रूस-यू्क्रेन में जारी जंग के बीच भारत की भूमिका अहम हो गई है, जिसको देखते हुए दुनियाभर के देश लगातार भारत का दौरा कर उसके मूड को परखने की कोशिशें कर रहे हैं। इसी क्रम में गुरुवार (31 मार्च 2022) को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के अंतरराष्ट्रीय अर्थशास्त्र के राष्ट्रीय उप सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह भारत के दौरे पर आए। इस दौरान उन्होंने अमेरिकी प्रतिबंधों को दरकिनार कर रूस से तेल खरीदने के लिए वैकल्पिक भुगतान तंत्र स्थापित करने के लिए भारत को ‘परिणाम’ भुगतने की धमकी दे डाली। उनके इस बयान के बाद से विवाद खड़ा हो गया है।
दलीप सिंह ने कहा, “मैं यहाँ हमारे प्रतिबंधों के मैकेनिज्म, हमारे साथ जुड़ने के महत्व, साझा संकल्पों को व्यक्त करने और साझा हितों को आगे बढ़ाने के लिए दोस्ती की भावना से आया हूँ। और हाँ, ये उन देशों के लिए रिजल्ट है, जो एक्टिवली प्रतिबंधों को दरकिनार करने या वापस लेने की कोशिश करते हैं।”
अमेरिकी अधिकारी ने चेतावनी दी, “हम सभी देशों, खासतौर से हमारे सहयोगियों और भागीदारों के प्रति काफी उत्सुक हैं, लेकिन रूसी रूबल का समर्थन करने वाले तंत्र को विकसित करने के लिए, जो कि डॉलर बेस्ड वित्तीय प्रणाली को कमजोर करने की कोशिशें करते हैं, उनके खिलाफ सख्त कदम उठाएँगे।”
“There will be consequences”: Tough words from US Dy NSA Daleep Singh in Delhi, warns against constructing alternate payment mechanisms with Russia, buying more oil, also says “If China breaches LAC again, Russia will not come running to India’s defence”: coming up @the_hindu
— Suhasini Haidar (@suhasinih) March 31, 2022
भारत के राजकीय दौरे पर आए अमेरिकी अधिकारी दलीप सिंह नई दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान विवादित टिप्पणी की। उन्होंने द्वावा किया कि अगर चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर घुसपैठ करता है तो रूस भारत की मदद नहीं करेगा।
दलीप सिंह के मुताबिक, “चीन के साथ इस रिश्ते में रूस जूनियर पार्टनर बनने जा रहा है। और चीन रूस से जितना अधिक लाभ लेगा वो भारत के लिए ठीक नहीं होगा। मुझे नहीं लगता कि कोई भी यह विश्वास करेगा कि यदि चीन एक बार फिर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) का उल्लंघन करता है, तो रूस भारत की रक्षा के लिए आगे आएगा।”
भारत के रूस पर अपनी रक्षा और ऊर्जा की जरूरतों के लिए निर्भरता कम करने की चेतावनी देते हुए सिंह ने आगाह किया, “हम नहीं चाहते कि रूस से भारत में आयात में किसी भी तरह की तेजी आए, क्योंकि यह ऊर्जा या किसी अन्य निर्यात से संबंधित है, जो वर्तमान में हमारे द्वारा या अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध व्यवस्था के अन्य पहलुओं द्वारा प्रतिबंधित किया जा रहा है।”
US doesn’t want to see “rapid acceleration” in India’s imports from Russia of energy & other commodities prohibited by global sanctions regimes & there will be consequences for countries that attempt to circumvent embargoes: US deputy NSA Daleep Singh
— Rezaul Hasan Laskar (@Rezhasan) March 31, 2022
दलीप सिंह की बेतुकी बयानबाजी पर भड़का गुस्सा
अमेरिकी अधिकारी दलीप सिंह की भारत को धमकी पर लोगों का गुस्सा भड़क गया है। देश के पूर्व राजनयिक डिप्लोमेसी की भाषा का इस्तेमाल नहीं करने को लेकर अमेरिकी अधिकारी की आलोचना की। उन्होंने ट्वीट किया, “तो ये हमारे दोस्त हैं.. यह कूटनीति की भाषा नहीं है.. यह जबरदस्ती वाली बात है। कोई इस युवक को बताए कि दंडात्मक एकतरफा आर्थिक उपाय परंपरागत अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है।”
So this is our friend…😳
— Syed Akbaruddin (@AkbaruddinIndia) April 1, 2022
This is not the language of diplomacy…
This is the language of coercion…
Somebody tell this young man that punitive unilateral economic measures are a breach of customary international law… pic.twitter.com/9Kdd6VDYOh
इसी क्रम में पत्रकार स्टेनली जॉनी ने भी कहा, “भारत किसी बड़ी शक्ति का ग्राहक नहीं है। वो किसी समूह का भी हिस्सा नहीं है। दुनिया की सर्वाधिक आबादी वाले दूसरे सबसे बड़े देश और विश्व की सातवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को पब्लिकली ये नहीं बताया जाना चाहिए कि उसे क्या करना है और क्या नहीं करना है। दलीप सिंह दिल्ली में इस अहम बिंदु से चूक गए।”
India is not a client state of any great power. It’s not part of any alliance system. The world’s 2nd most populous country & the 7th largest economy, it’d not like to be told in public what it should do and what it shouldn’t. Daleep Singh missed this vital point in Delhi.
