Sunday, November 17, 2024
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मुस्लिम डॉक्टर ने सूअर का दिल लगाया, दुनिया भर में मिली ताली… घर में लात-गाली: अब्बा ने भी दुत्कारा, पूछा- कोई और जानवर नहीं था क्या

डॉक्टर मोहिउद्दीन के अपने घर में ही विरोध की मुख्य वजह जानवर का सूअर होना है। सूअर को इस्लाम में हराम माना गया है। डॉक्टर का कहना है, "मेरा अपने घर में ही विरोध हो रहा है। सूअर के प्रयोग पर मुझ से घर में ही सवाल किए गए। मेरे अब्बा ने मुझसे पूछा कि क्या सूअर के बदले किसी और जानवर से ऐसा नहीं हो सकता था।"

चिकित्सा जगत में इतिहास बनाते हुए मानव हृदय में सूअर का दिल लगाने वाले मुस्लिम डॉक्टर को अपने ही घर में भारी विरोध का सामना करना पड़ रहा है। डॉक्टर का नाम मुहम्मद मोहिउद्दीन है जिनकी दुनिया भर में तारीफ हो रही है। मोहिउद्दीन मूल रूप से पाकिस्तान के रहने वाले हैं। वो फिलहाल अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड मेडिकल सेंटर में कार्डियक एक्सनोट्रांसप्लांटेशन में डॉयरेक्टर हैं। उनका आरोप है कि इंसानी शरीर में सूअर का दिल लगाने के बाद उनके साथ घर में ही धक्का मुक्की की गई है।

बता दें कि डॉक्टर मोहिउद्दीन ने यह सफल ट्रांसप्लांट 7 जनवरी 2022 (शुक्रवार) को किया था। मानव शरीर में किसी जानवर का दिल सफलतापूर्वक लगाने की यह पहली घटना थी। डेलीमेल की रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर मोहिउद्दीन के अपने घर में ही विरोध की मुख्य वजह जानवर का सूअर होना है। सूअर को इस्लाम में हराम माना गया है। डॉक्टर का कहना है, “मेरा अपने घर में ही विरोध हो रहा है। सूअर के प्रयोग पर मुझ से घर में ही सवाल किए गए। मेरे अब्बा ने मुझसे पूछा कि क्या सूअर के बदले किसी और जानवर से ऐसा नहीं हो सकता था।”

उल्लेखनीय है कि यह ट्रांसप्लांट 57 वर्षीय बेनेट नाम के व्यक्ति में किया गया है। उसे अनियमित हार्ट बीट और हार्ट फेलियर की समस्या थी। डॉ मुहम्मद मोहिउद्दीन ने आगे कहा, “अब तमाम मरीजों की जान बचाई जा सकती है। ये सफलता उनके लिए वरदान है जिन्हें हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत है। मेरा अपने ही घर में विरोध का कारण परिवार वालों की आस्था है। मेरी परवरिश पाकिस्तान के कराची शहर में हुई है। सूअर शब्द आते ही मेरे घर में हंगामा शुरू हो जाता था। मेरी माँ गरारे करने लगती थी। इस दौरान काफी शोर – शराबा मचता था। इसलिए सूअर के अंग को प्रयोग करना मेरे लिए बहुत कठिन काम था। उसे इंसान के शरीर में लगाने में मुझे बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा।”

डॉ मोहिउद्दीन ने बताया, “मेरी भी आस्था इस्लाम में है। मैं हार्ट ट्रांस्प्लांट करने के लिए अन्य जानवरों के विकल्प के बारे में सोचता हूँ। जिस देश में मैं रह रहा हूँ वहाँ सूअर का माँस नियमित तौर पर खाया जाता है। पश्चिमी देशों में सूअर का माँस खाना कोई आपत्तिजनक विषय नहीं है। इस ट्रांसप्लांट से पहले मैंने कई इस्लामिक जानकारों से चर्चा की थी। अंत में मैं इस निष्कर्ष पर पहुँचा कि सबसे नेकी का काम किसी इंसान की जान बचाना है।”

डॉ मोहिउद्दीन के मुताबिक, “यदि सुअर का दिल काम कर गया तो यह कई पीड़ित मरीजों के लिए आपूर्ति में सहायक होगा। हमने सूअरों के जीन में इतना बदलाव कर दिया है कि यह इम्यूनोलॉजी के मामले में इंसानों के थोड़ा करीब हो गया है। इसे मानव में परिवर्तित करने के बजाय हमने जीन में ऐसा बदलाव किया कि इसने मानव शरीर में काम करना शुरू कर दिया। शुरू के 48 घंटों में हम विफल रहे थे। इसके बाद हमने प्रयोग के तौर पर सूअर के दिल को आजमाया। यह सुखद रहा कि सुअर का दिल मानव हृदय में फिट हो गया।”

एक अध्ययन के मुताबिक पूरी दुनिया में दान किए गए मानव अंगों की काफी कमी है। इसलिए ट्रांस्प्लांट के लिए वैज्ञानिक पिछले कई दशक से विकल्प के तौर पर जानवरों के अंगों पर अध्ययन कर रहे हैं। यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग के आँकड़ों के मुताबिक साल 2021 में अकेले अमेरिका में 3,800 से अधिक हार्ट ट्रांसप्लांट हुए।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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