Sunday, September 1, 2024
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फ्रांस में पाकिस्तान और बांग्लादेशी नागरिकों की एंट्री पर लगे बैन: हिंसक प्रदर्शनों को देखते हुए विपक्षी नेता की माँग

पेन ने माँग की है कि पाक और बांग्‍लादेश से आकर यहाँ बसने वाले अप्रवासियों पर बैन लगा देना चाहिए। उन्‍होंने यह माँग दक्षिण एशिया के इन दोनों देशों में होने वाले अति हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते की है।

फ्रांस में अक्‍टूबर माह में हुए आतंकी हमलों के बाद इस्‍लामिक आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की माँग तेज होती जा रही है। विपक्ष की नेता मरीन ले पेन ने अब सरकार से पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश से जुड़ी एक ऐसी माँग कर डाली है जो इन देशों खासतौर पर पाक की मुश्किलें बढ़ाने वाली है। 

पेन ने माँग की है कि पाक और बांग्‍लादेश से आकर यहाँ बसने वाले अप्रवासियों पर बैन लगा देना चाहिए। उन्‍होंने यह माँग दक्षिण एशिया के इन दोनों देशों में होने वाले अति हिंसक विरोध प्रदर्शनों के चलते की है। बता दें कि फ्रांस के राष्‍ट्रपति इमैनुएल मैंक्रो की तरफ से की गई टिप्‍पणी से नाराज पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश के लोग बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन पर उतर आए हैं।

ले पेन ने ट्वीट कर अपनी माँग सरकार के सामने रखी है। फ्रेंच में की गई ट्वीट का अनुवाद कुछ इस तरह से है, “आज बांग्‍लादेश और पाकिस्‍तान में नए सिरे से हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए हैं। इन्‍हें देखते हुए मैं सरकार से माँग करती हूँ कि इन देशों से आने वाले लोगों को राष्‍ट्रीय सुरक्षा के नाम तुरंत बैन कर दिया जाना चाहिए।”

इससे पहले, पेन ने फ्रांस और फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रो का साथ देने और फ्रांसीसी विरोधी भावनाओं के खिलाफ समर्थन दिखाने के लिए भारत को धन्यवाद दिया था। बता दें कि भारत ने एक बार फिर यह साफ किया है कि वो मौजूदा संकट में फ्रांस के साथ खड़ा है। साथ ही भारत ने आतंकवाद और कट्टरपंथ का समर्थन करने वालों के खिलाफ समन्वित कार्रवाई का आह्वान भी किया है।

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उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक, “नई दिल्ली ने अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि आतंकवाद और उसे जन्म देने वाला कट्टरपंथ सेंसरशिप का सबसे डरावना रूप है। यह हमारी लोकतांत्रिक स्वतंत्रता और हमारे साझा गणतंत्रवादी आदर्शों के लिए खतरा है। पेरिस और नीस में जो कुछ हुआ, उसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। भारत इस लड़ाई में फ्रांस के साथ है।”

बता दें कि तुर्की और पाकिस्तान द्वारा फ्रांस के खिलाफ मोर्चा खोलने के बाद भारत फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का समर्थन करने वाला पहला गैर-पश्चिमी देश था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पेरिस और नीस की घटना की निंदा करते हुए आतंकवाद से लड़ाई में फ्रांस के समर्थन की बात कही। उन्होंने शिक्षक की हत्या की निंदा करते हुए कहा था कि किसी भी कारण या किसी भी परिस्थिति में आतंकवाद को सही नहीं ठहराया जा सकता।

पाक-बांग्‍लादेश में हो रहे प्रदर्शन

पाक और बांग्‍लादेश में हजारों की संख्‍या में कट्टरपंथी इकट्ठा हुए थे। इन लोगों ने राष्‍ट्रपति मैंक्रो के पुतले जलाए और सड़कों पर इनका प्रदर्शन किसी को भी दहशत में डालने वाला था। मैंक्रो इस समय हर मजहबी देश के निशाने पर हैं। 16 अक्‍टूबर को जब एक शिक्षक का सिर कलम कर दिया गया था तो मैंक्रो ने फ्रांस की संस्‍कृति की तारीफ की थी। उन्‍होंने कहा था कि फ्रांस पैगंबर मोहम्‍मद के कार्टून छापना बंद नहीं करेगा।

मदरसे में मैक्रों के पुतले का सिर कलम 

समुदाय विशेष के लोग पैगंबर मोहम्‍मद के चित्रण को ईशनिंदा मानते हैं। शिक्षक की निर्मम हत्‍या के बाद कई जगह पर फ्रेंच नागरिकों ने इन कार्टूनों का प्रदर्शन किया था। इसकी वजह से समुदाय के लोग खासे नाराज हैं। मैक्रों ने हिस्‍ट्री के टीचर सैमुअल पैटी की हत्‍या के बाद कहा था, “उन्‍हें इस्‍लामिक आतंकियों ने इसलिए मार दिया क्‍योंकि वह हमारा भविष्‍य चाहते थे। लेकिन फ्रांस कार्टूनों को नहीं त्‍यागेगा।”

शुक्रवार को पाकिस्‍तान में विरोध प्रदर्शन के नाम पर अजब-गजब वाकया हुआ। यहाँ पर मदरसे में पढ़ाने वाले टीचर ने छात्राओं के सामने मैक्रों के पुतले का सिर कलम कर दिया। इन छात्राओं में से कई ऐसी थीं जिनकी उम्र बहुत कम थी। 

वहीं बांग्‍लादेश की राजधानी ढाका में भी प्रदर्शन जारी है। बताया जा रहा है कि एक प्रदर्शन में करीब 40,000 लोगों ने हिस्‍सा लिया था, जिसे इस्‍लामी आंदोलन बांग्‍लादेश की तरफ से आयोजित किया गया था। पाक की राजधानी इस्‍लामाबाद में भी 2000 प्रदर्शनकारियों ने फ्रांस के दूतावास तक मार्च निकाला था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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