पाकिस्तान में सरकार की लापरवाही के कारण कोरोना का संक्रमण अब विकराल रूप लेने की कगार पर है। बुधवार तक वहाँ 1000 कोरोना संक्रमित केसों की पुष्टि हो गई है। इनमें से 413 मरीज अकेले सिंध प्रांत के हैं, जबकि 115 बलूचिस्तान के और 296 पंजाब के हैं। इसके अलावा खैबर पनख्तूख्वा से 78 और राजधानी इस्लाबाद से 16 मामले सामने आए हैं। देश में महामारी के कारण मरने वालों की संख्या अब तक 7 हो गई है जिसमें एक डॉक्टर भी शामिल है। अब इन्हीं हालातों में स्वास्थ्य सुविधाओं की बदइंतजामी देखकर इमरान सरकार को लाहौर हाइकोर्ट ने फटकार लगा दी है।
दरअसल, हाई कोर्ट ने कहा कि इमरान सरकार पूरे मामले को लेकर गंभीर नहीं है। कोर्ट ने कहा कि सरकार ने ईरान से तीर्थयात्रियों को समय पर वापस लाने के लिए प्रयास नहीं किया। यही नहीं जो यात्री ईरान से लौटे उन्हें घर जाने दिया गया, जबकि उन्हें 14 दिन तक अलग-थलग रखने की जरूरत थी। हाई कोर्ट ने कहा कि ये ईरान से आए लोग अब देश में कोरोना वायरस के प्रसार के बड़े स्रोत बन गए हैं। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि इस महाआपदा को सही तरीके से सँभालने को लेकर गंभीर नहीं है।
यहाँ बता दें कि पाकिस्तान सरकार की लापरवाही के कारण वहाँ की हालत इस समय बेहद गंभीर बताई जा रही हैं। द डॉन में छपी एक खबर के मुताबिक यदि इस समय कोरोना पर लगाम नहीं लगाई गई तो जून तक संक्रमित लोगों की संख्या लाखों में हो सकती है। खबर में बताया गया है कि कोरोना वायरस पूरी दुनिया को तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है। इसके साथ ही इससे लोगों में डर बैठ रहा है। मगर, अभी इसकी भयावह स्थिति आनी बाकी है। इसमें कहा गया है कि इससे निपटने के लिए पाकिस्तान को बड़े पैमाने पर एक्शन लेने की जरूरत है।