनी विदेश मंत्रालय और भारत में चीन के नवनियुक्त राजदूत जू फेइहोंग ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद प्रधानमंत्री पद के लिए मनोनीत नरेंद्र मोदी को बधाई दी थी।
चीन के बधाई संदेश पर भारतीय विदेश मंत्री के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “आपसी सम्मान, आपसी हित और आपसी संवेदनशीलता के आधार पर भारत-चीन संबंधों को सामान्य बनाने की दिशा में प्रयास जारी रहेंगे।” दरअसल, चीन ने अपने बधाई संदेश में दोनों देशों के बीच स्वस्थ और स्थिर संबंधों की बात कही थी।
बता दें कि पूर्वी लद्दाख में चीन के दुस्साहस के कारण सैन्य गतिरोध बना हुआ है और दोनों देशों के संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। पश्चिमी क्षेत्र में चार बिंदुओं पर सैन्य वापसी हासिल कर ली गई है, लेकिन 21 दौर की सैन्य और 15 दौर की कूटनीतिक वार्ता के बाद भी देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों में यह हासिल नहीं हो पाया है। गतिरोध के बाद से पीएम मोदी और शी जिनपिंग की कोई औपचारिक बैठक नहीं हुई है।
हालाँकि पिछले साल ब्रिक्स शिखर सम्मेलन और साल 2022 में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान उनके बीच ‘अनौपचारिक बातचीत’ हुई थी। मोदी और शी अगले महीने कजाकिस्तान में एससीओ शिखर सम्मेलन में फिर से आमने-सामने होंगे। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक का अभी तक कोई प्रस्ताव नहीं है।
चीन के साथ संबंधों को देखते हुए नरेंद्र मोदी अपने तीसरे कार्यकाल में भी चीन से स्वच्छंद कारनामों पर अंकुश लगाने की दिशा में काम करेंगे। ऐसा माना जा रहा है। इसकी झलक उनके शपथ ग्रहण समारोह में आमंत्रित किए गए पड़ोसी देशों के प्रमुखों से भी लगता है। नरेंद्र मोदी इस कार्यकाल में भी चीन को रोकने की दिशा में अपने पड़ोसी देशों के साथ भारत के संबंधों को प्रगाढ़ करेंगे।
इस शपथ ग्रहण समारोह में भारत के पड़ोसी और हिंद महासागर क्षेत्र के नेताओं को विशिष्ट अतिथि के रूप में सादर आमंत्रित किया गया है। इसे पड़ोसी देशों के प्रति भारत की प्राथमिकता के तौर पर देखा जा रहा है। शपथ ग्रहण समारोह में श्रीलंका, मालदीव, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान को प्राथमिकता दी गई है।
श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, मालदीव के राष्ट्रपति डॉक्टर मोहम्मद मुइज्जु, सेशेल्स के उपराष्ट्रपति अहमद अफीफ, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना, मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रविंद कुमार जगन्नाथ, नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्पकमल दहल ‘प्रचंड’ और भूटान के प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह का निमंत्रण स्वीकार कर लिया है।
श्रीलंका, मालदीव, भूटान, नेपाल और बांग्लादेश दरअसल भारत ऐसे पड़ोसी देश हैं, जिन्हें भारत के खिलाफ लंबे समय से इस्तेमाल करने की रणनीति पर चीन काम करता रहा है। माना जा रहा है कि भारत इन देशों से संबंधों को और प्रगाढ़ बनाकर चीन की चाल को नाकामयाब करता रहेगा।