— Stanly Johny (@johnstanly) March 31, 2022
वहीं लेखक जोरावर दौलत सिंह ने भी अमेरिकी अधिकारी की खिंचाई की और ट्वीट किया, “दलीप नाम का यह आदमी भ्रमित है। इस तरह की बहादुरी केवल सहयोगी राज्यों के साथ काम करती है। ”
This Daleep chap is confused. This bravado only works with client states. https://t.co/xLZSrwf6Vg
— Zorawar Daulet Singh (@Z_DauletSingh) March 31, 2022
पश्चिमी देशों के पाखंड पर विदेश मंत्री की खरी-खरी
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारत-ब्रिटेन सामरिक फ्यूचर्स फोरम में बोलते हुए पश्चिमी देशों के पाखंड का पर्दाफाश किया। उन्होंने बताया कि यूरोपीय देश पहले से ही रूस से तेल के सबसे बड़े आयातक थे। इसके साथ ही उन्होंने रूस से तेल खरीदे जाने के भारत सरकार के फैसले का बचाव किया और इस बात पर जोर दिया कि भारत के लिए ऊर्जा आपूर्ति पर अच्छे सौदे प्राप्त करना महत्वपूर्ण था, ऐसे समय में जब वैश्विक बाजार अस्थिर थे।
उन्होंने आगे कहा, “ये बड़ा ही दिलचस्प है, हमने देखा है कि इस मुद्दे पर एक अभियान (हमारे खिलाफ) जैसा दिखता है। जब तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो मुझे लगता है कि देशों के लिए मार्केट जाना और ये देखना कि उसके लोगों के लिए क्या सही है, यह देखना स्वाभाविक है।”
ब्रिटेन की विदेश सचिव लिज ट्रस के साथ बातचीत के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत ने मध्य पूर्व से अधिकांश उर्जा की आपूर्ति की है। उन्होंने ये भी बताया कि कुल आयात का करीब 8 फीसदी अमेरिका और रूस से 1 फीसदी से भी कम कच्चे तेल की खरीद हुई थी।
इसके साथ ही उन्होंने दलीप सिंह के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि रूसी तेल और गैस का सबसे बड़ा खरीददार तो यूरोपीय देश ही है। उन्होंने आगे कहा, “मुझे पूरा यकीन है कि अगर हम दो या तीन महीने तक इंतजार करेंगे तो देखेंगे कि वास्तव में रूसी तेल और गैस के बड़े खरीददार कौन हैं। मुझे इस बात का संदेह है कि हम उस लिस्ट में टॉप 10 में भी नहीं होंगे।”
जैसे ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पश्चिमी देशों के झूठ की पोल खोली तो लिज ट्रस यूके के बचाव में उतर आईं। उन्होंने दावा किया कि उनका देश इस साल के अंत तक रूसी ऊर्जा की आपूर्ति पर अपनी निर्भरता को खत्म कर देगा। इसके साथ ही उन्होंने इस बात को भी स्वीकार किया कि जब 2014 में रूस ने क्रीमिया पर हमला किया था तो ब्रिटेन ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए थे।
उन्होंने कहा, “जब पुतिन ने क्रीमिया पर आक्रमण किया तो हमने पर्याप्त कदम नहीं उठाए। हमने मिन्स्क समझौतों में खुद को शामिल करने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं किया और अब उसके परिणाम देख रहे हैं।” ट्रस ने कहा कि रूसी तेल की खरीद पर नियंत्रण रखा जाए, ताकि उसकी युद्ध मशीनरी को ‘फंडिंग’ करने से रोका जा सके। उन्होंने आगे कहा, “मुझे लगता है कि इस वक्त सबसे बड़ा खतरा ये है कि हम प्रतिबंधों पर छोड़ देते हैं। हम ऐसा नहीं कर सकते हैं। हमें पुतिन पर दबाब बनाए रखने और यूक्रेन में हथियारों की आपूर्ति जारी रखने की जरूरत है।”
हालाँकि, इस मामले में विदेश मंत्री द्वारा भारत का रुख स्पष्ट किए जाने के बाद ट्रस ने कहा कि भारत एक संप्रभु राष्ट्र है और वो अपने मामलों में फैसले लेने के लिए स्वतंत्र है। ब्रिटिश सचिव ने कहा, “मुझे लगता है कि ये बहुत ही अहम है कि हम उन मामलों में दूसरे देशों के फैसलों का सम्मान करें, जिसका वो सामना करते हैं। भारत एक संप्रभु राष्ट्र है। मैं भारत को यह नहीं बताने जा रही हूँ कि क्या करना है।”
गौरतलब है कि है कि हाल ही में भारत ने रुपए-रूबल की वैकल्पिक भुगतान प्रणाली के जरिए रूस से S-400 मिसाइल को खरीदा है। इसके अलावा देश रूस के साथ आयात-निर्यात से संबंधित भुगतान के दूसरे मामलों को हल करने की बी कोशिशें कर रहा है, जो कि अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण उपजे हैं।
इस साल 24 फरवरी 2022 से जब से रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से अतिरिक्त 13 मिलियन बैरल तेल की खरीद की है। जबकि पिछले साल 2021 में सालभर में कुल 16 मिलियन बैरल रूसी तेल खरीदा गया था।