Friday, November 15, 2024
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मैं आपके घर का नाम बदल दूँ तो…’: चीन को ‘मूर्खता’ पर विदेश मंत्री जयशंकर ने लताड़ा, अरुणाचल के 30 जगहों के रख लिए हैं मनमुताबिक नाम

चीन ने रविवार को अरुणाचल प्रदेश के 30 नए नामों की सूची जारी की थी। उसने अरुणाचल में स्थित 12 पहाड़ों, 4 नदियों, एक दर्रे, एक झील और 11 रिहायशी इलाकों के नाम की सूची जारी की थी। चीन यह कार्रवाई अरुणाचल पर अपने दावे के तहत करता है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने चीन को जम कर लताड़ा है। उन्होंने चीन के अरुणाचल प्रदेश की जगहों के नाम बदलने को लेकर चीन को करारा जवाब दिया है। चीन की इस हरकत पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी करके इसे आधारहीन बताया है और कहा है कि नए नाम ढूँढने से कुछ नहीं होने वाला।

विदेश मंत्री जयशंकर ने अरुणाचल में चीन के नाम बदलने को लेकर कहा, “अगर मैं आपके घर का नाम बदल दूँ तो वह मेरा घर बन जाएगा क्या, नाम बदलने से कुछ नहीं होता है। अरुणाचल प्रदेश भारत का एक राज्य है, था और आगे भी रहेगा।” उन्होंने चीन की घुसपैठ को लेकर कहा कि हमारी सेना लगातार उस पर काम रही है।

विदेश मंत्री जयशंकर के इस जवाब के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी करके चीन के इस कदम को आधारहीन बताया। विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा, “चीन लगातार भारत के अरुणाचल प्रदेश में जगहों के नाम बदलने का मूर्खतापूर्ण काम करता आया है। हम इस तरह को कोशिशों को नकारते हैं। अपने मनमुताबिक नाम रख लेने से यह सच्चाई नहीं बदलने वाली है कि अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है, था और हमेशा रहेगा।”

गौरलतब है कि चीन ने रविवार (31 मार्च, 2024) को अरुणाचल प्रदेश के 30 नए नामों की सूची जारी की थी। उसने अरुणाचल में स्थित 12 पहाड़ों, 4 नदियों, एक दर्रे, एक झील और 11 रिहायशी इलाकों के नाम की सूची जारी की थी। चीन यह कार्रवाई अरुणाचल पर अपने दावे के तहत करता है। वह अरुणाचल को तिब्बत का दक्षिणी हिस्सा बताता है और इसे जंगान प्रांत बताता है। इससे पहले भी चीन यहाँ कई बार नाम बदलने का ड्रामा कर चुका है। वह लगातार 2017 से यह करता आया है।

गौरतलब है कि बीते एक माह में भारत कई बार यह बात दोहरा चुका है कि चीन को अरुणाचल में नाम बदलने या उस पर फर्जी दावे करने से कुछ हासिल नहीं होने वाला है। इससे पहले 29 मार्च, 2024 को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था, “हम इस मामले पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर दें, हमने पहले भी इस मामले में बयान जारी किए हैं। चीन जितनी बार चाहे अपने फर्जी दावे इस बारे में कर सकता है, इससे हमारे इस स्टैंड में कोई बदलाव नहीं आएगा कि अरुणाचल प्रदेश हमेशा से भारत का हिस्सा था, है और रहेगा।”

इससे पहले भी भारत ने चीन के दावों को नकारा था। अरुणाचल को लेकर मार्च 2024 से चीन दोबारा से सक्रिय हुआ है। उसने पीएम मोदी ने अरुणाचल प्रदेश का दौरे के बाद से अपना प्रलाप चालू किया है। पीएम मोदी ने इस दौरे में रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण सेला सुरंग समेत तमाम परियोजनाओं का उद्घाटन और लोकार्पण किया था। सेला दुनिया की सबसे ऊँचाई पर बनी सुरंग है। पीएम मोदी ने इस दौरान पूर्वोत्तर में किए गए अन्य विकास कार्यों का भी ब्यौरा दिया था।

पीएम मोदी के इस दौरे के बाद चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल झांग ज़ियाओगांग ने कहा था कि जिजांग (तिब्बत का भाषा में नाम) का दक्षिण का क्षेत्र चीन का पारम्परिक रूप से हिस्सा है। उन्होंने कहा था कि भारत ने अरुणाचल प्रदेश को अवैध रूप से स्थापित किया है और बीजिंग इसे कभी नहीं मानेगा।

हालाँकि, यह पहली बार नहीं है जब चीन अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ या उस पर अपना दावा जताता आया हो। वह अरुणाचल के नागरिकों को ‘नत्थी वीजा’ देता है। चीन ने 1950 के दशक में बौद्धों को भगा कर तिब्बत पर कब्जा कर लिया था और अब उसका दावा है कि अरुणाचल उसी तिब्बत का एक हिस्सा है। भारत ने चीन को हमेशा इस मामले में कड़ा जवाब दिया है।

चीनी रक्षा मंत्रालय की इस टिप्पणी के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट रूप से जवाब दिया था। विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ” हमारे ध्यान में चीनी प्रवक्ता द्वारा की गई टिप्पणियाँ आई हैं। चीनी रक्षा अरुणाचल प्रदेश को लेकर बेतुके दावे कर रहा है। इस बारे में बार-बार एक ही तरह के दावे दोहराने से इस दावे को कोई सच नहीं मान लेगा। अरुणाचल प्रदेश भारत का अविभाज्य हिस्सा था, है और हमेशा ही रहेगा। अरुणाचल प्रदेश के निवासियों को हमारे इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का लाभ लगातार मिलता रहेगा।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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