पाकिस्तान में साइबर अपराध की विशेष अदालत ने शिया समुदाय के साजिद अली को पाँच साल की कैद की सजा सुनाई है। साजिद अली को यह सजा सोशल मीडिया पर ईशनिंदा से संबंधित सामग्री डालने के मामले में सुनाई गई है। उस पर 2017 में फेसबुक पर ‘बेअदबी भरी, ईशनिंदा करने वाली और अपमानजनक’ सामग्री डालने का आरोप था।
बता दें कि यह पाकिस्तान के नए साइबर आपराधिक कानून के तहत दोष-सिद्धि का पहला मामला है। यानी कि वहाँ पहली बार नए साइबर आपराधिक कानून के तहत सजा सुनाई गई है। साजिद अली बहावलनगर के क्रिश्चियन तहसील का रहने वाला है। उसे इलेक्ट्रॉनिक अपराध रोकथाम अधिनियम 2016 और पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 298ए के तहत सजा सुनाई गई है।
उसके खिलाफ स्थानीय लोगों की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज किया था। यह मामला बाद में क्षेत्राधिकार के मुद्दे पर संघीय जाँच एजेंसी (FIA) साइबर अपराध सर्किल लाहौर के सुपुर्द कर दिया गया था। एफआईए साइबर अपराध लाहौर के प्रमुख सरफराज चौधरी ने कहा कि पैगंबर मोहम्मद साहब सहयोगी के खिलाफ ईशनिंदा संबंधी सामग्री पोस्ट करने के आरोप में नए कानून के तहत दोष सिद्ध होने का यह पहला मामला है।
जानकारी के मुताबिक इस मामले की सुनवाई के दौरान संघीय जाँच एजेंसी के अधिवक्ता मुनम बशीर चौधरी ने 12 गवाहों को पेश किया। मुनम बशीर ने कहा कि पेश किए गए 12 गवाहों में से अधिकांश गवाहों ने साजिद अली के खिलाफ गवाही दी। इसमें एफआईए के असिस्टेंट डायरेक्टर नईम जफर भी शामिल थे। बता दें कि नईम जफर नेनअदालत में अपनी तकनीकी विश्लेषण की रिपोर्ट सौंपी थी। वहीं, एफआईए साइबर अपराध के प्रमुख सरफराज चौधरी का कहना है कि अदालत ने साइबर अपराध के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए सरकार को व्यापक स्तर पर अभियान चलाने का निर्देश दिया है।